Coronavirus vaccine update:क्या वैक्सीन लगने से पहले ही कोरोना वायरस महामारी से मुक्त हो जाएगा भारत?
Coronavirus vaccine update:बीते 24 घंटे में देश में कोविड-19 के 16,311 नए मामले सामने आए हैं। यह संख्या 23 जून, 2020 के बाद सबसे कम है। ऐक्टिव मामले घटकर 2,22,526 तक पहुंच चुके हैं और रविवार के आंकड़ों के मुताबिक देश में कोविड से संबंधित फैसिलिटी की संख्या घटकर 161 रह गई थी। यही नहीं मई के आखिरी दिनों के बाद पहली बाद देखा जा रहा है कि इस बीमारी से रोजाना होने वाली मौतों की संख्या घटकर 200 से कम रह रही है। यह अच्छी खबरें ऐसे वक्त में आ रही हैं, जब भारत अपने देश में बनी दो-दो वैक्सीन के साथ आने वाले 16 जनवरी से विश्व के सबसे बड़े टीकाकरण अभियान के लिए तैयार है। ऐसे में सवाल उठ रहे हैं कि क्या जब तक देश में टीकाकरण अभियान रफ्तार पकड़ेगी, उससे पहले ही देश कोरोना मुक्त तो नहीं हो जाएगा?
कोरोना से मुक्ति की ओर बढ़ रहा है भारत ?
भारत में पहली खेप में 30 करोड़ से ज्यादा लोगों को कोविड वैक्सीन लगाई जानी है, जो लगभग अमेरिका की जनसंख्या के बराबर है। अमेरिका में ऐसे समय में टीकाकरण का काम शुरू हो चुका है, जब वहां हाल के दिनों में दुनिया में सबसे ज्यादा कोरोना संक्रमण और उससे होने वाली मौत के मामले सामने आ रहे हैं। लेकिन, इसके ठीक उलट भारत में कोरोना वैक्सीन लगाने की तैयारी ऐसे समय में हो रही है, जब संक्रमण के मामलों में भारी गिरावट दर्ज की जा रही है। कोविड से मौत के आंकड़े गिरते जा रहे हैं। केस लोड भी नीचे की ओर जा रहे हैं। ऐसे में सवाल उठ रहे हैं कि क्या यह संभव है कि भारत में टीकाकरण अभियान (vaccination drive) का पहला दौर जारी रहने के दौरान ही यह देश कोरोना से मुक्त तो नहीं हो जाएगा ?
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नैचुरल हर्ड इम्यूनिटी
भारत में अबतक कितनी आबादी पहले ही कोरोना वायरस (SARS-CoV-2) के संपर्क में आ चुकी है, इसकी सटीक गणना करना लगभग नामुमकिन है। हालांकि, इसके लिए एक विशेष मॉडल बहुत ही चर्चा में है। इस मैथमेटिकल सुपरमॉडल (mathematical supermodel ) से अनुमान लगाया गया है कि करीब 90 करोड़ भारतीय पहले ही कोरोना वायरस के संपर्क में आ चुके हैं। कोविड-19 इंडिया नेशनल सुपरमॉडल (Covid-19 India National Supermodel) के आधार पर यह अनुमान विशेषज्ञों की एक कमिटी ने जताया है, जिसे विज्ञान और प्रॉद्योगिकी विभाग (Department of Science and Technology) ने गठित किया था। हालांकि, इस मॉडल पर आधारित अनुमानों को पूरी तरह से सटीक तो नहीं माना जा सकता,लेकिन यह मानने के कई कारण मौजूद हैं कि करोड़ों की संख्या में भारतीय इस वायरस के संपर्क में आ चुके हैं और उनके शरीर में इसके खिलाफ एंटबॉडीज पैदा हो चुकी है (Natural herd immunity)।
संक्रमित लोगों में देखी गई ही बहुत ही लंबी इम्यूनिटी
हाल ही में एक नई स्टडी भी सामने आ चुकी है, जिससे यह पता चला है कि जो मरीज कोरोना से संक्रमित हो चुके हैं, उनमें जो नैचुरल इम्यूनिटी(Natural immunity) पैदा होती है, वह बहुत ही ज्यादा कारगर और लंबे समय के लिए होती है। वैसे तो दुनियाभर में कोविड-19 संक्रमण के मामले 10 करोड़ के आंकड़े को पार करने वाले हैं, लेकिन माना जा रहा है कि असल में हुआ संक्रमण इससे गई गुना ज्यादा हो सकता है। क्योंकि, करोड़ों ऐसे मामले हो सकते हैं, जिसमें लोग संक्रमित होकर ठीक भी हो गए और कम वायरल लोड और स्ट्रॉन्ग इम्यूनिटी की वजह से उन्हें पता भी नहीं चला। अभी तक दुनिया में मुश्किल से 35 ही ऐसे मामले आए हैं, जिसमें दोबारा संक्रमण हुआ हो और दो लोगों की मौत दोबारा संक्रमण के बाद होने की जानकारी मौजूद है।
नैचुरल हर्ड इम्यूनिटी की ओर भारत?
