क्या भारत बन रहा है कोरोना वैक्सीन का 'सुपर पावर',इन 11 से ज्यादा देशों ने की 'मेड इन इंडिया' टीके की मांग
Coronavirus vaccine update:जब दुनियाभर में कोरोना वायरस ने कहर ढाना शुरू किया था, तब हाइड्रोक्सीक्लोरोक्वीन(Hydroxychloroquine) की सप्लाई भेजकर भारत ने मानवता की रक्षा के लिए अपनी जिम्मेदारी निभाकर दिखाई थी। अब जब दुनियाभर में कोविड-19 के खिलाफ वैक्सीन देने का काम शुरू हुआ है तो एकबार फिर से विश्व के अनेको देश 'मेड इन इंडिया' वैक्सीन के लिए भारत की ओर कातर निगाहों से देख रहे हैं। उन्हें भरोसा है कि भारत में बनी वैक्सीन कारगर तो होगी ही, वह दुनिया की बड़ी कंपनियों के मुकाबले काफी किफायती भी होगी। कई देश पहले से ही वैक्सीन की लाखों डोज के लिए भारत सरकार से सीधे गुजारिश कर रहे हैं या फिर वैक्सीन बनाने वाली कंपनियों के पास ऑर्डर दे रहे हैं।
'मानवता की रक्षा' के लिए भारत की पहल
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Narendra Modi) पहले से ही कहते आ रहे हैं और पिछले शनिवार को उन्होंने प्रवासी भारतीय दिवस पर संबोधन के दौरान फिर यह बात दोहराई कि भारत 'मानवता की रक्षा' (save humanity)की रक्षा के लिए भारत में बनी दोनों वैक्सीन कोविशील्ड और कोवैक्सीन (Covishield and Covaxin) की डोज दुनिया को भी देने के लिए तैयार है, जिसे यहां इमरजेंसी इस्तेमाल के लिए मंजूरी मिली है। पीएम मोदी ने कहा था, 'भारत पीपीई किट, मास्क, वेंटिलेटर और टेस्टिंग किट बाहर से आयात करता था, लेकिन आज हमारा देश आत्मनिर्भर (self-reliant)है। आज 'मेड इन इंडिया' कोरोना वायरस वैक्सीन के जरिए भारत 'मानवता की रक्षा' के लिए तैयार है।' दरअसल, कम और मध्य-आय वर्ग वाले ज्यादातर देशों के पास जीएवीआई-कोवैक्स गठबंधन (Global Alliance for Vaccines and Immunisation (GAVI)-COVAX alliance) के तहत भी वैक्सीन पाने के विकल्प मौजूद हैं। इसके तहत जो भी देश वैक्सीन तैयार करता है कि वह गठबंधन में शामिल देशों को उसका कुछ डोज उपलब्ध करवाएगा, ताकि ऐसे 92 देशों तक यह आसानी से पहुंच सके। विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अनुराग श्रीवास्तव ने कहा है, 'कोरोना वायरस वैश्विक महामारी के खिलाफ दुनिया के साझा अभियान में भारत शुरू से सबसे आगे रहा है; और इस क्षेत्र में ड्यूटी की तरह अंतरराष्ट्रीय सहयोग की कोशिश कर रहा है, खासकर पड़ोसियों के साथ। '
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नेपाल
इस इरादे से भारत पाकिस्तान को छोड़कर अपने बाकी सभी पड़ोसियों के अलावा ब्राजील, मोरक्को, सऊदी अरब, म्यांमार, बांग्लादेश, दक्षिण अफ्रीका को भी वैक्सीन के सप्लाई के लिए तैयार है, जो भारत से आधिकारिक तौर पर सहयोग मांग चुके हैं। सूत्रों के मुताबिक 'नेबरहूड फर्स्ट' पॉलिसी के तहत भारत पहले पड़ोसी मुल्कों को वैक्सीन की सप्लाई करने में प्राथमिकता देगा। मसलन, नेपाल (Nepal)ने भारत से कोरोना वायरस वैक्सीन की 12 मिलियन डोज (1.20 करोड़) का अनुरोध किया है, जिसकी आपूर्ति भारत कर सकता है। इसके लिए एक समझौते पर हस्ताक्षर करने के लिए नेपाली विदेश मंत्री प्रदीप ग्यावली 14 जनवरी को भारत यात्रा पर भी आ रहे हैं। जानकारी के मुताबिक नेपाल भारत से अपनी 20 फीसदी आबादी के लिए कोविड-19 वैक्सीन की डोज चाहता है।
भूटान
भूटान (Bhutan) ने भारत से ऑक्सफोर्ड एस्ट्राजेनिका ( Oxford-AstraZeneca) या कोविशील्ड वैक्सीन (Covishield vaccine) की 10 लाख डोज की मांग की है। यह वैक्सीन पुणे स्थित सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया (Serum Institute of India) में तैयार की गई है।
म्यांमार
