कोविड के नए वेरिएंट पर कितनी असरदार है वैक्सीन? टॉप जीनोमिक्स एक्सपर्ट ने बताया
नई दिल्ली, 14 मई। देश के शीर्ष जीनोमिक्स विशेषज्ञ ने दावा किया है कोरोना वायरस वैक्सीन भारत में मौजूद वायरस के प्रभावी वेरिएंट के खिलाफ शायद कम असरदार हो सकती है फिर भी यह यह कोविड-19 से जुड़े गंभीर खतरे के खिलाफ सुरक्षा देती है।
सीएसआईआर के इंस्टीट्यूट ऑफ जीनोमिक्स एंट इंटेग्रेटिव बॉयोलॉजी के निदेशक डॉ. अनुराग अग्रवाल ने एक न्यूज चैनल से बातचीत में कहा "इन वेरिएंट के आने से पहले भी ब्रिटेन में हुए एक अध्ययन एक संक्रमित व्यक्ति को 6 महीने में 80 प्रतिशत सुरक्षा मिली थी। इसलिए सामान्य वायरस के साथ भी पुनः संक्रमण हो सकता है इसके लिए किसी खास वेरिएंट का होना जरूरी नहीं है।"
उन्होंने कहा कि "ऐसा ही वैक्सीनेशन के साथ भी है। जब कोवैक्सीन और कोविशील्ड को लेकर अध्ययन किया तो हमने पाया कि यह 76% और 80% असरदार थी। इसका मतलब यह हुआ कि 100 में 20 बार, इन वेरिएंट्स के आने से पहले भी, आप वैक्सीन लेने के बाद भी संक्रमित हो सकते हैं।
नए
वेरिएंट
पर
घटता
है
असर
लेकिन
अगर
आप
इस
समय
तेजी
से
फैल
रहे
वेरिएंट
के
संपर्क
में
आते
हैं
तो
क्या
होगा?
डॉ.
अग्रवाल
कहते
हैं
कि
नए
वेरिएंट
के
सामने
यह
80
प्रतिशत
घटकर
70
प्रतिशत
और
76
प्रतिशत
65
तक
पहुंच
सकता
है।
यानि
कि
वैक्सीन
के
असर
में
कमी
होगी।
हालांकि
संक्रमण
के
बाद
भी
बीमारी
की
गंभीरता
उस
तरह
से
नहीं
होगी
जैसी
बिना
वैक्सीन
के
होती।
भारत में तेजी से फैल रहा कोरोना वायरस का बी.1.617 वेरिएंट अभी तक 17 देशों में पाया जा चुका है।
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नए
वेरिएंट
में
भी
रिकवरी
के
चांस
डॉ.
अग्रवाल
ने
बताया
कि
इस
नए
वेरिएंट
से
संक्रमित
होने
के
बाद
भी
एक
सामान्य
व्यक्ति
में
रिकवरी
के
बहुत
ज्यादा
चांस
होते
हैं।
ऐसा
महाराष्ट्र
में
देखा
गया
है।
उन्होंने
कहा
समस्या
तब
हो
जाती
है
जब
बहुत
सारे
अचानक
से
संक्रमित
हो
जाते
हैं।
क्योंकि
अचानक
मामलों
की
संख्या
बढ़ने
से
स्वास्थ्य
सेवाओं
पर
अचानक
से
दबाव
बढ़
जाता
है
और
सही
तरीके
से
उपचार
न
मिलने
से
यह
खतरनाक
हो
जाता
है।
अगर
इन
लोगों
को
उचित
समय
पर
उपचार
मिल
जाए
तो
वे
ठीक
हो
जाएंगे।
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