कोरोना वायरस: अरब के लोग भारतीयों से क्यों नाराज़?
नक़वी ने कहा है कि 'मुसलमानों के लिए भारत स्वर्ग जैसा है जहाँ उनके अधिकार सुरक्षित हैं." साथ ही उन्होंने कहा, “सेकुलरिज़्म और सौहार्द्र, भारत और भारतवासियों के लिए पॉलिटिकल फ़ैशन नहीं, बल्कि परफ़ेक्ट पैशन (जुनून-जज़्बा) हैं." नक़वी से पहले यूएई में भारत के राजदूत पवन कपूर ने एक ट्वीट में लिखा था कि “भारत और यूएई किसी भी आधार पर भेदभाव नहीं करने का विचार साझा करते हैं.
भारत में मुसलमानों के साथ कथित ग़ैर-बराबरी को लेकर संयुक्त अरब अमीरात के सोशल मीडिया पर चल रही चर्चा के बीच भारत के केंद्रीय अल्पसंख्यक कार्य मंत्री मुख्तार अब्बास नक़वी का एक बड़ा बयान आया है.
नक़वी ने कहा है कि 'मुसलमानों के लिए भारत स्वर्ग जैसा है जहाँ उनके अधिकार सुरक्षित हैं.’ साथ ही उन्होंने कहा, “सेकुलरिज़्म और सौहार्द्र, भारत और भारतवासियों के लिए पॉलिटिकल फ़ैशन नहीं, बल्कि परफ़ेक्ट पैशन (जुनून-जज़्बा) हैं.”
नक़वी से पहले यूएई में भारत के राजदूत पवन कपूर ने एक ट्वीट में लिखा था कि “भारत और यूएई किसी भी आधार पर भेदभाव नहीं करने का विचार साझा करते हैं. भेदभाव हमारे नैतिक ढांचे और क़ानून व्यवस्था के ख़िलाफ़ है. यूएई में मौजूद भारतीय हमेशा इस बात को याद रखें.”
COVID-19 does not see race, religion, colour, caste, creed, language or borders before striking.
Our response and conduct thereafter should attach primacy to unity and brotherhood.
We are in this together: PM @narendramodi
— PMO India (@PMOIndia) April 19, 2020
और कपूर से पहले भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने एक ट्वीट में लिखा था कि “कोविड-19 हमला करने से पहले नस्ल, धर्म, रंग, जाति, वंश, भाषा या सीमा नहीं देखता. इसलिए अपने आचरण में एकता और भाईचारे का ज़रूर ध्यान रखें.”
बार-बार एक ही बात समझाई जा रही है कि जिस समय में पूरी दुनिया एक भयंकर महामारी से लड़ रही है, तब धार्मिक आधार पर भेदभाव पैदा कर समाज में बैर बढ़ाने के अपने ख़तरे हो सकते हैं.
लेकिन दिल्ली के निज़ामुद्दीन में हुई तब्लीग़ी जमात वाली घटना के बाद से सोशल मीडिया पर दक्षिणपंथी रुझान वाले लोग भारत में कोरोना वायरस फ़ैलने के लिए एक तरह की धार्मिक पहचान वाले लोगों को ही ज़िम्मेदार ठहरा रहे हैं और तरह-तरह के दावे कर रहे हैं.
हालांकि सरकारी एजेंसियाँ ने पिछले हफ़्तों में ना सिर्फ़ सोशल मीडिया, बल्कि टीवी चैनलों पर दिखाई गईं भ्रामक ख़बरों की भी पड़ताल कर, उनका खंडन किया है.
शुरुआत कैसे हुई
अब आप सोचेंगे कि 'घर की बात’ संयुक्त अरब अमीरात यानी यूएई तक कैसे पहुँच गई? तो इसके लिए आपको 'क्रॉनोलॉजी’ समझनी होगी.
हुआ यूँ कि क़रीब सप्ताह भर पहले सौरभ उपाध्याय नाम के एक ट्विटर यूज़र के स्क्रीनशॉट संयुक्त अरब अमीरात में सोशल मीडिया पर सर्कुलेट होने लगे थे.
सौरभ उपाध्याय के ट्विटर प्रोफ़ाइल के अनुसार (जो अब बंद हो चुकी है) वे एक पॉलीटिकल कैंपेन मैनेजर हैं और उनकी लोकेशन दुबई बताई गई थी.
सोशल मीडिया पर दुबई के कई यूज़र्स ने पुलिस को टैग करते हुए लिखा कि 'सौरभ हिंदू-मुस्लिम एजेंडा चला रहे हैं और भड़काऊ सामग्री परोस रहे हैं.’
इस क्रम में यूएई में रह रहे कुछ अन्य भारतीयों की भी ट्विटर के ज़रिए पुलिस से शिक़ायत की गई जो भारत में कोरोना वायरस फैलने की वजह मुसलमानों को मानकर अपनी भड़ास निकाल रहे थे.