म्यांमार (Myanmar) ने सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया (Serum Institute of India) से ही कोविशील्ड वैक्सीन (Covishield vaccine) खरीदने के लिए डील साइन की है। सूत्रों के मुताबिक उसने चीन के साथ भी इसके लिए एक डील की हुई है। म्यांमार की स्टेट काउंसलर आंग सान सू की (AungSan Suu Kyi) ने नए साल के मौके पर राष्ट्र के नाम अपने संबोधन में कहा था, 'भारत के साथ वैक्सीन की पहली खेप खरीदने के लिए पहले साइन किया जा चुका है। भारत में वैक्सीन के इस्तेमाल की मंजूरी जैसे ही मिलेगी हमने म्यांमार में वैक्सीन के आयात के लिए इंतजाम कर रखा है।'
बांग्लादेश
बांग्लादेश (Bangladesh)को भारत से कोरोना वैक्सीन की 30 मिलियन (3 करोड़) डोज चाहिए। नवंबर में ही बांग्लादेश की दवा कंपनी बेक्सिमको ने सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया के साथ कोविशील्ड की 30 मिलियन डोज खरीदने का करार किया था, जिसे भारत में मंजूरी मिलने के बाद वहां सप्लाई किया जाना है।
श्रीलंका
श्रीलंका (Sri Lanka) ने भी भारत से कोरोना वैक्सीन लेने का अनुरोध कर रखा है। विदेश मंत्री एस जयशंकर (External Affairs Minister Dr S Jaishankar ) जब कोलंबो में वहां के राष्ट्रपति गोटबाया राजपक्षे (Gotabaya Rajapaksa) से मिले थे तो उन्हें भी इसका भरोसा दे आए थे। उधर श्रीलंका विश्व स्वास्थ्य संगठन के सहयोग से बने कोवैक्स गठबंधन की सुविधा उठाने की भी सोच रहा है,जिसके तहत कम और मध्य-आय के 92 देशों को कम दाम पर वैक्सीन उपलब्ध करवाए जाने हैं।
अफगानिस्तान
भारत ने वैक्सीन उपलब्ध करवाने में अफगानिस्तान (Afghanistan) को मदद करने का ऑफर दिया है। दोनों देशों के विदेश मंत्रियों की हाल ही में इस संबंध में बात भी हुई है। अफगानिस्तान ने आधिकारिक तौर पर भारत को वैक्सीन बनाए जाने पर शुभकामनाएं भी दी हैं। इस बीच सीरम इंस्टीट्यूट और देसी कोविड वैक्सीन कोवैक्सीन बनाने वाले भारत बायोटेक दोनों ने साझा बयान जारी कर देश के लिए और पूरी दुनिया को सुगमता से वैक्सीन उपल्ध करवाने का यकीन दिलाया है। भारत बायोटेक के कृष्णा एल्ला ने तो कहा है कि कोवैक्सीन में अमेरिका (US)और यूके (UK) समेत 12 से 14 देशों ने इच्छा जताई है। असल में ज्यादातर देश बहुत ज्यादा उन्नत टेक्नोलॉजी वाली वैक्सीन की बजाय सुरक्षित वैक्सीन की तलाश कर रहे हैं।
मालदीव
भारत का पड़ोसी मुल्क मालदीव (Maldives) वैक्सीन के पूरी तरह से भारत पर निर्भर है और जैसे ही उपलब्ध होगा उसकी उम्मीद पूरा होने के आसार हैं।
ब्राजील
भारत के लिए गर्व की बात है कि पड़ोसी मुल्कों के अलावा दुनिया के बड़े देशों ने भी भारतीय वैक्सीन में भरोसा जताया है और उसे खरीदने की इच्छा जताई है। इनमें ब्रिक्स (BRICS nations) के देश भी शामिल हैं। मसलन, ब्राजील (Brazil) के राष्ट्रपति जायर बोलसोनारो ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को एक 'अर्जेंट' चिट्ठी भेजकर सीरम इंस्टीट्यूट की कोविशील्ड के 20 लाख डोज फौरन भेजने की गुजारिश की है।
दक्षिण अफ्रीका
उधर दक्षिण अफ्रीका (South Africa) के स्वास्थ्य मंत्रालय ने कहा है कि वह भारत से कोरोना वैक्सीन की 15 लाख डोज मंगवा रहा है। सीरम इंस्टीट्यूट से 10 लाख डोज जनवरी में और बाकी अगले महीने पहुंचेगा। इसके अलावा कई देश सीरम इंस्टीट्यूट के नोवावैक्स वैक्सीन (Novavax vaccine) का भी इंजार कर रहे हैं, जो जुलाई 2021 तक आने की संभावना है। जबकि,कई देश विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के कोवैक्स प्रोग्राम (Covax programme)के तहत वैक्सीन के इंतजार में हैं, जिसमें भारत में बनी तुलनात्मक रूप से बेहद किफायती वैक्सीन का रोल सबसे अहम रहने वाला है।