Covaxin:कोरोना की स्वदेशी वैक्सीन के दिसंबर से इस्तेमाल के आसार
नई दिल्ली- पतंजलि योगपीठ की कोरोनिल को भले ही कोरोना की दवा की जगह इम्यून बूस्टर माना जा रहा हो, लेकिन भारत की ही एक और कंपनी भारत बायोटेक को इसकी वैक्सीन बनाने में काफी हद तक कामयाबी मिल चुकी है। जानवरों में इसकी ट्रायल पूरी तरह से सफल होने के बाद कंपनी को उम्मीद है कि बाकी क्लीनकल ट्रायल पूरा कर लेने में भी उसे तीन-साढ़े तीन महीने से ज्यादा नहीं लगेंगे और इसलिए उसकी दवा दिसबंर तक बाजार में उपलब्ध होने के आसार हैं। कोवैक्सीन नाम की कोरोना की इस वैक्सीन की क्लीनिकल ट्रायल इसी महीने से शुरू हो रही है और यह काम को देशभर के 10 चुनिंदा केंद्रों पर चलाया जाएगा। सबसे बड़ी बात ये है कि रोटा वायरस की वैक्सीन बनाने के चलते इस कंपनी का दुनियाभर में वैक्सीन के क्षेत्र में नाम है और कंपनी अबतक इसकी करोड़ों डोज बना चुकी है।
स्वदेशी वैक्सीन के दिसंबर से इस्तेमाल के आसार
सेंट्रल ड्रग्स स्टैंडर्ड कंट्रोल ऑर्गेनाइजेशन ने हैदराबाद के भारत बायोटेक इंडिया लिमिटेड को देश में विकसित कोरोना वायरस की वैक्सीन कोवैक्सीन (Covaxin) की इंसानों पर क्लीनिकल ट्रायल की इजाजत दे दी है। यह ट्रायल इसी महीने से पूरे देश में शुरू हो जाएगी। सबसे बड़ी बात है कि भारत बायोटेक के चेयरमैन और एमडी डॉक्टर कृष्णा एला ने कहा है कि यह वैक्सीन हर हाल में साल के अंत तक उपलब्ध होने की उम्मीद है। कोविड-19 के खिलाफ इस वैक्सीन को भारत बायोटेक ने नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ वायरोलॉजी के साथ मिलकर तैयार किया है।
मृत कोरोना वायरस से वैक्सीन तैयार
कोवैक्सीन के लिए नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ वायरोलॉजी ने कोविड-19 के एक एसिम्पटोमैटिक मरीज से नोवल कोरोना वायरस के एक नस्ल को अलग किया और उसे भारत बायोटेक को दिया। इसके बाद कंपनी ने एक निष्क्रिय वैक्सीन विकसित करने पर काम किया, जिसमें मरे हुए वायरस का इस्तेमाल होता है। कंपनी के मुताबिक, 'जब यह वैक्सीन एक इंसान को लगाई जाती है, तो इसमें उसे इंफेक्ट या रेप्लिकेट करने की क्षमता ही नहीं होती, क्योंकि यह एक मृत वायरस होता है। यह सिर्फ मृत वायरस के रूप में इम्यून सिस्टम में शामिल हो जाता है और वायरस को रोकने के लिए एंटीबॉडी के तौर पर काम करता है।' इस वैक्सीन का सूअरों और चूहों पर सफल परीक्षण किया जा चुका है।
जुलाई से क्लीनिकल ट्रायल को मिली है मंजूरी
इन परीक्षणों के बाद ही सीडीएससीओ के प्रमुख यानि ड्रग कंट्रोलर ऑफ इंडिया ने कंपनी को फेज-1 और 2 के लिए कंपनी को क्लीनिकल ट्रायल को मंजूरी दी है। कंपनी जुलाई में इसी दौर की ट्रायल करने जा रही है। इंसानों पर होने वाले इस क्लीनिकल ट्रायल के नतीजे आने के बाद इस वैक्सीन की जल्द से जल्द बाजार में आने की संभावना बढ़ जाएगी। डॉक्टर कृष्णा एला ने साफ कहा है कि अगर इस वैक्सीन को जितनी भी रेग्युलेटरी से गुजरना है और वे अगर समय पर मंजूरी देते रहे तो निश्चित रूप से इस साल के अंत तक यह तैयार होगी। उन्होंने कहा कि जुलाई में होने वाले दोनों इंसानी फेज की ट्रायल से यह स्पष्ट हो जाएगा कि यह वैक्सीन कितनी कारगर है और कंट्रोलर ने इजाजत दे दी तो दवा का निर्माण भी साथ-साथ शुरू कर दिया जाएगा और वह बाजार में भी बिकनी शुरू हो जाएगी। उन्होंने कहा कि अगर तीसरे फेज की ट्रायल के लिए नहीं कहा गया तो फिर इस वैक्सीन को समय पर लॉन्च करने से कोई नहीं रोक सकता और कितनी भी देरी होगी दिसंबर तक तो इसके तैयार हो जाने की तो पूरी ही संभावना मौजूद है।
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10 से 20 करोड़ डोज तैयार करने का लक्ष्य
कंपनी को फेज-1 और फेज-2 ट्रायल पूरे करने में करीब साढ़े तीन महीने लगने की संभावना है। इसके लिए कंपनी ने 12,00 वॉलेंटियर तैयार किए हैं और देशभर में 10 केंद्र चुने हैं, जहां इसकी ट्रायल की जाएगी। कंपनी का दावा है कि वैक्सीन उत्पादन की हरी झंडी मिलने के बाद वह करीब 10 से 20 करोड़ डोज तैयार करने का लक्ष्य लेकर चल रही है। इस कंपनी के पास 22 साल में 16 वैक्सीन इजाद करने का अनुभव है। इस कंपनी ने रोटा वायरस और टायफाइड जैसी बीमारियों के भी वैक्सीन तैयार की है और रोटा वायरस की करोड़ों डोज बेच चुकी है।
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