इसी दौरान सौरभ ने एक ट्वीट किया जिसका स्क्रीनशॉट सोशल मीडिया पर शेयर भी हो रहा है, जिसमें लिखा है, “मध्य-पूर्व के देश जो कुछ भी हैं वो हम भारतीयों की वजह से हैं जिसमें 80 फ़ीसदी हिंदू हैं. हमने कूड़े के ढेर से दुबई जैसे शहरों को खड़ा किया है. और इस बात का मान यहाँ का शाही परिवार भी करता है.”
स्क्रीनशॉट्स के अनुसार, इससे पहले सौरभ ने लिखा था कि “मुसलमान दुनिया से 1400 साल पीछे जी रहे हैं.” कुछ लोगों ने उनके इन ट्विट्स पर आपत्ति दर्ज कराई तो सौरभ ने उन्हें भी चुनौती दी.
'ऐेसे लोगों के लिए जगह नहीं'
और ये सब कुछ स्क्रीनशॉट्स के साथ संयुक्त अरब अमीरात की राजकुमारी हेंद अल-क़ासिमी ने 16 अप्रैल को ट्वीट कर दिया.
Anyone that is openly racist and discriminatory in the UAE will be fined and made to leave. An example; pic.twitter.com/nJW7XS5xGx
— Princess Hend Al Qassimi (@LadyVelvet_HFQ) April 15, 2020
उन्होंने लिखा, “संयुक्त अरब अमीरात में जो भी नस्लभेद या भेदभाव करता पाया जाएगा, उसपर जुर्माना लगेगा, साथ ही देश छोड़ने के लिए कहा जाएगा. और ये रहा एक उदाहरण.”
हेंद अल-क़ासिमी ने यह भी लिखा, “शाही परिवार बेशक भारतीय लोगों को दोस्त मानता है, लेकिन किसी की बेअदबी का स्वागत नहीं किया जा सकता. यूएई में बहुत से लोग अपनी रोज़ी-रोटी कमाने आये हैं, पर अगर आप इस ज़मीन को ही कोसने लगेंगे, तो यहाँ आपके लिए कोई जगह नहीं है.”
'भारतीयों को कितनी मुसीबत झेलनी पड़ेगी!’
संयुक्त अरब अमीरात के 2017 के सरकारी आंकड़ों के अनुसार वहाँ 34 लाख 20 हज़ार से ज़्यादा प्रवासी भारतीय रहते हैं. ये संख्या यूएई की कुल आबादी का क़रीब 27 प्रतिशत है.
वरिष्ठ पत्रकार अजीत अंजुम लिखते हैं, “यूएई में रहने वाले लाखों भारतीयों में हिंदुओं की संख्या सबसे ज़्यादा है. मुसलमानों के ख़िलाफ़ नफ़रत फ़ैलाने वालों को शायद इस बात का अंदाज़ा नहीं है कि अगर खाड़ी देशों में ऐसी प्रतिक्रिया होने लगी तो वहाँ काम धंधा कर रहे भारतीयों को कितनी मुसीबत झेलनी पड़ेगी.”
यूएई का स्थानीय मीडिया भी अब इस तरह की ख़बरों को ख़ास तरजीह दे रहा है.
गल्फ़ न्यूज़ की एक रिपोर्ट के अनुसार हाल के दिनों में मध्य-पूर्व में नौकरी करने वाले जिन भारतीयों ने सोशल मीडिया के ज़रिए मुसलमानों के ख़िलाफ़ नफ़रत फैलाने की कोशिश की, उन्हें नौकरी से निकाला गया है.
एक अन्य रिपोर्ट के अनुसार हाल ही में शारजाह मे स्थापित एक नामी भारतीय व्यापारी को अनजाने में धार्मिक भावनाएं आहत करने के लिए माफ़ी मांगनी पड़ी. लोगों ने उनपर 'इस्लामोफ़ोबिया’ फ़ैलाने का आरोप लगाया था.
संयुक्त अरब अमीरात के क़ानून के मुताबिक़ ऐसी कोई भी गतिविधि जिसे वहाँ की सरकार धर्म और देश के सौहार्द्र एवं सम्मान के विरुद्ध पाती है तो ऐसे व्यक्ति को 40 लाख दिरहाम का जुर्माना और जेल की सज़ा हो सकती है.
हेट स्पीच के मामले में एक शख़्स को सज़ा दिए जाने की राजकुमारी हेंद अल-क़ासिमी ने पुष्टि की है. उन्होंने लिखा है, “सोशल मीडिया पर भड़काऊ बयानबाज़ी करने के मामले में केरल के एक व्यापारी को तो माफ़ कर दिया गया, पर एक अन्य शख़्स को जेल की सज़ा हुई है.”
