कोरोना: बीजेपी सांसद तेजस्वी सूर्या ने केवल मुस्लिम कर्मियों का नाम क्यों लिया?
वीडियो में सूर्या अधिकारियों से बातचीत के दौरान बेंगलुरु दक्षिण के वॉर रूम के 17 कर्मचारियों का नाम ले रहे हैं. उन्होंने जो नाम पढ़े थे वे सभी अल्पसंख्यक समुदाय से थे.
कर्नाटक में कोविड-19 मरीज़ों को बेड दिलाने के एक कथित 'घोटाले' को सत्तारूढ़ बीजेपी के सांसद और विधायकों ने सामने लाने की बात कही है, जिसके बाद सात लोगों को गिरफ़्तार किया गया है.
हालांकि, इस मामले ने बेहद दुखद सांप्रदायिक एंगल ले लिया है.
कर्नाटक की राजधानी बेंगलुरु में कोविड मरीज़ों की सहूलियत के लिए बनाए गए बेंगलुरु साउथ वॉर रूम में बेड बेचने के मामले का राजनेताओं की एक टीम ने सार्वजनिक करने की बात कही थी.
इस टीम का नेतृत्व बेंगलुरु दक्षिण से सांसद और बीजेपी की युवा इकाई भारतीय जनता युवा मोर्चा के राष्ट्रीय अध्यक्ष तेजस्वी सूर्या कर रहे थे.
क्या था तेजस्वी सूर्या का दावा
सूर्या ने दावा किया कि उन्होंने उन मरीज़ों से बात की है जिनके नाम पर बेड बुक थे लेकिन उसे पैसे लेकर किसी और को बेच दिया गया था. वॉर रूम्स पर मदद मांग रहे मरीज़ों को बेड मुहैया कराने की ज़िम्मेदारी है.
एक मामले में बिना लक्षण वाले एक कोविड मरीज़ को होम आइसोलेशन में रहने के लिए कहा गया था. उसकी स्थिति पर नगर निगम बृहुत बेंगलुरु महानगर पालिके (बीबीएमपी) के डॉक्टर नज़र रख रहे थे.
इस मरीज़ के कोविड टेस्ट में पॉज़िटिव आने के 10 दिन बाद उसके नाम पर एक बेड किसी दूसरे मरीज़ को दे दिया गया था.
सूर्या का दावा है कि आधी रात को ख़ाली हुए बेड को भी दो मिनट के अंदर किसी और मरीज़ को दे दिया गया.
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वो कहते हैं, "एक मरीज़ उस जगह पर 30 सेकंड के अंदर कैसे पहुंच सकता है."
"मेरी पार्टी प्रशासन में ज़रूर है लेकिन जब इस स्तर पर भ्रष्टाचार हो रहा हो और कई मौतें हो रही हों तब हम चुपचाप नहीं बैठ सकते हैं."
राज्य में अपनी ही सरकार के ख़िलाफ़ प्रेस कॉन्फ़्रेंस करने के बाद मुख्यमंत्री बीएस येदियुरप्पा ने सूर्या और विधायकों को बुलावा भेजा.
साथ ही मुख्यमंत्री ने इस मामले की जांच के आदेश दिए.
सांप्रदायिक एंगल कहाँ से आया
मंगलवार को प्रेस कॉन्फ़्रेंस करने से पहले सूर्या और विधायक (रवि सुब्रमण्या, सतीश रेड्डी और उदय गरुड़ाचर) ने वॉर रूम का दौरा किया और घोटाले पर अपनी जांच को लेकर अधिकारियों से बहस की.
सूर्या के दफ़्तर से जारी वीडियो में सूर्या अधिकारियों से बातचीत के दौरान बेंगलुरु दक्षिण के वॉर रूम के 17 कर्मचारियों का नाम ले रहे हैं.
और वो सवाल करते हैं कि इनकी नियुक्ति की क्या प्रक्रिया है? जब एक कर्मचारी ने कहा कि वे एक एजेंसी से हैं तो सूर्या ने वापस पूछा कि 'क्या तुम लोगों को मदरसे से नियुक्त करते हो या कॉर्पोरेशन से?'
