अयोध्या केस: SC के फैसले पर माकपा ने उठाए सवाल, कहा- 1992 के आरोपियों को भी मिले सजा
नई दिल्ली। अयोध्या रामजन्म भूमि विवाद पर सुप्रीम कोर्ट ने शनिवार को अपना फैसला सुनाया। न्यायालय ने विवादित जमीन को लेकर रामलला के पक्ष में फैसला दिया है जबकि मस्जिद निर्माण के लिए केंद्र से कहा कि अयोध्या में सुन्नी वक्फ बोर्ड को पांच एकड़ की जमीन दी जाए। सुप्रीम कोर्ट के फैसले को गृहमंत्री अमित शाह और आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत ने एतिहासिक बताया है वहीं दूसरी ओर भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी) ने फैसले में शंका जाहिर की है।
भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी) ने शनिवार को कहा कि, अयोध्या पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले को जीत के रूप में नहीं देखा जाना चाहिए। न्यायालय के फैसले के खिलाफ किसी को भी भड़काऊ या उत्तेजित करने वाले कार्यों से बचना चाहिए। सीपीआई(एम) ने कहा कि, कोर्ट ने लंबे समय से चले आ रहे इस विवादित मामले के न्यायिकरूप दिया है। लेकिन सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले पर कई ऐसी बाते हैं जो सवाल खड़ा करती है। माकपा ने कहा कि, वर्ष 1992 में बाबरी मस्जिद विध्वंस मामले की सुनवाई करते हुए खुद कहा था कि यह कानून का उल्लंघन था।
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माकपा ने आगे कहा कि, वर्ष 1992 में मस्जिद गिराया जाना आपराधिक कृत्य था और धर्मनिरपेक्ष सिद्धांत पर हमला था। कोर्ट को इस मामले पर भी तेजी दिखानी चाहिए और दोषियों को सजा दी जानी चाहिए। माकपा ने कहा कि, पार्टी काफी समय पहले से ही अयोध्या विवाद पर न्यायिक फैसले की मांग कर रही थी, जब जो विवाद वार्ता से हल नहीं हो सकता तो उसका न्यायिक सामाधान निकालने की आवश्यकता है। शनिवार को सुप्रीम कोर्ट ने इस विवादित मुद्दे को न्यायिक रूप दिया लेकिन फैसले पर सवालिया निशान भी बना हुआ है। माकपा ने लोगों से अपील की है कि किसी भी प्रकार के भड़काऊ बयान से बचें और सांप्रदायिक सद्भाव को बाधित ना करें।