बेटे की मौत के बाद उसके वीर्य से दादा-दादी बना कपल, सेरोगेसी से पैदा हुए जुड़वा पोते
महाराष्ट्र के पुणे में एक कपल अपने बेटे की मौत के दो साल बाद दादा-दादी बना है। इस कपल ने बेटे की मौत से पहले ही उसका सीमन सुरक्षित रखवा लिया था। उसकी मौत के दो साल बाद उन्होंने आईवीएफ तकनीक और सेरोगेसी के जरिये अपने पोतों का जन्म करवाया।
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पुणे। महाराष्ट्र के पुणे में एक कपल अपने बेटे की मौत के दो साल बाद दादा-दादी बना है। इस कपल ने बेटे की मौत से पहले ही उसका सीमन सुरक्षित रखवा लिया था। उसकी मौत के दो साल बाद उन्होंने आईवीएफ तकनीक और सेरोगेसी के जरिये अपने पोतों का जन्म करवाया। जहां एक तरफ ये विज्ञान का चमत्कार लग रहा है, वहीं दूसरी तरफ विशेषज्ञों ने इसपर सवाल खड़े किए हैं।
इलाज से पहले संरक्षित कराया सीमन
पुणे के रहने वाले एक शख्स को 2013 में जर्मनी में पढ़ाई के दौरान ब्रेन ट्यूमर का पता चला था। डॉक्टरों को डर था कि कीमोथेरेपी शुरू होने से शख्स की प्रजनन क्षमता पर बुरा असर पड़ेगा। इसलिए उसकी इजाजत से डॉक्टरों ने उसका सीमन संरक्षित कर लिया। पुणे में साल 2016 में उसकी कैंसर के कारण मौत हो गई। बेटे की मौत के बाद माता-पिता ने उसका सीमन भारत मंगाने का फैसला लिया।
आईवीएफ और सेरोगेसी की ली गई मदद
उन्होंने तय किया कि वो सीमन से उसके बच्चों का जन्म करवाएंगे। सीमन के भारत पहुंचने के बाद 49 वर्षीय मां ने एक अस्पताल से आईवीएफ के लिए संपर्क किया। इसके बाद युवक की शक्ल से मिलती-जुलती एक महिला से संपर्क किया गया और उसके अंडाणु के साथ मिलकर भ्रूण तैयार किया गया। युवक की मां अपने बेटे की बच्चों को जन्म देना चाहती थी लेकिन मेडिकल के बाद डॉक्टरों ने इससे मना कर दिया। इसके बाद युवक की एक रिश्तेदार गर्भ धारण करने के लिए तैयार हो गई।
जुड़वा बेटों का दादा-दादी बना कपल
टाइम्स ऑफ इंडिया के अनुसार युवती ने कुछ दिन पहले ही जुड़वा बेटों को जन्म दिया है। मृत बेटे को याद करते हुए मां ने कहा कि वो काफी जिंदादिल व्यक्ति था। 'इलाज के दौरान उसके आंखों की रोशनी भी चली गई, लेकिन उसने फिर भी हिम्मत नहीं हारी। वो हमेशा अपनी कहानियों से हमें हंसाता रहता था। इसलिए उसके जाने के बाद मैं उसके जैसे ही पोते-पोती चाहती थी।' युवक की मौत के बाद उसके बच्चे के जन्म को लेकर विशेषज्ञों में बहस छिड़ गई है।
बच्चों के जन्म पर छिड़ी बहस
चेन्नई के इंडियन सेरोगेसी लॉ सेंटर के हरि जी रामासुब्रमण्यम का कहना है कि यहां 4 बड़े नैतिक सवाल खड़े हो रहे हैं। पहला, क्या युवक की मौत के बाद उसके सीमन से बच्चे पैदा करने के लिए उसकी इजाजत ली गई। दूसरा, दादा-दादी बच्चों का भविष्य कैसे सुरक्षित करेंगे। तीसरा, शख्स को माता-पिता बनने का मौलिक अधिकार है लेकिन दादा-दादी इस व्याख्या में नहीं आते? चौथा, बच्चों के सामान्य पेरेंटिंग पाने के अधिकार का क्या होगा?