भारत बायोटेक की 'Covaxin' के ट्रायल के लिए एम्स को नहीं मिल रहे वॉलंटियर, क्या है वजह
माना जा रहा है कि जनवरी से पहले चरण के तहत कोरोना की वैक्सीन देने का काम शुरू हो जाएगा।
नई दिल्ली। Coronavirus Vaccine News. कोरोना वायरस महामारी के खिलाफ देश में टीकाकरण अभियान को लेकर तैयारियां तेजी से चल रही हैं और माना जा रहा है कि जनवरी से पहले चरण के तहत कोरोना की वैक्सीन (Coronavirus Vaccine) देने का काम शुरू हो जाएगा। इन तैयारियों के बीच एक बड़ी खबर आई है। दरअसल दिल्ली स्थित ऑल इंडिया इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंस (एम्स) को भारत बायोटेक और आईसीएमआर द्वारा विकसित की गई वैक्सीन 'Covaxin' के तीसरे चरण के ट्रायल के लिए पर्याप्त संख्या में वॉलंटियर नहीं मिल रहे हैं। एम्स के अधिकारियों का मानना है कि लोग ऐसा सोच रहे हैं कि जल्दी ही कोरोना वायरस की वैक्सीन आने वाली है, और इसी वजह से वो ट्रायल का हिस्सा बनने के लिए तैयार नहीं हैं।
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आपको बता दें कि दिल्ली का एम्स उन जगहों में से एक है, जहां Covaxin के अंतिम चरण का ट्रायल चल रहा है। इस वैक्सीन के तीसरे चरण के ट्रायल के लिए करीब 1500 वॉलंटियर्स की जरूरत है। एम्स के प्रोफेसर और वैक्सीन ट्रायल के मुख्य जांचकर्ता डॉ. संजय राय ने बताया, 'कोवैक्सीन के अंतिम चरण के ट्रायल के लिए हमें 1500 से 2000 वॉलंटियर्स की जरूरत है, लेकिन अभी तक हमारे पास इनकी संख्या केवल 200 ही हो पाई है। लोग यह सोच कर ट्रायल में हिस्सा लेने के लिए तैयार नहीं हैं कि जब सभी के लिए जल्द ही एक वैक्सीन उपलब्ध हो जाएगी, तो फिर वो इस ट्रायल में भाग क्यों लें।'
6
महीनों
के
भीतर
दी
जाएंगी
कोरोना
की
60
करोड़
डोज
गौरतलब
है
कि
देश
में
कोरोना
वायरस
के
टीकाकरण
अभियान
को
लेकर
सरकार
पहले
से
ही
तैयारियां
शुरू
कर
चुकी
है।
स्वास्थ्य
मंत्रालय
का
कहना
है
कि
पहले
चरण
के
तहत
देश
के
उन
30
लोगों
को
वैक्सीन
दी
जाएगी,
जो
फ्रंटलाइन
वर्कर्स
हैं,
स्वास्थ्यकर्मी
हैं,
जिनकी
उम्र
50
साल
से
ज्यादा
है
और
जो
किसी
गंभीर
बीमारी
से
पीड़ित
हैं।
बुधवार
को
एम्स
के
डायरेक्टर
डॉ.
रणदीप
गुलेरिया
ने
बताया
था
कि
हम
लोग
अगले
6
महीनों
के
भीतर
30
करोड़
लोगों
को
कोरोना
वायरस
की
60
करोड़
डोज
देने
का
लक्ष्य
हासिल
कर
लेंगे।