जयपुर में रामदेव और बालकृष्ण पर केस दर्ज, बिना ट्रायल दवा लॉन्च करने का आरोप
नई दिल्ली- रामदेव और उनके पतंजलि आयुर्वेद ने कोरोना के इलाज की दवा बनाने का दावा क्या किया, अपने लिए फिलहाल मुसीबतों का पहाड़ खड़ा कर चुके हैं। आयुष मंत्रालय अभी तक यह नहीं बता पाया है कि कोरोना वायरस के शर्तिया इलाज के उनके दावे में वाकई दम है या उन्होंने सिर्फ दवा बेचने के लिए इतना बड़ा ड्रामा किया। इस बीच राजस्थान में जयपुर पुलिस ने उनके और उनके सहयोगी आचार्य बालकृष्ण समेत निम्स के डायरेक्टर, उनके बेटे और एक बड़े वैज्ञानिक के खिलाफ भी धारा 420 और अन्य कानूनों के तहत केस दर्ज किया है। अगर स्वामी रामदेव का दावा आगे चलकर झूठा साबित हुआ तो वह इसबार बड़ी मुश्किलों में भी फंस सकते हैं। हालांकि, पतंजलि आयुर्वेद लगातार दावा कर रहा है कि उसने जो भी दावे किए हैं वह कारगर हैं और इससे कोविड-19 का इलाज संभव है। बता दें कि पिछले हफ्ते ही रामदेव ने एक बड़े कार्यक्रम में इस दवा को सार्वजनिक किया था और उससे तीन से सात दिन में मरीजों के पूरी तरह से ठीक होने का दावा किया था।
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कोरोनिल: जयपुर में रामदेव और बालकृष्ण पर केस दर्ज
योग गुरु रामदेव ने कोरोना वायरस पर दवा बनाने की बात क्या की, वो कानूनी विवादों में फंसते जा रहे हैं। राजस्थान में जयपुर पुलिस ने उनके और पतंजलि आयुर्वेद के सीईओ और एमडी आचार्य बालकृष्ण समेत अन्य लोगों के खिलाफ एफआईआर दर्ज की है। जयपुर पुलिस के मुताबिक उसके पास कई लोग यह शिकायत लेकर पहुंचे हैं कि इन लोगों ने बिना ट्रायल के ही कोरोना वायरस की दवा विकसित कर ली और उसे लॉन्च कर दिया। शिकायत इस आधार पर की गई है कि पतंजलि आयुर्वेद ने बिना आयुष मंत्रालय से मंजूरी लिए ही एक दवा विकसित कर ली और दावा कर दिया कि यह कोरोना वायरस का शर्तिया इजाज कर सकता है। एफआईआर में जिन लोगों का नाम शामिल है उनमें जयपुर स्थित नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज एंड रिसर्च (एनआईएमएसआर) के डायरेक्टर बीएस तोमर, उनके बेटे अनुराग तोमर और सीनियर साइंटिस्ट अनुराग वारश्नेय का भी नाम है।
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कई धाराओं के तहत दर्ज किया गया मुकदमा
जयपुर पुलिस ने इन पांचों आरोपियों के खिलाफ आईपीसी की धारा 420 (धोखाधड़ी) और ड्रग्स एंड मैजिक रिमेडीज (ऑब्जेक्शनेबल एडवरटाइजमें) ऐक्ट के तहत मुकदमा दर्ज किया है। जयपुर के एडिश्नल पुलिस कमिश्नर अशोक गुप्ता के मुताबिक इन सबके खिलाफ जयपुर के ज्योति नगर थाने में राजस्थान हाई कोर्ट के एक वकील की शिकायत के आधार पर मुकदमा दर्ज की गई है। उन्होंने बताया है कि, 'हमें रामदेव के खिलाफ कोरोना वायरस को ठीक करने वाली दवा विकसित करने के दावे को लेकर कई थानों में शिकायतें मिली थीं। इसलिए हमनें रामदेव, बालकृष्ण और अन्यों के खिलाफ एक वकील की शिकायत दर्ज कर ली है।' बलराम जाखड़ नाम के जिस वकील ने मुकदमा दर्ज कराया है उनका दावा है कि रामदेव और उनके सहयोगियों के दावे में 'आपराधिक इरादे की बू' आती है।
'आपराधिक इरादे से किया गया दावा'
रामदेव के खिलाफ एफआईआर दर्ज कराने वाले वकील के दावे के मुताबिक रामदेव ने 23 जून के पतंजलि रिसर्च इंस्टीट्यूट हरिद्वार में एक प्रेक कॉन्फ्रेंस आयोजित करके कई लोगों की मौजूदगी के दौरान कोरोना वायरस के इलाज की दवा कोरोनिल विकसित कर लेने का जो दावा किया था, वह गलत था। उनके मुताबिक रामदेव ने तो दावा किया था कि कोरोनिल कोविड-19 पॉजिटिव मरीजों को तीन दिन के भीतर निगेटिव कर देगा, लेकिन आयुष मंत्रालय और केंद्र सरकार ने अबतक उनके दावों की पुष्टि नहीं की है और उनसे दावों से संबंधित सभी दस्तावेज मांगे हैं और आज की तारीख तक उस दवा की विश्व स्वास्थ्य संगठन और आयुष मंत्रालय के मानदंडों पर सत्यापित नहीं किया गया है। इस आधार पर उन्होंने आरोप लगाया कि इससे आपराधिक इरादे की बू आती है और इसलिए कानून के विभिन्न प्रावधानों के तहत एफआईआर दर्ज करवाई गई है।
पतंजलि अपने दावे पर लगभग कायम
बता दें कि आयुष मंत्रालय ने कोरोनिल की पुख्ता पड़ताल होने तक इसके प्रचार-प्रसार पर पतंजलि पर रोक लगा रखी है। उधर पतंजलि आयुर्वेद और आचार्य बालकृष्ण का दावा है कि कोरोनिल के निर्माण में सभी निर्धारित मानदंडों और प्रोटोकॉल का पालन किया गया है, साथ ही इसकी लाइसेंस लेने में भी कोई गलत तरीका नहीं उपयोग किया गया है। बहरहाल, आयुष मंत्रालय के आखिरी निर्णय का अभी भी इंतजार है। ऐसे में अगर कोरोनिल पर रामदेव का दावा झूठा साबित होता है तो उनकी किरकिरी तो अलग होगी, इस कोरोना काल में निश्चित तौर पर यह बहुत बड़ा अपराध बन सकता है। इसके ठीक उलट अगर दवा कारगर साबित होती है तो इसके विरोध की मंशा पर भी सवाल उठने लाजिमी हैं।