COVID-19 vaccination:वैक्सीन ना लगवानी पड़े, इसलिए स्वास्थ्यकर्मी बना रहे हैं ऐसे-ऐसे बहाने
COVID-19 vaccination drive:कोरोना वायरस वैक्सीन पहले फेज में हेल्थकेयर वर्करों और फ्रंटलाइन वर्करों को लगाई जा रही है। लेकिन, 16 जनवरी से शुरू हुए इस अभियान में जिन लोगों का नाम वैक्सीन लगवाने के लिए चुना गया है, उनकी उपस्थिति पूरी नहीं हो पा रही है। शुरू के कुछ दिनों में तो कई जगहों पर काफी कम लोग वैक्सीन लगवाने पहुंचे। यूं तो कोविशील्ड और कोवैक्सीन (Covishield and Covaxin) दोनों टीका लगवाने को लेकर हेल्थकेयर वर्करों में हिचकिचाहट दिखाई दे रही है, लेकिन कोवैक्सीन का टीका लगवाने से हिचकिचाने वालों की तादाद ज्यादा है। सबसे बड़ी हैरानी की बात ये है कि इसमें कुछ डॉक्टर भी शामिल हैं, जो टीका लगवाने से अभी भी घबरा रहे हैं और इससे बचने के लिए एक से बढ़कर एक बहाने बना रहे हैं।
देश में बनी दो वैक्सीन, ना लगवाने को 100 बहाने
यूं तो पूरे देश में कुछ हेल्थ वर्कर कोरोना वैक्सीन लगवाने से अभी डरते नजर आ रहे हैं। लेकिन, टीओआई की एक रिपोर्ट के मुताबिक गुरुवार को हैदराबाद और बेंगलुरु में कई निजी और सरकारी हेल्थकेयर वर्कर इससे बचने की कोशिश में झूठ बोलते नजर आए। मसलन, ब्रुहत बेंगलुरु महानगर पालिके के एक स्वास्थ्य अधिकारी ने बताया कि उन्हें कम से कम 20 ऐसे लोग मिले हैं, जो वैक्सीन लगवाने से बचने के लिए झूठ का सहारा लेते नजर आए हैं। एक सूत्र के मुताबिक 'एक मेडिकल ऑफिसर ने नर्स से कहा कि उसकी बांह पर रुई पकड़े रहे, ताकि ऐसा लगे कि उसने टीका लगवाया है।'
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वैक्सीन लगने के डर से कई लोगों ने ले ली छुट्टी
हैदराबाद का हाल तो और भी अजीब है। यहां 16 जनवरी को जब से टीकाकरण अभियान शुरू हुआ है, सरकारी अस्पतालों, प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों और शहरी प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों के 10 से 15 फीसदी स्टाफ काम पर लौटकर नहीं आए हैं। एक वैक्सीनेशन सेशन इंचार्ज के मुताबिक, 'कुछ कर्मचारी वैक्सीन शुरू होने वाले दिन से ही छुट्टी पर हैं। कुछ उस दिन से काम पर नहीं लौटे हैं, जिस दिन उन्हें टीका पड़ना था।' जिन्हें टीका पड़ना था, उनमें से कुछ ने बहुत जरूरी कारणों के बहाने अचानक छुट्टी ले ली है। एक रिपोर्ट बताती है कि अगर दोनों वैक्सीन की तुलना करें तो स्वदेशी वैक्सीन कोवैक्सीन (Covaxin)को लेकर थोड़ी ज्यादा हिचकिचाहट नजर आ रही है।
कुछ डॉक्टरों में भी है घबराहट
रिपोर्ट बताती है कि कोवैक्सीन को लेकर दिल्ली के डॉक्टरों में ज्यादा घबराहट नजर आ रही है, क्योंकि इसके प्रभावी होने के पूरे आंकड़े उपलब्ध नहीं हैं। दिल्ली के एक अस्पताल प्रशासन के मुताबिक वैसे लाभार्थी कोविशील्ड को ज्यादा तबज्जो दे रहे हैं। गौरतलब है कि कोवैक्सीन बनाने वाले कंपनी भारत बायोटेक (Bharat Biotech) ने 19 जनवरी को एक फैक्टशीट जारी कर लोगों को सलाह दी थी कि अगर वो कोई ऐसी दवा पर हैं, जो उनके इम्यून सिस्टम को प्रभावित कर सकता है तो कोवैक्सीन (Covaxin) का टीका ना लें। इसमें यह भी सलाह दी गई थी कि अगर किसी को एलर्जी है या कोई दूसरी गंभीर स्वास्थ्य समस्या है तो वैक्सीनेशन ऑफिसर को उसके बारे में बता दें।
कोविशील्ड लगवाने की मांग ज्यादा
अगर देश के 6 शहरों में कोविशील्ड और कोवैक्सीन लगवाने वालों की तुलना करें तो दिल्ली में- कोविशील्ड- 48 फीसदी और कोवैक्सीन 33 फीसदी, पुणे में कोविशील्ड- 53 और कोवैक्सीन 47 फीसदी, मुंबई में कोविशील्ड- 49 फीसदी और कोवैक्सीन 31 फीसदी, पटना में कोविशील्ड- 55 फीसदी और कोवैक्सीन 49 फीसदी,चेन्नई में कोविशील्ड- 50 फीसदी और कोवैक्सीन 47 फीसदी और जयपुर में कोविशील्ड- 55 फीसदी और कोवैक्सीन 49 फीसदी लोगों ने लगावाया है।। इनमें सबसे ज्यादा वैक्सीनेशन टारगेट पटना में हासिल किया गया, जहां 55 लाभार्थियों ने मंगलवार शाम तक ये वैक्सीन लगवाया था।