Salute to Doctors: मरीजों की जान बचाने के लिए लिए जान हथेली पर लेकर खड़े हैं डॉक्टर्स!
नई दिल्ली। कोरोना वायरस महामारी की भयावता का अंदाजा लगाना मुश्किल नहीं है, जिससे संक्रमित मरीज ही नहीं, मरीजों का इलाज करने वाल डाक्टरों की जिंदगी का खतरा बराबर बना रहता है, लेकिन दुनिया भर के डाक्टर और स्वास्थ्यकर्मी मरीजों के इलाज और सेवा में जान हथेली पर लेकर पेशेवर जिम्मेदारी में जुटे हुए हैं।
चीन के वुहान सिटी से पूरी दुनिया में फैली महामारी में डाक्टर्स को भी संक्रमित होकर अपनी जान से हाथ धोना पड़ा है। इसलिए सबसे पहला नाम चीनी डॉक्टर ली वेनलियान्ग का लिया जा सकता है, जिनकी मौत कोरोना वायरस संक्रमित मरीज के इलाज करते हुए वायरस की चपेट में आने से हुई थी। डाक्टर ली वेनलियान्ग ही वो शख्स थे, जिन्होंने कोरोना वायरस को लेकर सबसे पहले दुनिया को चेताया था।
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अब तक पूरी दुनिया में सैकड़ों डाक्टर कोरोना संक्रमण के चलते क्वारेंटीन किए जा चुके हैं और दर्जनों डाक्टरों की मौत हो चुकी है। इनमें चीन, इटली, फिलीपींस, ब्रिटेन और अमेरिका का नाम लिया जा सकता हैं, जहां स्वास्थ्यकर्मी बुरी तरह से संक्रमित होकर मौत के गाल समाए हैं।
कोरोना संक्रमित मरीजों की इलाज और सेवा में दिन-रात जुटे स्वास्थ्यकर्मी संक्रमण की भयावहता से भली-भांति परिचित हैं, लेकिन अपने पेशेवर जिम्मेदारी को बखूबी निभाते आ रहे हैं। पेशेगत जिम्मेदारी निभा रहे डाक्टरों, नर्स और वार्ड ब्वॉय सभी की अपनी फेमली है और ऐसा नहीं है कि उनके परिवार वालों की उनकी चिंता नहीं है, लेकिन स्वास्थ्यकर्मी अपनी चिंता को ताख पर रखकर अपनी फर्ज को ऊपर रखकर मरीजों की इलाज में रत हैं।
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एम्स दिल्ली में तैनात डा अमनदीप लगातार कोरोना संक्रमित मरीजों की इलाज में लगे हुए हैं। एएनआई से बातचीत में उन्होंने बताया कि उनकी मां लगातार मरीजों की इलाज और सेवा करने के लिए कहती रहती है। यही नहीं, उन्होंने बताया कि उनकी मां लगातार वॉयस मैसेज के जरिए उनका हालचाल लेती रहती है, जो बेहद इमोशनल होते हैं।
एम्स के Covid19 वार्ड में तैनात डा अमनदीप लोगों से अपील करते हुए कहा कि कोरोना से बचाव के लिए लोगों को अपने घरों में रहना चाहिए, इसके जरिए ही कोरोना वायरस को हराया जा सकता है।
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एम्स में Covid19 वार्ड में तैनात डा अंबिका अपने अनुभव शेयर करते हुए रो पड़ी। उन्होंने बताया कि वो अपने परिवार से काफी दिनों से नहीं मिली है। डा. अंबिका कहती है कि जरा से असावधानी से कोरोना महामारी किसी को भी हो सकता है और ऐसे समय अगर उन्हें कुछ हो जाए तो हम उनके पास नहीं हो सकते हैं।
