17 से 22 सितंबर तक माकपा का देशव्यापी विरोध प्रदर्शन, इन मुद्दों पर केंद्र सरकार को घेरने की तैयारी
नई दिल्ली। भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी मार्क्सवादी (माकपा) महासचिव सीताराम येचुरी ने रविवार को बताया कि सीपीआई (एम) ने 17 से 22 सितंबर तक अल्पसंख्यकों, लोकतांत्रिक अधिकारों और नागरिक स्वतंत्रता से संबंधित मुद्दों पर सरकार के खिलाफ एक राष्ट्रव्यापी अभियान चालाने की योजना बनाई है। उन्होंने कहा, इस अभियान में आयकर के दायरे में नहीं आने वाले देश के प्रत्येक परिवारों को अलगे 6 महीने तक प्रति माह 7,500 रुपए तत्काल नकदी अंतरण पर जोर दिया गया है।
इसके अलावा सरकार से मांग की जाएगी कि अगले छह महीने तक प्रत्येक व्यक्ति को 10 किलोग्राम मुफ्त अनाद वितरण का कार्य तत्काल शुरू किया जाए। माकपा नेता ने कहा, अभियान के दौरान सांप्रदायिक ध्रुवीकरण को निशाना बनाना, लोकतांत्रिक अधिकारों और नागरिक स्वतंत्रता पर बड़े पैमाने पर हमले, अल्पसंख्यकों, महिलाओं, दलितों, आदिवासियों और अन्य हाशिए पर बढ़ते क्रूर हमलों के खिलाफ, निजीकरण के माध्यम से राष्ट्रीय संपत्ति की लूट और श्रम कानूनों की लूट को उजागर किया जाएगा।
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सरकार
के
सामने
उठाएंगे
ये
मुद्दे
सीताराम
येचुरी
ने
कहा
कि
माकपा
मांग
करेगी
कि
भाजपा
की
अगुवाई
वाली
केंद्र
सरकार
तत्काल
लोगों
की
जरूरतों
को
पूरा
करने
के
लिए
उचित
कदम
उठाए।
बता
दें
कि
येचुरी
शनिवार
को
पार्टी
के
पोलितब्यूरो
से
मिलने
के
एक
दिन
बाद
मीडिया
को
यह
जानकारी
दी
है।
उन्होंने
यह
भी
कहा
कि
उनकी
मांगों
में
मनरेगा
का
विस्तार
शामिल
होगा,
जिसमें
साल
में
कम
से
कम
200
दिन
काम
करना
सुनिश्चित
हो।
माकपा
नेता
ने
शहरी
रोजगार
गारंटी
अधिनियम
को
लागू
करने
और
सभी
बेरोजगारों
के
लिए
एक
भत्ते
की
घोषणा
की
भी
मांग
की।
उन्होंने
कहा,
यह
देशव्यापी
विरोध
अनिवार्य
रूप
से
सभी
नागरिकों
के
लिए
संविधान
और
उसकी
मौलिक
स्वतंत्रता,
समानता
और
बंधुत्व
की
मूलभूत
गारंटी
को
सुरक्षित
रखने
के
लिए
होगा।
येचुरी
ने
यह
भी
कहा
कि
पोलितब्यूरो
की
मुलाकात
के
दौरान
कई
मुद्दों
पर
चर्चा
हुई
और
आपने
अर्थव्यवस्था
की
स्थिति
के
साथ-साथ
COVID-19
महामारी
की
स्थिति
को
भी
शामिल
किया।