पुलवामा हमले के बाद CRPF ने बदली गाइडलाइन, बनाई ये नई रणनीति
नई दिल्ली। पुलवामा जैसे आत्मघाती हमले को रोकने और जम्मू-कश्मीर में आतंकरोधी अभियानों के दौरान जवानों को हताहत होने से बचने के लिए सीआरपीएफ ने अपनी रणनीति में बदलाव किया है। सीआरपीएफ ने अपनी रणनीति बदल कर 'रुको, देखो और समय लो' कर दी है और नई मानक संचालन प्रक्रिया (एसओपी) जारी कर दी है। आवासीय क्षेत्रों में आतंकवाद-रोधी अभियानों के दौरान जम्मू-कश्मीर में तैनात 55,000 से अधिक सीआरपीएफ कर्मियों को जल्दबाजी ना दिखाने की सलाह दी गई है।
कुपवाड़ा जिले के हंदवाड़ा क्षेत्र के बाबागुंड गांव में एक मार्च को शुरू हुए एनकाउंटर में एक इंस्पेक्टर सहित तीन सीआरपीएफ जवानों के मारे गए थे। जिसके बाद सीआरपीएफ की ओर से नई एडवाइजरी जारी की गई। दरअसल इस एनकाउंटर के खत्म हो जाने के बाद सीआरपीएफ के जवान सर्च अभियान चला रहे थे, तभी विस्फोट में उड़ाए गए घर एक मृत मान लिए गए आंतकवादी ने जवानों पर गोलीबारी कर दी थी। जिसमें तीन जवान शहीद हो गए थे।
सीआरपीएफ के एक अधिकारी ने कहा, जम्मू-कश्मीर में तैनात प्रत्येक सीआरपीएफ जवान को स्पष्ट निर्देश है कि आतंकरोधी अभियान के दौरान 'रुको, देखो और समय लो' की नीति अपनानी होगी। अधिकारी ने कहा, "ह नया नहीं है। यह हमारे एसओपी का एक हिस्सा है, जिसे तीन कर्मियों के खोने के बाद संशोधित किया गया है। हम अपनी रणनीतियों को बदलते हैं और समय-समय पर अपने एसओपी को संशोधित करते हैं।
अधिकारी ने कहा कि मुठभेड़ के बाद तलाशी अभियान शुरू करने से पहले सुरक्षाकर्मी यदि थोड़े समय के लिए रुक गए होते, तो वे शहीद होने से बच गए होते। पुलवामा हमले के बाद, सीआरपीएफ के महानिदेशक आर आर भटनागर ने पिछले महीने एक मीडिया ब्रीफिंग में कहा था कि सीआरपीएफ कुछ रणनीति बना रही है, लेकिन तब उन्होंने बारीकियों को बताने से इनकार कर दिया था।
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