बेहतर विकास दर के बावजूद ये 12 राज्य रोजगार देने में विफल, 1.1 करोड़ नौकरियों का नुकसान
नई दिल्ली। केंद्र सरकार अक्सर बेरोजगारी को लेकर विपक्ष के निशान पर रहती है। तमाम विपक्षी दल मोदी सरकार पर आरोप लगाते हैं कि मौजूदा सरकार में युवाओं को रोजगार नहीं मिल रहा है। वहीं क्रिसिल की जो ताजा रिपोर्ट सामने आई है उसमे भी यह कहा गया है कि विकास की रफ्तार बढ़ने के बावजूद नए रोजगार का सृजन नहीं हुआ है और रोजगार की कमी देखने को मिली है। आंकड़ों के अनुसार वित्तीय वर्ष 2018 में 12 बड़े राज्यों में विकास की दर देश की जीडीपी से ज्यादा रही बावजूद इसके रोजगार में बढ़ोतरी देखने को नहीं मिली।
1.1 करोड़ रोजगार का नुकसान
क्रिसिल के अनुसार 2018 में 1.1 करोड़ रोजगार का नुकसान हुआ है। अधिकतर राज्यों में विकास के बावजूद लोगों को रोजगार नहीं मिल सका है। क्रिसिल की रिपोर्ट में कहा गया है कि निर्माण फैन्युफैक्चरिंग, उद्योग, होटल, ट्रांसपोर्ट, संचार आदि सेक्टर में विकास की रफ्तार बढ़ी है लेकिन रोजगार कम हुआ। इन तमाम सेक्टर में राष्ट्रीय विकास की दर की तुलना में अधिक विकास हुआ लेकिन रोजगार के मामले में ये फिसड्डी साबित हुए।
तीनों राज्यों में भाजपा को मिली हार
गुजरात, बिहार और हरियाणा में विकास के साथ लोगों को अधिक रोजगार मिलना चाहिए था, क्योंकि यहां विकास की रफ्तार अधिक थी। वहीं राजस्थान, झारखंड और मध्य प्रदेश में सबसे कम विकास हुआ गौर करने वाली बात है कि इन तीनों ही राज्यों में भाजपा की सरकार थी लेकिन हाल ही में हुए चुनाव में पार्टी को हार का सामना करना पड़ा है। रिपोर्ट में कहा गया है कि पिछले वित्तीय वर्ष में देश के 12 राज्यों में विकास की दर देश के विकास दर से अधिक थी।
केंद्र पर बढ़ा बोझ
जिन 12 राज्यों में विकास की दर देश के विकास दर से अधिक थी वहां रोजगार का सृजन नहीं हुआ है। यही नहीं जिन राज्यों में विकास हुआ और जिन राज्यों की विकास दर कम रही है उसका अंतर पिछले वर्ष काफी बढ़ा है। रिपोर्ट में कहा गया है कि केंद्र का वार्षिक कर्ज बढ़ा है जिसकी वजह से इन राज्यों पर और दबाव पड़ा है। जिसकी वजह से केंद्र सरकार को इन राज्यों पर अधिक खर्च करना पड़ा है। जिन राज्यों में विकास की दर कम रही है उन राज्यों में केंद्र सरकार को 65 फीसदी व्यय करना पड़ा है।
इन राज्यों में रही स्थिति बेहतर
राजस्थान, झारखंड और उत्तर प्रदेश में पिछले तीन वर्षों में वार्षिय व्यय काफी बढ़ा है जिसमे स्वास्थ्य, सिंचाई और शिक्षा के क्षेत्र पर अधिक ध्यान नहीं दिया गया, जहां सरकार को अधिक खर्च करना चाहिए था। महंगाई, विकास और वार्षिक कर्ज की बात करें तो इन तीनों ही क्षेत्रों में गुजरात, कर्नाटक शीर्ष दो स्थान पर रहे हैं औ काफी बेहतर प्ररदर्शन किया। बेहतर जबकि केरल, पंजाब ने बेहतर प्रदर्शन करने वाले राज्यों की सूचि में आखिरी के तीन पायदान हासिल किए।
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