उन्होंने जो नाम पढ़े थे वे सभी अल्पसंख्यक समुदाय से संबंधित थे.
https://twitter.com/Sanginamby/status/1389747868622151680
इसके बाद सूर्या की सोशल मीडिया पर आलोचना होने लगी कि वो बेड घोटाले में वॉर रूम में काम कर रहे लोगों का नाम लेकर इस मामले को 'सांप्रदायिक' बना रहे हैं.
अधिकारियों के मुताबिक़, वॉर रूम में कुल 206 लोग काम करते हैं जो कि कॉल सेंटर के तौर पर काम करते हुए कोविड मरीज़ों को बेड और ज़रूरी चीज़ें दिलाते हैं.
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कर्नाटक के कांग्रेस नेता श्रीवत्स वाईबी ने ट्वीट किया, "बेंगलुरु साउथ ज़ोन कोविड वॉर रूम में 206 लोग काम करते हैं. तेजस्वी सूर्या ने सिर्फ़ 17 का नाम लिया और बेड घोटाले के बारे में बोला. बीजेपी सीएम, एमपी, एमएलए इसके लिए ज़िम्मेदार नहीं हैं जिनके अंतर्गत बीबीएमपी/राज्य है लेकिन 17 कॉल सेंटर के लड़के ज़िम्मेदार हैं. बीजेपी के कट्टरपन का यह स्तर है."
https://twitter.com/srivatsayb/status/1389901808953298949
कॉल सेंटर के लड़कों का क्या है कहना
वॉर रूम में काम करने वाले एक जिस कर्मचारी का नाम बीजेपी सांसद ने लिया था, उन्होंने अपना नाम न सार्वजनिक करने की शर्त पर बीबीसी हिंदी से बात की.
उन्होंने कहा, "सर, हम लोग बेहद निचले स्तर पर काम करते हैं. हम यह तय नहीं करते कि किसे बेड मिलना चाहिए या किसे बेड नहीं मिलना चाहिए. हम वही करते हैं, शिफ़्ट में उस समय मौजूद डॉक्टर जो हमें आदेश देते हैं."
"हम कॉल रिसीव करते हैं और डॉक्टर को बताते हैं और उसके बाद वे हमें बताते हैं कि किसके लिए बेड बुक करना है. हम उनके निर्देशों का पालन करते हैं."
लगातार अपना नाम सार्वजनिक न करने का निवेदन करते हुए उस कर्मचारी ने कहा, "हमको एक निजी कंपनी ने काम पर रखा था और कहा था कि हमें वॉर रूम में काम करना है. हमें दो महीनों में पहली बार 12,000 रुपये मिले हैं."
उस कर्मचारी ने बताया कि उन्हें और उनके दूसरे सहकर्मियों को पुलिस थाने बुलाया गया था लेकिन उनसे पूछताछ नहीं की गई, हालांकि मंगलवार शाम को कुछ और कर्मचारियों से पूछताछ ज़रूर की गई लेकिन किसी को गिरफ़्तार नहीं किया गया क्योंकि उनके पास सबूत नहीं थे.
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सामाजिक कार्यकर्ता तारा कृष्णस्वामी बीबीसी हिंदी से कहती हैं, "उन्हें गिरफ़्तार नहीं किया गया क्योंकि उनके पास सबूत नहीं थे. अगर आपके पास सबूत नहीं हैं तो आप इन लोगों पर आरोप नहीं लगा सकते हैं. बिना किसी सबूत के कोविड के दौर में यह अपनी आजीविका खो चुके हैं."
चार लोगों की हुई गिरफ़्तारी
सिटी क्राइम ब्रांच (सीसीबी) को इस मामले की जांच का ज़िम्मा सौंपा गया है जिसने शहर के सभी आठ ज़ोनल वॉर रूम में छापेमारी की है.
बेंगलुरु पुलिस कमिश्नर कमल पंत ने बीबीसी हिंदी से कहा, "हमने चार लोगों को गिरफ़्तार किया है. उनमें से दो लोगों नेत्रावती और रोहित कुमार को मंगलवार रात को गिरफ़्तार किया गया था और बाक़ी दो को आज गिरफ़्तार किया गया है. आज गिरफ़्तार किए गए दो डॉक्टर हैं जिनके नाम रेहान और सतीश हैं."
