कोर्ट का आदेश, पक्षियों को भी आजाद उड़ने का अधिकार, नहीं किया जा सकता पिंजरे में
नई दिल्ली। पंक्षियों की गगनचुंबी आजाद उड़ान को अब पिंजरें में नहीं बांधा जा सकता है। दिल्ली हाई कोर्ट ने एक ऐतिहासिक फैसला देते हुए कहा कि पक्षियों के भी मूलभूत अधिकार होते हैं और उनका हनन नहीं किया जा सकता है।
कोर्ट ने कहा कि पक्षियों को भी सम्मान के साथ जीने का हक है। यही नहीं कोर्ट ने कहा कि पक्षियों को भी खुले आसमान में उड़ने की आजादी होनी चाहिए, उन्हें पिंजरें में कैद या उनके खिलाफ हिंसा नहीं की जा सकती है। कोर्ट ने कहा कि पक्षियों का व्यापार उनके स्वतंत्रता के खिलाफ है।
जस्टिस मनमोहन सिंह ने इस बात पर नाराजगी जाहिर की कि पक्षियों को अवैध तरीके से विदेशों में भेजा जाता है और ना ही उन्हें उचित खाना दिया जाता है और ना ही उन्हें बेहतर मेडिकल मदद दी जाती है।
जस्टिस ने कहा कि मैं इस बात से बिल्कुल स्पष्ट हूं कि पक्षियों को खुले आसमान में उड़ने का अधिकार है और मनुष्यों को इसका कोई अधिकार नहीं है कि पक्षियों को पिंजरे में अपने व्यापार के लिए कैद किया जाए।कोर्ट ने दिल्ली पुलिस और पक्षियों के मालिक मोहम्मद मोहाज्जिम को नोटिस जारी करके 28 मई तक इस मामले में जवाब मांगा है।
कोर्ट ने निचली अदालत के फैसले पर रोक लगाते हुए कहा कि कुछ पक्षियों को जिस व्यक्ति ने बचाया था उसे ही उनके पास रहने दिया जाए।
निचली अदालत के आदेश पर एक एनजीओ ‘पीपल फॉर एनीमल्स' की याचिका के पक्ष में निचली अदालत के फैसले पर रोक लगा दी। एनजीओ को राहत देते हुए उच्च न्यायालय ने कहा, 'इस अदालत का मानना है कि पक्षियों का व्यापार करना उनके अधिकारों का उल्लंघन है। वे सहानुभूति के हकदार हैं। किसी को भी इस बात की परवाह नहीं है कि कहीं उनके साथ क्रूरता तो नहीं की जा रही।
कोर्ट ने कहा कि कानून पहले से ही है कि उड़ना पक्षियों का मौलिक अधिकार है और उन्हें पिंजरे कैद नहीं बल्कि उड़ने के लिए आकाश में छोड़ा जाना चाहिए।