CRPF कमांडेंट चेतन चीता का नाम सर्वोच्च वीरता पुरस्कार अशोक चक्र के लिए भेजा गया
नई दिल्ली। सीआरपीएफ के कमांडेंट चेतन चीता का नाम देश के सर्वोच्च वीरता पुरस्कार अशोक चक्र के लिए भेजा गया है। सीआरपीएफ की ओर से उनके नाम की सिफारिश इस पुरस्कार के लिए की गई है। कमांडेंट चीता के अलावा कमांडेंट प्रमोद कुमार का नाम भी वीरता पुरस्कार के लिए सीआरपीएफ ने भेजा है। चेतन 14 फरवरी को जम्मू कश्मीर के बांदीपोर मे हुए एनकाउंटर में बुरी तरह से जख्मी हो गए थे और उन्हें नौ गोलियां लगी थीं।
पीएम मोदी ने भी मांगी थी दुआएं
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी समेत क्रिकेटर वीरेंद्र सहवाग और बॉक्सर विजेंद्र सिंह जैसे लोग उनकी जिंदगी के लिए दुआएं मांगी थीं। चेतन ने अपने ट्रूप्स का इंतजार भी नहीं किया था और वह आतंकियों से लड़ने के लिए सेना के साथ अकेले ही चले गए थे। बांदीपोर के हाजिन में हुआ यह वही एनकाउंटर था जिसमें इंडियन आर्मी के तीन जवान शहीद हो गए थे। सीआरपीएफ के 45वीं बटालियन के कमांडेंट चेतन कुमार चीता का इलाज करीब दो माह तक दिल्ली के एम्स में चला और वह कोमा में थे। चेतन को जैसे ही जम्मू कश्मीर पुलिस से इस बात की जानकारी मिल की दो आतंकवादी गांव में छिपे हैं तो उन्होंने बिल्कुल भी समय बर्बाद नहीं किया और राष्ट्रीय राइफल्स के साथ रवाना हो गए।
नौ गोलियों के बाद भी आतंकियों को किया ढेर
ऑपरेशन में जहां आर्मी ने सामने से मोर्चा संभाला तो चेतन चीता जो कि सीआरपीएफ के पैराट्रूपर हैं अकेले ही आतंकियों से भिड़ गए। उन्होंने 16 रांउड गोलिया फायर कीं तो आतंकियों ने 30 राउंड गोलियां चलाई। जहां एक आतंकी भाग गया तो दूसरा मारा गया। यह- दूसरा आतंकी लश्कर-ए-तैयबा का कमांडर अबु मुसाब था। आतंकियों के पास काफी खतरनाक हथियार थे जिसमें एके-47 के अलावाअलावा यूबीजीएल यानी अंडर बैरेल ग्रेनेड लॉन्चर्स भी थे। चीता की बांहों में फ्रैक्चर्स हो चुके थे, उनके पेट में गोलियां लगी थीं और एक गोली उनकी आंख को चीरती हुई बाहर निकल गई थी। जब उन्हें एयरलिफ्ट करके श्रीनगर के बेस अस्पताल लाया जा रहा था तो किसी को नहीं मालूम था कि कितनी गोलियां उनके शरीर के अंदर थीं। उन्हें नौ गोलियां लगी थीं जिसमें बांह, पेट, पेट का निचला हिस्सा और जांघ जैसे नाजुक अंग शामिल थे। एक गोली उनकी आंख में भी लगी थी।