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खुफिया चूक का नतीजा था पुलवामा आतंकी हमला, CRPF की जांच में सामने आई खामियां

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नई दिल्ली: पिछले साल 14 फरवरी को पुलवामा में सीआरपीएफ के काफिल में हुए आतंकी हमले में 40 जवानों की जान चली गई थी। ये हमला खुफिया चूक का नतीजा था। सीआरपीएफ की आंतरिक जांच में ये निष्कर्ष निकल कर सामने आया है। ये गृह मंत्रालय के स्टैंड से बिल्कुल अलग है। गृह मंत्रालय ने स्पष्ट रूप से कहा था कि पुलवामा आतंकी हमला खुफिया विफलता नहीं थी।

सीआरपीएफ की आंतरिक रिपोर्ट में खुलासा

सीआरपीएफ की आंतरिक रिपोर्ट में खुलासा

सीआरपीएफ की जांच रिपोर्ट कहती है कि इस अवधि में आईईडी खतरे के संबंध में एक सामान्य चेतावनी थी। लेकिन कार के जरिए आत्मघाती हमले को लेकर कोई विशेष खतरा नहीं था। रिपोर्ट में आगे कहा गया है कि कश्मीक घाटी में किसी भी खुफिया एजेंसी द्वारा इस तरह के इनपुट को साझा नहीं किया गया था। सीआरपीएफ की आंतरिक रिपोर्ट में कई खामियों की ओर इशारा किया गया है। इसमें काफिले की असमान्य लंबाई भी एक वजह है। 14 फरवरी को सीआरपीएफ के काफिले में 78 वाहन शामिल थे और 2547 यात्रियों के साथ जम्मू से श्रीनगर के लिए रवाना हुए थे। सूत्रों ने कहा कि काफिले को दूर से ही पहचानना आसान था और सूचना भी आसानी से लीक हो गई।

गृह मंत्रालय ने क्या कहा था?

गृह मंत्रालय ने क्या कहा था?

गृह मंत्रालय ने ये मानने से इनकार कर दिया था कि ये हमला खुफिया विफलता का नतीजा थी। केंद्रीय गृह राज्य मंत्री जी किशन रेड्डी ने जून महीने में कहा था कि जम्मू कश्मीर पिछले तीन दशकों से प्रायोजित और सीमा पार से समर्थित आतंकवाद से प्रभावित है। आतंकवाद के प्रति जीरो टॉलरेंस की नीति और सुरक्षा बलों द्वारा आतंकवादियों के खिलाफ निरंतर कार्रवाई ने पिछले कुछ वर्षों में बड़ी संख्या में आतंकवादियों को निष्प्रभावी कर दिया। सभी एजेंसियां ​​समन्वित तरीके से काम कर रही हैं और खुफिया जानकारी वास्तविक समय के आधार पर विभिन्न एजेंसियों के बीच साझा की जाती हैं। लवामा आतंकी हमले में एनआईए द्वारा की गई अब तक की जांच में आरोपियों की पहचान हुई है।

नागरिक वाहन को इजाजत देना महंगा पड़ा

नागरिक वाहन को इजाजत देना महंगा पड़ा

सीआरपीएफ की आंतरिक रिपोर्ट में ये भी कहा गया है कि काफिले की आवाजाही के दौरान नागरिक वाहन को जाने की इजाजत देना सीआरपीएफ के लिए महंगा साबित हुआ। जांच में पता चला कि असामान्य रूप से लंबा काफिला भी कारण था। इस रिपोर्ट में पाया गया कि भारी बर्फबारी की वजह से 4 फरवरी के बाद से कोई भी वाहन जम्मू श्रीनगर राजमार्ग पर नहीं चल रहा था। 14 फरवरी को शाम 3.30 बजे के करीब 76 बटालियन सीआरपीएफ की बस एचआर 49एफ 0637 पर आत्मघाती हमला हुआ। जिस बस पर हमला हुआ वों पांचवें नंबर पर थी। हमले के बाद, हालांकि मानक संचालन प्रक्रिया (एसओपी) का पालन किया गया। सूत्रों ने कहा कि नियमों के अनुसार हर चार वाहनों के बीच एक अंतर होना चाहिए, जो इस मामले में भी किया गया था, यही कारण है कि हमले का असर केवल एक वाहन पर ही था।

15 पेज की है रिपोर्ट

15 पेज की है रिपोर्ट

जांच में ये भी बात सामने आई कि सीआरपीएफ के बंकर वाहन से एक वीडियो मिला है। वीडियो में दिख रहा है कि आरओपी ड्यूटी पर तैनात एएसआई मोहन लाल ने आत्मघाती हमलावर द्वारा चलाए जा रहे वाहन को रोकने की कोशिश की। इस हमलावर आतंकी की पहचान जैश-ए-मोहम्मद के आतंकी आदिल अहमद डार के तौर पर हुई। सूत्रो ने बताया कि 15 पेज की रिपोर्ट सीआरपीएफ के डीजी को मई में सौंपी गई थी, जिसमें उनकी टिप्पणियों का उल्लेख था। हालांकि डीजी आरआर भटनागर ने कहा कि रिपोर्ट उनकी टेबल तक नहीं पहुंची थी और इस वजह से इसपर मैं टिप्पणी नहीं कर सकता हूं। कश्मीर की मौजूदा स्थिति ने अंतिम रिपोर्ट में और देरी की है, क्योंकि घाटी में कानून व्यवस्था बनाए रखने के लिए अधिकारियों को कार्य सौंपा गया है।

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English summary
CRPF inquiry finds Long convoy and intel failure is th reason of Pulwama terror attack
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