अब CCTV की निगरानी में अदालत देगी अपना फैसला, सूरत के कोर्ट से हुई शुरुआत
सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद सूरत के निचले और जिला न्यायालय गुजरात में पहले ऐसे कोर्ट बन गए हैं जो सीसीटीवी कैमरों की निगरानी में होंगे। पिछले साल मार्च में उच्चतम न्यायाल ने देश भर में सभी उच्च न्यायालयों को सीसीटीवी कैमरे लगाने का निर्देश दिया था।
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सूरत। सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद सूरत की निचली और जिला अदालतें प्रदेश में पहले ऐसे कोर्ट बन गए हैं जो सीसीटीवी कैमरों की निगरानी में होंगे। पिछले साल मार्च में उच्चतम न्यायाल ने देश भर में सभी हाईकोर्ट को निर्देश दिया था कि पारदर्शिता लाने के लिए राज्य के कम से कम दो जिलों के कोर्ट रूम में सीसीटीवी कैमरे लगाए जाएं।
न्यायमूर्ति एके गोएल और न्यायमूर्ति यूयू ललित की पीठ ने कहा था कि अदालतों में सीसीटीवी कैमरे लगाना सार्वजनिक हित में होगा और इससे अनुशासन-सुरक्षा बरती जाएगी। इन अदालतों में सीसीटीवी कैमरे इस तरह लगाए गए हैं कि इससे जज, वकील और मुकदमेबाजी की विस्तृत कवरेज मिल सके। सूरत जिला सरकार के वकील नयन सुखदावाला के अनुसार इससे निश्चित रूप से सभी को लाभ होगा।
सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर कार्रवाई करते हुए, गुजरात हाई कोर्ट ने सूरत और मेहसाना के जिला अदालतों को निर्देश दिया था कि वे अपने कोर्टरूम में सीसीटीवी कैमरे लगवाएं। सूरत जिले में 13 फास्ट-ट्रैक कोर्ट और 44 निचली अदालतों सहित 57 कोर्ट हैं।
एक अधिकारी के अनुसार, 'हमने दिए गए निर्देशों के अनुसार काम किया है। मेहसाना की अदालतों में सीसीटीवी कैमरे स्थापित करने का काम अभी चल ही रहा है। इसका परिणाम सामने आने के बाद आने वाले महीनों में राज्य की सभी अदालतों में सीसीटीवी कैमरे लगाए जाएंगे'
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