Covid Hotspots: ये फैक्टर भी कोरोना वायरस संक्रमण में तेजी के लिए हो सकते हैं बड़े जिम्मेदार!
नई दिल्ली। कोरोना वायरस महामारी के बाच दुनिया के दो सबसे प्रदूषित शहरों में शामिल शहर नई दिल्ली और सियोल के निवासियों को महामारी के बीच वायु प्रदूषण से फौरी राहत मिली है, क्योंकि दोनों बड़ महानगरों में पिछले साल की तुलना में हवा के कणों में प्रदूषण के स्तर में क्रमशः 60 फीसदी और 54 फीसदी गिरावट दर्ज किया है।
दिल्ली के एक निवासी ने कहा, "यह सकारात्मक रूप से एक बड़ी बात है"। स्वच्छ हवा हमेशा शहरी आबादी के लिए स्वागत योग्य समाचार है और नए शोध की रोशनी में पाया गया है कि लंबे समय तक वायु प्रदूषण के लंबे संपर्क वाले लोगों में COVID -19 से मौत का अधिक जोखिम है।
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साइंस ऑफ द टोटल एनवायरनमेंट नामक जर्नल में प्रकाशित नए शोध में पाया गया है कि दुनिया भर में वायु प्रदूषण से दीर्घकालिक संपर्क वाले लोगों में COVID-19 वायरस का जोखिम को घातक स्तर तक पहुंचाने में एक महत्वपूर्ण योगदानकर्ता हो सकता है।
अध्ययन के दौरान चार देशों में COVID-19 घातकताओं को देखा गया, जो वायरस से सबसे ज्यादा प्रभावित हुए हैं। इनमें जर्मनी, फ्रांस, इटली और स्पेन शामिल है। पाया गया कि उत्तरी इटली और स्पेन में सिर्फ पांच क्षेत्रों में 78 फीसदी मौतें हुईं।
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रिपोर्ट नोट में इन क्षेत्रों में नाइट्रोजन डाइऑक्साइड (NO2) की सबसे अधिक सांद्रता है, जो मानव श्वसन प्रणालियों के लिए हानिकारक प्रदूषक है, जबकि उनकी भौगालिकता यानी कि ये क्षेत्र नीचे की ओर हवा के दबाव से भी पीड़ित हैं, जिससे वायुजनित प्रदूषकों के फैलाव को रोका जा सकता है।
इटली का सबसे अधिक प्रभावित क्षेत्र लोम्बार्डी (मिलान का घर) रहा है
इटली का सबसे अधिक प्रभावित क्षेत्र लोम्बार्डी (मिलान का घर) रहा है, जिसने इटली की कुल संक्रमितों की संख्या का लगभग आधा हिस्सा दर्ज है। पीडमोंट, एमिलिया रोमाग्ना और वेनेटो के साथ, लोम्बार्डी क्षेत्र पो वैली में आती है, जो पहाड़ों से घिरा हुआ है इसलिए हवा का दबाव नीचे की ओर होता है।
NO2 लेबल और COVID-19 से जुड़ी मौतों के बीच एक मजबूत संबंध है
स्पेन में सबसे अधिक प्रभावित क्षेत्र मैड्रिड प्रशासनिक क्षेत्र रहा है, जैसा कि अध्ययन बताता है, मैड्रिड भी पहाड़ों से घिरा हुआ है और ऐसे पारिस्थितिकीय वालें स्थानों पर NO2 के स्तरों और COVID-19 से जुड़ी मौतों के बीच एक बहुत मजबूत संबंध है।
पर्यावरण को विषाक्त करने का मतलब है कि शरीर को विषाक्त करना
अध्ययन के लेखकों ने यह कहा, "हमारे पर्यावरण को विषाक्त करने का मतलब है कि हमारे शरीर को विषाक्त करना और जब यह एक स्थायी श्वसन तनाव (Chronic respiratory stress) का अनुभव करता है, तो ऐसे में संक्रमण से लोगों में खुद की रक्षा करने की क्षमता सीमित होती है।"
सिर्फ 1 माइक्रोग्राम वायु प्रदूषण कम करने से कम हो सकती थीं 248 मौतें
हार्वर्ड विश्वविद्यालय के एक और हालिया अध्ययन ने इसी तरह के निष्कर्ष पर पहुचे हैं। 3,080 यूएस काउंटियों के विश्लेषण में पाया गया कि वायु प्रदूषण के लंबे समय तक संपर्क में एक छोटी सी वृद्धि भी COVID-19 लक्षणों की गंभीरता पर महत्वपूर्ण प्रभाव डाल सकती है। यह बताता है कि मैनहट्टन में पिछले 20 वर्षों में हवाई कणों की औसत मात्रा को सिर्फ एक माइक्रोग्राम कम करने से नगर में बीमारी से 248 कम मौतें हो सकती थीं।
वायु प्रदूषण Covid19 प्रति अधिक संवेदनशील बनाने का काम करता है
विश्व आर्थिक मंच में प्रकाशित लेख के मुताबिक, यह हमारे श्वसन तंत्र को कमजोर करने और हमें COVID-19 के प्रति अधिक संवेदनशील बनाने के साथ-साथ वायु प्रदूषण भी वेक्टर (वायरस के संचरण की विधि के रूप में) के रूप में कार्य कर सकता है। इटली में वैज्ञानिकों ने वायु प्रदूषण के कणों पर कोरोनोवायरस का पता लगाया है, जो विश्वास कर सकते हैं कि वे वायरस को फैलने में मदद करते हैं।
क्या प्रदूषण कणों पर सवारी करने के बाद वायरस व्यवहार्य रहता है?
हालांकि उक्त निष्कर्ष प्रारंभिक हैं, और यह अभी तक ज्ञात नहीं है कि क्या प्रदूषण कणों पर सवारी करने के बाद वायरस व्यवहार्य रहता है अथवा क्या यह पर्याप्त मात्रा में संक्रमण कारणों के लिए ऐसा कर सकता है।