Covishield and Covaxin:कोरोना की कौन सी वैक्सीन ज्यादा असरदार, संभावित कीमत से लेकर सबकुछ जानिए
Covishield and Covaxin:ड्रग कंट्रोलर जनरल ऑफ इंडिया (DCGI)ने रविवार को कोविड-19 की रोकथाम के लिए देश में दो वैक्सीन को इमरजेंसी इस्तेमाल को मंजूरी दे दी है। माना जा रहा है कि जिस तरह से वैक्सीनेशन ड्राइव के लिए पहले ही पूरी तैयारी है और ड्राइ रन तक हो चुके हैं, किसी भी समय इसकी शुरुआत हो सकती है। जिस तरह से दो-दो वैक्सीन को एक साथ हरी झंडी मिली है, उससे लगता है कि फ्रंटलाइन वर्कर्स को मुफ्त में दी जाने वाली वैक्सीन के पहले फेज में ज्यादा से ज्यादा लोग शामिल हो सकेंगे। आइए जानते हैं कि सीरम इंस्टीट्यूट और भारत बायोटेक की जिन दोनों वैक्सीन को डीसीजीआई (DCGI) ने रविवार को आपत इस्तेमाल के लिए हरी झंडी दिखाई है, उन दोनों में क्या अंतर हैं, दोनों कितने असरदार हैं और उनकी संभावित कीमतें क्या हो सकती हैं।
दोनों वैक्सीन किसने तैयार की?
कोविशील्ड (Covishield) को ऑक्सफॉर्ड यूनिवर्सिटी ने दवा कंपनीएस्ट्राजेनेका(Oxford University/Astrazeneca) के साथ मिलकर तैयार किया है। इसमें भारत की सीरम इंस्टीट्यूट (Serum Institute of India) मैन्युफैक्चरिंग और ट्रायल पार्टनर है। जबकि, कोवैक्सीन (Covaxin) कोविड-19 के खिलाफ बनी भारत की पहली देसी वैक्सीन (India's first indigenous Covid-19 vaccine) है। इसे भारत बायोटेक (Bharat Biotech) ने इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च एंड नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ वायरोलॉजी (ICMR/NIV)के साथ मिलकर बनाया है।
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कोविशील्ड कैसे बनाई गई ?
कोविशील्ड (Covishield)में चिंपाजीं (chimpanzee) को संक्रमित करने वाले कॉमन कोल्ड (सर्दी-जुकाम) वायरस एडिनोवायरस (adenovirus) के कमजोर हिस्से और एसएआरएस-सीओवी-2 (SARS-CoV-2-कोरोना वायरस) वायरस के स्पाइक प्रोटीन (spike protein) के जेनेटिक तत्वों का इस्तेमाल हुआ है। वैक्सीन की डोज लगने के बाद इससे स्पाइक प्रोटीन पैदा होती है, जो कोरोना वायरस के खिलाफ शरीर में इम्यून सिस्टम को मजबूत करती है, जिससे अगर बाद में यह वायरस शरीर को संक्रमित करने की कोशिश करता है तो वह नाकाम हो जाता है।
कोवैक्सीन कैसे बनी और कैसे काम करती है?
कोवैक्सीन (Covaxin) एक निष्क्रिय टीका (inactivated vaccine) है। निष्क्रिय टीके वो होते हैं जो बीमारी पैदा करने वाले जिंदा माइक्रोऑर्गेनिज्म (live microorganisims) को निष्क्रिय कर देते हैं। यह रोग पैदा करने वाले कारकों (pathogen's) को बढ़ने की क्षमता को नष्ट कर देते हैं। लेकिन, इससे इम्यून सिस्टम के वायरस की पहचानने की क्षमता नष्ट नहीं होती और जरूरत के मुताबिक यह अपना काम करता रहता है। हेपेटाइटिस ए(Hepatitis A), इंफ्लूएंजा (Influenza), पोलियो(Polio), रेबीज(Rabies) के खिलाफ कई निष्क्रिय टीके हैं। भारत बायोटेक के मुताबिक ये सारे टीके बहुत ही बेहतर सुरक्षा देते हैं।
कोविशील्ड और कोवैक्सीन में कौन कितनी असरदार?
डीसीजीआई (DCGI) के मुताबिक सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया (Serum Institute of India)ने कोविशील्ड (Covishield)को लेकर पहले फेज का जो क्लिनिकल डाटा पेश किया है, उसमें विदेशों में 23,745 प्रतिभागियों पर हुए इस्तेमाल में यह 70.42 फीसदी प्रभावी रहा। दूसरा और तीसरा ट्रायल भारत में 1,600 प्रतिभागियों पर किए गए और नतीजे पहले ही फेज जैसे रहे हैं।
भारत बायोटेक (Bharat Biotech)ने कोवैक्सीन (Covaxin) को कई तरह के जानवरों के अलावा पहली और दूसरी ट्रायल 800 प्रतिभागियों पर किया। तीसरी ट्रायल अभी चल ही रही है और 22,500 प्रतिभागी इसमें हिस्सा ले भी चुके हैं। ड्रग कंट्रोलर जनरल ऑफ इंडिया के मुताबिक कोवैक्सीन प्रभावी और सुरक्षित पायी गई है।
दोनों वैक्सीन की संभावित कीमत जानिए
केंद्र सरकार पहले ही साफ कर चुकी है कि देश में सभी फ्रंटलाइन वर्कर्स को कोरोना की वैक्सीन मुफ्त लगाई जाएगी। इसलिए, कीमत की बात तब उठेगी, जब भारत में बड़े पैमाने पर टीकाकरण शुरू होगा और विदेशों में भी इन दोनों वैक्सीन की सप्लाई शुरू होगी, क्योंकि कई देशों ने इन्हें खरीदने की इच्छा जताई है। लेकिन, सीरम इंस्टीट्यूट के सीईओ अदार पूनावाला (Serum Institute CEO Adar Poonawalla) ने पहले कहा था कि इसकी कीमत करीब 400 रुपये होगी। जबकि, भारत बायोटेक की वैक्सीन की कीमत 100 रुपये से भी कम रहने की संभावना है, लेकिन इसको लेकर कोई आखिरी जानकारी सामने नहीं आई है।
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