हालांकि डा. अंबिका ने बताया कि उनके परिवार ने महामारी के दौरान पेशेगत खतरे को लेकर कभी भी उनकी फेमली ने दबाव नहीं बनाया। शायद यही कारण है कि मैं लगातार अपनी पेशेगत जिम्मेदारियों को लगातर जुड़ी हुई हूं, लेकिन दोनों तरफ यह डर बना रहता है कि अगर कोई संक्रमित हो गया तो शायद एकदूसरे से जल्दी मिल पाएंगे।
इस बीच जब कोरोना पॉजिटिव मरीजों का इलाज कर रहे स्वास्थ्यकर्मियों पर हमले और उनके साथ दुर्व्यहार की खबरें आती हैं तो डाक्टर और उनके परिवार पर क्या बीतती होगी, इसे आसानी से समझा जा सकता है, जिन्होंने मरीजों की जिंदगी बचाने के लिए अपने परिवार के सदस्यों को जान हथेली पर रखकर हॉस्पिटल में फर्ज और देशसेवा के लिए न्यौछावर किया हुआ है।
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राजधानी दिल्ली में निजामुद्दीन मरकज में जमा हुए 1500 से अधिक लोगों को जब निकालकर हॉस्पिल पहुंचाया गया और तो उनके पुलिस और डाक्टरों पर थूकने की खबरें सामने आईं। ऐसी ही खबरें उत्तर प्रदेश के गाजियाबाद जिले से भी आईं, जहां कथित रूप से तब्लीगी जमात के लोगों द्वारा महिला मेडिकल स्टॉफ के साथ बदसलूकी की खबरें आई।
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ऐसी ही खबर मध्य प्रदेश के इंदौर में भी देखने को मिला, जहां मरीजों का परीक्षण करने गए महिला स्वास्थ्यकर्मियों पर पत्थर फेंके गए। बिहार के मुंगेर में भी ऐसी खबरें मिली, जहां मरीजों द्वारा स्वास्थ्यकर्मियों से बदसलूकी की गईं। डाक्टरों और स्वास्थ्यकर्मियों पर हमले और थूकने की खबरें अब तक रोजमर्रा सुर्खिया बन रही हैं।
सवाल उठता है कि कोरोना वायरस जैसी भयावह महामारी के बीच मरीजों के लिए जान पर दांव पर लगाने वाले डाक्टरों और स्वास्थ्यकर्मियों के प्रति आखिर मरीजों और पब्लिक की कुछ जवाबदेही बनती है या नहीं। सरकारी ड्यूटी में तैनात स्वास्थ्यकर्मियों पर संक्रमण का खतरा उतना ही है, जितना वहां भर्ती होने आए संक्रमित मरीजों को है।
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लेकिन न ही डाक्टर और न ही परिवार अपनी जिम्मेदारियों और दायित्वों से पीछे हटने को तैयार हो रहा है। डाक्टरों की पेशेगत ईमानदारी ही कहेंगे कि दुनियाभर सैंकड़ों स्वास्थ्यकर्मी अपनी जान गंवा चुके हैं, लेकिन वो अपने फर्ज के लिए और मरीजों के प्रति अपनी जिम्मेदारी से पीछे नहीं हटे हैं।
उल्लेखनीय है अब तक पूरी दुनिया में कोरोना संक्रमित मरीजों का इलाज करते हुए करीब अब तक 100 से अधिक डाक्टर और स्वास्थ्यकर्मियों की मौत हो चुकी है। मरने वालों में से लगभग आधे स्वास्थ्यकर्मी इटली में हुई है। अमेरिका में मार्च महीने के पहले सप्ताह में अपने पहले डाक्टर को खोया, जो कि आपातकालीन वार्ड में तैनात था। दुनिया भर में प्रकोप के मद्देनजर कई अन्य देशों में स्वास्थ्य कर्मचारियों की मृत्यु हो गई है, इनमें चीन, यू.के., फ्रांस, स्पेन, फिलीपींस और ईरान शामिल हैं।
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