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जानिए क्या-क्या हुआ भगवान राम के खिलाफ केस की सुनवाई में?

By Ajay Mohan
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पटना (मुकुंद सिंह)। भगवान राम और लक्ष्मण पर सीतामढ़ी में एक मुकदमा दर्ज किया गया है। यह मुकदमा सीतामढ़ी जिले के एक वकील ने दर्ज कराया है, जिसमें गलत तरीके से सीता माता को वनवास भेजने का आरोप है। वकील का कहना है कि माता सीता का उनका कोई कसूर नहीं था, इसके बाद भी भगवान राम ने उन्हें जंगल में क्यों भेजा? कोई पुरुष अपनी पत्नी को कैसे इतनी बड़ी सजा दे सकता है?

इस पर कोर्ट ने सोमवार को सुनवाई की, जिसमें जज राम बिहारी ने वकील से कहा, "आप का आरोप पत्र कोर्ट स्वीकार कर सकता है, लेकिन कृपया यह बताने का कष्ट करें कि आगे की सुनवाई में कौन-कौन से गवाहों को कोर्ट में पेश किया जायेगा।" इतना सुनकर वकील के होश उड़ गये, क्योंकि गवाह पेश करने के लिये स्वयं वकील को त्रेता युग में जाना पड़ेगा।

किस डेट को निकाला था सीता जी को

जज ने पूछा, "आपने तो केस फाइल किया है, कृपया उसमें उस तारीख को लिखें, जिस दिन भगवान राम ने सीता जी को अयोध्या से निकाल दिया था। और साथ ही उनकी डेट ऑफ मैरेज लिखें, ताकि यह अंदाजा लगाया जा सके कि कितने दिन तक सीता माता भगवान राम के साथ रहीं।"

फिर क्या-क्या कष्ट झेले इसके प्रमाण

जज ने याचिकाकर्ता से कहा, "केस की सुनवाई करने को हम तैयार हैं लेकिन पीड़िता सीता जी ने क्या-क्या कष्ट सहे, इसके सबूत आप कोर्ट में प्रस्तुत करें।"

आरोप पत्र में वकील ने लिखा है कि माता सीता ने पति के सुख-दुख में पूरी निष्ठा के साथ पत्नी होने का कर्तव्य निभाया, फिर भी उन्हें घर से निकाल दिया गया। भगवान राम ने यह सोचा भी नहीं कि घनघोर जंगल में अकेली महिला कैसे रहेगी?

<strong>भगवान राम का जन्म अयोध्या में नहीं पाकिस्तान में हुआ था?</strong>भगवान राम का जन्म अयोध्या में नहीं पाकिस्तान में हुआ था?

गौरतलब है कि सीतामढ़ी जिले के मेजरगंज थाना के डुमरी कला गांव के वकील चंदन कुमार सिंह ने भगवान राम और लक्ष्मण के खिलाफ यह केस किया है।

सीतामढ़ी में सीता ने लिया था अवतार

वकील चंदन सिंह ने तर्क दिया है कि माता जानकी सीतामढ़ी की धरती से अवतरित हुईं थीं। इसके अनुसार वह सीतामढ़ी की बेटी हैं। भगवान राम ने उनके साथ इंसाफ नहीं किया। वकील का कहना है कि वह माता सीता को इंसाफ दिलाना चाहते हैं। इसलिए केस दर्ज कराया है।

क्या हुआ था त्रेता युग में, पढ़ें तस्वीरों के साथ। अंत में है आपके लिये एक सवाल?

सीता का स्वयंवर

सीता का स्वयंवर

त्रेता युग में भगवान राम अपने गुरु विश्वामित्र के साथ मिथिला की धरती पर राजा जनक के यहां स्वयंवर में शामिल हुए थे।

भगवान राम का विवाह

भगवान राम का विवाह

भगवान राम ने सीता से विवाह किया था। इसके बाद 14 साल के लिए वनवास चल गए। माता सीता भी भगवान राम के साथ वनवास पर गईं थीं।

सुख-दु:ख साथ बांटा

सुख-दु:ख साथ बांटा

14 साल तक हर सुख-दु:ख में सीता माता ने भगवान श्रीराम का साथ दिया। वनवास से लौटने के बाद उनका राज्याभिषेक हुआ था।

धोबी की बात पर निकाला था

धोबी की बात पर निकाला था

गुप्तचरों से जानकारी मिली थी कि उनके नगर के एक धोबी ने पत्नी को कहा है कि मैं राम नहीं हूं, जो अपनी पत्नी को पराए पुरुष के साथ रहने के बाद भी पत्नी के रूप में स्वीकार लूं। धोबी की इस बात पर राम जी ने मां जानकी का त्याग कर दिया था।

सवाल आपसे

सवाल आपसे

क्या कोर्ट को ऐसे मामलों को तरजीह देनी चाहिये?
A- हां, क्योंकि सामाजिक दृष्टि से आज भी प्रासंगिक हैं।
B- नहीं, ये पब्ल‍िसिटी स्टंट है वकील का।
C- नहीं, वैसे ही बहुत सारे केस लंबित हैं, पहले उन्हें देखें।

Comments
English summary
An advocate has registered a court case against Lord Rama and Laxmana in Sitamadhi.
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