संकट में इग्नू, कौन करेगा छात्रों की फिक्र?
नई दिल्ली (विवेक शुक्ला)। इंदिरा गांधी नेशनल ओपेन यूनिवर्सिटी (इग्नू) आजकल संकट के दौर से गुजर रही है। वाइस चांसलर मोहम्मद असलम को बीते नवंबर को छुट्टी पर भेज दिया गया था। उन पर अनेक आरोप थे। मानव संसाधन विकास मंत्रालय ने प्रो.असलम के खिलाफ लगते रहे तमाम आरोपों की छानबीन के लिए गुजरात की सेंट्रल यूनिवर्सिटी के वाइस चासंलर सैयद बारी की सदारत में एक कमेटी बनाई थी।
कमेटी से यह भी कहा गया कि वे सुझाव दें कि किस तरह से इग्नू के कामकाज में सुधार किया जा सकता है। इस कमेटी को बार-बार एक्सटेंशन मिलते रहे। आखिरी एक्सटेंशन की अवधि आज खत्म हो रही है।
धांधली का पुराना इतिहास
इग्नू में संकट का दौर पूर्व वाइस चासंलर वी.एन.राजशेखरन के दौर में शुरू हो गया था। उन पर आरोप था कि उन्होंने बहुत से प्राइवेट कालेजों के छात्रों को इग्नू से डिग्री दिलवाने की बात समझैते किए। उऩके खिलाफ सीबीआई जांच बिठाई गई। उनके कई फैसलों को रद्द करने से अनेक छात्रों का करियर प्रभावित हुए।
राष्ट्रपति को पत्र लिखा
इस बीच, इग्नू के भौतिकी विभाग के प्रोफेसर विजयश्री और हिन्दी विभाग के प्रोफेसर जेएम पारेख ने राष्ट्रपति को पत्र लिखकर मांग की है कि वीसी के खिलाफ चल रही जांच को वापस लिया जाए। इन्होंने आशंका जताई है कि जांच निष्पक्ष नहीं होगी।
बता दें कि इग्नू भारतीय संसदीय अधिनियम के द्वारा सितम्बर, 1985 में स्थापित एक केन्द्रीयविश्वविद्यालय है। इसका मुख्य कार्यालय राजधानी में है। यह दुनिया का सबसे बड़ा विश्वविद्यालय है। भारत और अन्य 33 देशों के लगभग 30 लाख विद्यार्थी इसमें अध्ययन करते हैं। यह विश्वविद्यालय भारत में मुक्त और दूरवर्ती अध्ययन का राष्ट्रीय संसाधन केंद्र भी है ।
इग्नू के कामकाज में हो सुधार
इस बीच, दिल्ली यूनिवर्सिटी के हिन्दी विभाग के पूर्व प्रोफेसर डा. प्रताप सहगल ने कहा कि इग्नू के कामकाज को बेहतर बनाने की जरूरत है। इसका कामकाज संतोषजनक नहीं रहा हाल के दौर में। यहां पर जमकर धांधली हो रही है। बेहतर होगा कि मानव संसाधन मंत्रालय इस दिशा में तुरंत पहल करे ताकि इससे जुड़े हजारों स्टुडेंट्स का करियर प्रभावित होने से बचाया जा सके।