अब भारत के संदर्भ में दो तथ्य गौर करने वाले हैं। बहुत बड़ी तादाद में भारतीय पहले ही कोविड-19 वायरस के संपर्क में आ चुके हैं और दूसरा संक्रमित हो चुके लोगों का इम्यून सिस्टम इतना तगड़ा हो चुका है कि टी-सेल्स और बी-सेल्स (T-cells and B-cells ) एंटीबॉडीज (antibodies) को बढ़ाकर मरीजों को दोबारा संक्रमित होने से रोक रहे हैं। मतलब ये कि भारत आखिरकार एक ऐसी स्टेज में पहुंचने जा रहा है, जिसे नैचुरल हर्ड इम्यूनिटी (Natural herd immunity) कहते हैं, जहां वायरस को संक्रमित करने लायक लोग ही नहीं मिलेंगे और इस तरह से महामारी का देश निकाला हो जाने की उम्मीद है।
दुनिया के सबसे बड़े वैक्सीनेशन ड्राइव का क्या होगा?
अगर मान लिया जाए कि भारत अब तेजी से नैचुरल हर्ड इम्यूनिटी की ओर बढ़ रहा है तो दुनिया के सबसे बड़े वैक्सीनेशन ड्राइव (Vaccination drive) का क्या होगा? क्या इसकी आगे चलकर जरूरत पड़ेगी? या मानवता की रक्षा के लिए भारत में बनी वैक्सीन दुनिया के दूसरे देशों के काम आएगी? लेकिन, ऊपर जो आंकड़े दिए गए हैं, वह आखिरी नहीं हैं। इसपर अभी कुछ और विशेषज्ञों की राय की जरूरत है। यही नहीं और बेहतर परिणाम के लिए सीरोसर्वे (erosurveys) की भी आवश्यकता पड़ेगी। दूसरा, फ्रंटलाइन वर्कर्स और जिन्हें सबसे ज्यादा खतरा है, उनके लिए यह अभियान बहुत ही जरूरी है। तीसरा, यूके और दक्षिण अफ्रीका में पैदा हुए नए स्ट्रेन को लेकर भी सतर्क रहने की आवश्यकता पड़ेगी, क्योंकि वह भारत में किस करवट बैठेंगे, कहा नहीं जा सकता। लेकिन, आखिर में सबसे बड़ी बात ये है कि इस वायरस के बारे में अभी से सीना ठोककर कुछ भी कहना बहुत ही बड़ी जल्दीबाजी होगी। क्योंकि, इसने बीते एक साल के दौरान कई बार चौंकाया है। वैसे कई ऐसे भी एक्सपर्ट हैं, जो अभी से कह रहे हैं कि जिनके शरीर में पहले से एंटीबॉडीज तैयार हो चुकी है, उन्हें वैक्सीन लगवाने की जरूरत नहीं है।