पंचकूला हिंसा: SIT को झटका, 53 आरोपियों से हटीं देशद्रोह और मर्डर की धाराएं
पंचकूला। हरियाणा के पंचकूला में डेरा प्रकरण के दौरान हुई हिंसा की पड़ताल कर रही एसआईटी को बड़ा झटका लगा है। कोर्ट ने पंचकूला को आगजनी के आरोपी 53 लोगों पर लगी देशद्रोह (धारा 121, 121ए ) और गैर-इरादतन हत्या (धारा 307) की धाराओं को हटा दिया है। कोर्ट ने आदेश दिया है कि 53 आरोपियों के खिलाफ दर्ज किए गए देशद्रोह और हत्या के प्रयास के आरोपों को एफआईआर से हटा दें। क्योंकि पुलिस के पास इन आरोपों को साबित करने के लिए पर्याप्त सबूत नहीं हैं।
53 आरोपियों पर से देशद्रोह और हत्या का प्रयास की धाराएं हटी
बचाव पक्ष के वकील सुरेश कुमार रोहिल्ला ने बताया कि पंचकूला में 25 अगस्त के दंगो को लेकर दर्ज हुई एफआईआर नंबर 335 में 53 आरोपियों पर से देशद्रोह और हत्या का प्रयास की धाराओं को हटा लिया गया है। उन्होंने बताया कि 53 आरोपियों में से अधिकतर आरोपी डेरा की 45 सदस्य कमिटी के सदस्य हैं। आपको बता दें कि राम रहीम की गिरफ्तारी के बाद पंचकूला में दंगे भड़क उठे थे। जिसमें करोड़ों की संपत्ति को नुकसान पहुंचा गया था और कई लोगों की जान चली गई थी।
पुलिस की चालाकी की वजह से हटी धाराएं
इस लोगों के रिहा होने बाद मीडिया में ऐसी भी खबरें आ रही है कि पुलिस की चालाकी की वजह से इन लोगों पर से लगे आरोप हट गए हैं। पुलिस ने देशद्रोह के मामले में चालान को कोर्ट में पेश कर दिया था। कोर्ट द्वारा धाराएं हटाने का एक कारण यह भी बताया जा रहा है किचालान पेश करने से पहले केंद्रीय गृह मंत्रालय या हरियाणा सरकार के होम डिपार्टमेंट से परमिशन ही नहीं ली गई थी। जबकि देशद्रोह के मामले में कोर्ट में चालान जमा करवाने से पहले होम डिपार्टमेंट से परमिशन लेना जरूरी होता है। वहीं 121, 121ए के तहत कार्रवाई करने के लिए स्पेसिफिक नंबर नहीं हैं। यानी की आरोपियों की पूरी जानकारी नहीं हैं। जिस तरह से यहां मौके पर लोग मौजूद थे उससे ये साबित नहीं होता कि उनके पास कोई हथियार मौजूद थे।
पुलिस पेश नहीं कर पाई सबूत
जिन आरोपियों के खिलाफ दर्ज देशद्रोह और हत्या के प्रयास की धाराएं हटाने को कहा गया है, उनमें पंचकुला डेरा के सुरेंद्र कुमार धीमान इंसां, शीश पाल, चमकौर सिंह हैं। बचाव पक्ष के वकीलों ने कोर्ट को बताया था कि पुलिस मामले से जुड़ी सीसीटीवी फुटेज की रिकॉर्डिंग या ऐसे तथ्य पेश नहीं कर पाई जिससे देशद्रोह के आरोप साबित हो सकें। पूर्व में अदालत से कई आऱोपियों को जमानत भी मिल चुकी है, ऐसे में अब इतनी बढ़ी संख्या में लोगों को रिहा किए जाने के बाद जांच कर रही पुलिस के सामने बड़ी मुश्किल खड़ी हो गई है।