भारत और यूएई के रिश्तों पर असर?
संयुक्त अरब अमीरात के सोशल मीडिया पर अगर ग़ौर करें तो बहुत सारी पुरानी चीज़ें खंगालकर निकाली गई हैं जिन्हें अब शेयर किया जा रहा है और यह दावा किया जा रहा है कि 'भारत में मुसलमानों के साथ बुरा बर्ताव होता है.’
रविवार को दुबई में रहने वाली एक व्यापारी महिला नूरा अल-घुरैर और क़ुवैत के सामाजिक कार्यकर्ता अब्दुर्रहमान नासर ने भारत के लोकसभा सांसद तेजस्वी सूर्या के एक विवादित ट्वीट को शेयर किया था जो अब संयुक्त अरब अमीरात में सोशल मीडिया पर वायरल हो चुका है.
Prime Minister ..
— عبدالرحمن النصار (@alnassar_kw) April 19, 2020
An Indian Member of Parliament accuses Arab women, and we Arabs are asking for his membership to be dropped !!@narendramodi@PMOIndia pic.twitter.com/aQl4XayWZU
ये विवादित ट्वीट हालांकि पाँच साल पुराना है और बीजेपी सांसद तेजस्वी सूर्या इस ट्वीट को डिलीट कर चुके हैं, लेकिन सोशल मीडिया पर अब इसका इस्तेमाल भारत सरकार के नज़रिए पर सवाल उठाने के लिए हो रहा है.
अब्दुर्रहमान नासर ने ट्विटर पर लिखा है, “क़ुवैत में भारतीय समुदाय के लोग कोरोना संक्रमण के मामले में सबसे ऊपर हैं, लेकिन यहाँ के सबसे बढ़िया अस्पतालों में उनका इलाज चल रहा है, क्योंकि क़ुवैत में धर्म और नागरिकता के आधार पर लोगों में अंतर करने का रिवाज़ नहीं है.”
बीते कुछ वर्षों में भारत और संयुक्त अरब अमीरात के बीच द्विपक्षीय संबंध पहले की तुलना में काफ़ी गहरे स्थापित हुए हैं और माना जाता है कि दोनों देशों के बीच आतंकवाद का मिलकर मुक़ाबला करने की एक समझ बनी है.
हालिया घटनाओं के बाद खाड़ी देशों में प्रभावशाली समझे जाने वाले लोगों ने खुलकर ये कहना शुरू किया है कि 'भारत सरकार अपने यहाँ मुसलमानों के साथ हो रही ग़ैर-बराबरी पर विचार करे.’
नामी सऊदी स्कॉलर अबीदी ज़हरानी ने अपील की है कि खाड़ी देशों में काम करने वाले उन कट्टरवादी हिंदुओं की पहचान की जाए जो इस्लाम के ख़िलाफ़ नफ़रत भड़का रहे हैं, और उन्हें वापस उनके देश भेजा जाए.
अबीदी ज़हरानी जैसे कुछ विचारकों की इस तरह की अपील के बाद यूएई में बहुत से लोग चुनिंदा भारतीय नौकरीपेशा लोगों के डिटेल ट्विटर और फ़ेसबुक पर शेयर कर रहे हैं जिससे खाड़ी देशों में रह रहे भारतीयों की चिंता बढ़ी है.
दुबई में काम करने वाले एक भारतीय शख़्स ने अपनी पहचान ज़ाहिर ना करने की शर्त पर बीबीसी से कहा, "जो लोग भारत की स्थिति पर यहाँ बैठकर कमेंटबाज़ी कर रहे थे, सारी दिक्कत उनकी वजह से हुई है. अब हो ये रहा है कि जो भी हिंदू धर्म की बात कर रहा है, उसे मुस्लिम विरोधी समझा जा रहा है और उसके डिटेल लोग टैग करके सोशल मीडिया पर शेयर कर रहे हैं. इससे किसी की भी नौकरी को ख़तरा हो सकता है क्योंकि तुरंत कार्रवाई हो रही है."
वहीं ग्लोबल पार्लियामेंट्री नेटवर्क (जीपीएन) के सदस्य जमाल बहरीन ने संयुक्त राष्ट्र और ओआईसी से भारतीय मुसलमानों के मानवाधिकार उल्लंघन के मामलों में हस्तक्षेप करने की अपील की है.
वहीं ओआईसी पहले ही भारत सरकार को मुस्लिम समुदाय के अधिकारों की रक्षा करने के लिए तुरंत ज़रूरी क़दम उठाने के लिए कह चुका है.
2/2 #OIC-IPHRC urges the #Indian Govt to take urgent steps to stop the growing tide of #Islamophobia in India and protect the rights of its persecuted #Muslim minority as per its obligations under int"l HR law.
— OIC-IPHRC (@OIC_IPHRC) April 19, 2020