पुलिस टीम ने कोविड मरीज़ का रिश्तेदार बनकर नेत्रावती और रोहित से बेड के लिए संपर्क किया था. पुलिस को पता चला कि यह लोग मरीज़ की आर्थिक हैसियत देखने के बाद उनसे 20 हज़ार से लेकर 40 हज़ार रुपये तक लेते थे.
गिरफ़्तार किए गए लोग उस समूह से हैं ही नहीं जिनका नाम बीजेपी सांसद ने अपनी लिस्ट में पढ़ा था.
एक दूसरी जांच में बेंगलुरु सिटी पुलिस की सेंट्रल डिविज़न ने पाया कि एक ऐसा ही रैकेट 50 से 70 हज़ार रुपये बिचौलिए को बेड के लिए देता था. वहीं इस मामले में तीन लोगों को पुलिस ने गिरफ़्तार किया है.
कांग्रेस विधायक रिज़वान अरशद ने ट्वीट करके सूर्या की आलोचना की है.
https://twitter.com/ArshadRizwan/status/1389869073698226177
उन्होंने लिखा, "कोई शर्म है तेजस्वी सूर्या. अगर आप और बीजेपी सरकार मदद नहीं कर सकती तो कम से कम अपनी नाकामियों को छिपाने के लिए सांप्रदायिक ज़हर तो मत फैलाओ. क्रोनोलॉजी—212 लोग वॉर रूम में काम करते हैं, तेजस्वी और उनका गैंग 17 मुस्लिम नाम लेता है और पॉइंट आउट करता है कि लिस्ट मदरसे से है."
तेजस्वी सूर्या आए सामने
कचरा प्रबंधन के जॉइंट कमिश्नर सरफ़राज़ ख़ान ने एक भावुक फ़ेसबुक पोस्ट लिखी है, जिस पर सूर्या ने प्रतिक्रिया भी दी.
पोस्ट में ख़ान ने लिखा कि सोशल मीडिया पर वो यह संदेश देखकर दुखी हैं कि उन पर वॉर रूम के 17 कर्मचारियों की मदद करने के आरोप हैं और उन्हें 'आतंकी' बताया गया.
सरफ़राज़ ख़ान ने कहा कि वो किसी वॉर रूम के इंचार्ज नहीं हैं और उनके पास दूसरे काम की ज़िम्मेदारी है.
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अधिकारी ने कहा कि वो सभी कोविड केयर सेंटर्स पर क़ीमती जानों को बचाने के लिए दिन और रात ऑक्सीजन का इंतज़ाम करने को लेकर काम कर रहे हैं.
सरफ़राज़ ख़ान ने कहा, "मैंने हज भवन को 140 बेड वाले ऑक्सीजन कोविड केयर सेंटर में बदला है और हज कमिटी के फ़ंड से 50 आईसीयू बेड स्थापित किए हैं. मैं कहना चाहता हूं कि हज भवन में 90 फ़ीसदी लोग हमारे दूसरे धर्म के भाई हैं और 10 फ़ीसदी लोग मुसलमान हैं. मेरा मानना है कि ईश्वर एक है चाहे उसे कोई अल्लाह कहे, भगवान कहे या फिर जीसस कहे. मेरी निष्ठा हमेशा से मेरे देश, मेरी सरकार और मेरे संविधान के लिए है."
https://twitter.com/zoo_bear/status/1389880312772009985
सूर्या ने ख़ान को फ़ोन करके कहा कि उन्होंने उनका नाम कभी भी नहीं लिया था और वो उनकी 'सुरक्षा' के लिए हमेशा हैं क्योंकि वो उनके काम का सम्मान करते हैं.
सूर्या से बीबीसी हिंदी ने संपर्क करने की कोशिश की लेकिन उनके दफ़्तर के तीन कर्मचारियों से बातचीत के बाद भी उनसे संपर्क नहीं हो सका.
हालांकि, ग्रामीण विकास एंव पंचायती राज मंत्री केएस ईश्वरप्पा ने शिवमोगा में पत्रकारों से कहा कि बेंगलुरु में बेड-ब्लॉकिंग के पीछे 'एक मुस्लिम संगठन' का हाथ है और सरकार उनके ख़िलाफ़ कार्रवाई करेगी जो इसमें शामिल हैं.
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