बदलाव की ओर लाल सलाम
नई दिल्ली। बदलती राजनैतिक परिदृश्य में मार्क्सवादी विचाराधारा को भी अपनी सोच पर रणनीति पर सोचने को मजबूर कर दिया है। चार दिन की माथापच्ची के बाद सीपीआई(मार्क्सिस्ट) के महासचिव प्रकाश करात ने कहा कि पार्टी जल्द ही नई राजनैतिक दिशा की ओर बढ़ेगी। उन्होंने कहा कि देश भर में लोगों की सोच और विचारधारा को सीपीआई समझने में असफल रही है।
पिछले कुछ दिनों से चर्चा थी कि प्रकाश करात और सीताराम येचुरी के बीच मनमुटाव चल रहा है। सूत्रों की माने तो पार्टी की देश में दुर्दशा के लिए येचुरी प्रकाश करात को जिम्मेदार मानते हैं। लकिन इसपर सफाई देते हुए प्रकाश करात ने कहा कि हमारे बीच कोई मनमुटाव नहीं है।
प्रकाश करात ने कहा कि पार्टी जल्द ही पार्टी का नया रिजोल्यूशन पास करेगी साथ ही पार्टी के भीतर सुधार के लिए चर्चा करेगी। चार दिन तक पार्टी के आला पदाधिकारियों की चली बैठक के बाद पार्टी ने नई राजनैतिक दिशा को अपनाने की जरूरत पर बल दिया। वहीं 1978 में सीपीआई (मार्क्सिस्ट) की जालंधर कांग्रेस में जिस विचारधारा को अपनाया गया था। उसपर भी पुनर्विचार किया गया।
जालंधर कांग्रेस में सीपीआई ने देशभर में कांग्रेस के विरुद्ध एक वृहद सांप्रदायिक रूप लेने की बात कही गयी थी। साथ ही अन्य पार्टियों और भाजपा को भी लोगों के बीच बेपर्दा करने का रिजोल्यूशन पास किया गया था।
आपको बता दें कि सीपीएम नेात सीताराम येचुरी ने 90 सदस्यों के बीच पांच पन्नों की एक रिपोर्ट पेश की जोकि जालंधर कांग्रेस का समर्थन कर रही थी। रिपोर्ट में येचुरी ने कहा कि पार्टी की क्षमता और ताकर पिछले एक दशक में पूरे देश में कम हुई है। इसके लिए उन्होंने पार्टी के केंद्रीय नेतृत्व और महासचिव प्रकाश करात को जिम्मेदार ठहराया है। पार्टी का एक बड़े धडे का यह भी सोचना है कि पश्चिम बंगाल में सांप्रदायिकता काफी बढ़ी है।
गौरतलब है कि 2004 में सीपीआई (एम) के पास लोकसभा में 44 सांसद थे जब उसने कांग्रेस को समर्थन किया था। लेकिन चार साल बाद यूपीए-1 से समर्थन वापस लेने के बाद सीपीआई के पास 9 सीटें बची हैं। यही नहीं पश्चिम बंगाल में भी ममता बनर्जी ने 34 साल के एकक्षत्र राज को समाप्त कर दिया है। वहीं केरल के साथ देश के अन्य राज्यों में भी पार्टी की हालत काफी खराब है।