Covid-19: तमिलनाडु में बिगड़ रही स्थिति, अस्पतालों में एक तिहाई मरीज, 25% गहन निगरानी में
चेन्नई, 9 मई। तमिलनाडु में कोरोना वायरस के चलते स्थिति गंभीर होती जा रही है। राज्य से जारी मेडिकल आंकड़ों के मुताबिक अस्पताल में भर्ती होने वाले कोविड-19 संक्रमित रोगियों का प्रतिशत तेजी से बढ़ा है।
25% मरीज ऑक्सीजन सपोर्ट या आईसीयू में
पिछले सप्ताह के आंकड़ों का अध्ययन करने पर पता चलता है पिछले दो दिनों में रोगियों के अस्पताल में भर्ती होने में भारी उछाल आया है। एक सप्ताह पहले 27% सक्रिय रोगी अस्पतालों में थे। शनिवार को यह बढ़कर 35.7% हो गया। इसका मतलब है कि हर तीन में से एक कोरोना मरीज अस्पताल में है। आंकड़ों से यह भी पता चलता है कि सभी रोगियों में से लगभग 25% यानि एक-चौथाई आईसीयू या ऑक्सीजन सपोर्ट पर हैं।
द हिंदू की खबर के मुताबिक बुधवार और शनिवार के बीच राज्य में सक्रिय मामलों की संख्या 11,000 बढ़ी है। लगभग इतनी ही संख्या में अस्पताल में भर्ती हुए हैं। तमिलनाडु ने पिछले सप्ताह अस्पताल में भर्ती होने के लिए आंकड़े देने शुरू किए हैं।
खाली बेड की संख्या भी घट रही
राज्य में बेड की क्षमता अजीब सा ट्रेंड देखा गया है। बुधवार और शुक्रवार के बीच इसमें गिरावट देखी गई। हालांकि शनिवार को इसमें मामूली वृद्धि हुई है। बुधवार को 67,649 बेड उपलब्ध थे जो शुक्रवार को 7000 तक कम होकर 61,050 बेड रह गए। शनिवार को यह बढ़कर 63,719 हो गई।
स्वास्थ्य और परिवार कल्याण विभाग के एक अधिकारी ने कहा कि बिस्तर क्षमता में उतार-चढ़ाव संभवतः सभी अस्पतालों के डेटा को अपडेट करने में हुए समय के अंतर के कारण था।
इस बीच 1 मई की तुलना में 8 मई को खाली बेड का प्रतिशत भी कम हुआ है। 1 मई को 48.3 प्रतिशत बिस्तर खाली थे। 8 मई को आईसीयू और ऑक्सीजन सपोर्ट वाले केवल 13.7 प्रतिशत बेड खाली हैं।
प्रतिशत में वृद्धि के पीछे टेस्टिंग में कमी
विशेषज्ञों का मानना है कि अस्पताल में रोगियों की वृद्धि के पीछे संक्रमण के मामलों की देर से पहचान वजह हो सकती है। वे कहते हैं कि साल की शुरुआत में वायरस को हल्के में लिया गया। जबकि कर्मियों और प्रणालियों की क्षमता को कम से कम छह महीने से एक साल तक बनाए रखना चाहिए।
अस्पतालों में अधिक लोगों के भर्ती होने की एक वजह परीक्षण में कमी भी मानी जा रही है। दरअसल बड़ी मात्रा में उनका ही कोविड टेस्ट किया जा रहा है जिनमें पहले से लक्षण हैं या फिर वे बीमार हैं। ऐसे रोगियों का टेस्ट करने पर स्वाभाविक रूप से पता लगने वाले मामलों की बड़ी मात्रा को अस्पताल में भर्ती करने की आवश्यकता होगी।
इसके लिए विशेष रूप से ग्रामीण क्षेत्रों में परीक्षण को तेज करने, प्रसार का पता लगाने और इसमें शामिल होने और घातक घटनाओं को कम करने की आवश्यकता है।
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