कोरोना वायरस: तिरुमला-तिरुपति मंदिर खुला, पर मंदिर कर्मी ही होने लगे हैं संक्रमित
मार्च में कोरोना की वजह से 128 साल बाद पहली बार तिरुपति मंदिर में बालाजी का दर्शन रोका गया. 11 जून को मंदिर को दोबारा खोला गया मगर अब वहाँ मंदिर के ही कर्मचारी संक्रमित होते जा रहे हैं.
तिरुमला में बालाजी का ज़िक्र आते ही भक्तों के उस समूह का ख्याल आता है जो वहां ठहरने के लिए कमरे की बुकिंग और दर्शन के लिए घंटों कतार में खड़े रहते हैं.
लेकिन आज की तारीख़ में तिरुमला में हालात वैसे नहीं है. नीचे तिरुपति में कोरोना तेज़ी से अपने पांव पसार रहा है तो ऊपर तिरुमला में कोरोना वायरस का प्रभाव हर जगह दिखता है.
टीटीडी (तिरुमला-तिरुपति देवस्थानम) ट्रस्ट के अधिकारियों ने श्रीवारी मेतलु के रास्ते पदयात्रा पर रोक लगा दी है. जनसंपर्क अधिकारियों के मुताबिक अलिपिरी पदाला मंडपम पदयात्रा के रास्ते भी सुबह 6 बजे से शाम 4 बजे तक ही श्रद्धालु जा सकते हैं. ये वो दो रास्ते हैं जिसके जरिए हज़ारों की संख्या में पदयात्री रोज़ बालाजी के दर्शन के लिए तिरुपति से तिरुमला जाते हैं.
भले ही पैदल जाने के एक रास्ते को बंद कर दिया गया है लेकिन गोविंदा… गोविंदा… गोविंदा… का जयकारा पहले की भांति आज भी सह्याद्री पर्वत के इस तीर्थ स्थल पर गूंजयमान है. माडा स्ट्रीट पर छिटपुट श्रद्धालु दिख जाते हैं. वेंगमाम्बा फूड सेंटर, लड्डू काउंटर, कल्याण कट्टा (मुंडन का मुख्य केंद्र), तिरुपति से बसों का आना और वापस जाना, ये सभी कुछ बदलाव के साथ अनवरत चल रहे हैं.
मास्क, सैनिटाइज़र, सोशल डिस्टेंसिंग… ये सभी बाकी दुनिया की तरह यहां भी देखे जा सकते हैं. तिरुमला के साथ ही तिरुपति में भी कोरोना वायरस के मामलों में तेज़ी से वृद्धि देखी जा रही है.
128 साल बाद बंद किया गया दर्शन
कोविड 19 की वजह से 20 मार्च 2020 को तिरुमला देवस्थानम में बालाजी का दर्शन 128 साल बाद पहली बार रोका गया. हालांकि 11 जून को वापस इसे दर्शन के लिए खोल दिया गया.
आम दिनों में यहां रोज़ क़रीब 60 हज़ार लोग भगवान वेंकटेश के दर्शन करते हैं. 8, 9 जून को यहां प्रयोग के तौर पर जब दर्शन दोबारा शुरू किया गया तो यह केवल ट्रस्ट के कर्मचारियों के लिए था. 10 जून ऊपर रह रहे निवासियों के लिए खोला गया. फिर अगले दिन यानी 11 जून को इसे भक्तों के दर्शन के लिए खोल दिया गया. हालांकि सभी ऐहतियात बरते गए लेकिन 15 जून को एक टीटीडी कर्मचारी का कोरोना टेस्ट पॉजिटिव आया. और इसके साथ ही कोरोना वायरस आधिकारिक रूप से तिरुमला पहुंच गया.
जब पुजारियों को हुआ कोरोना
इसके बाद से यहां कोरोना पॉजिटिव टीटीडी कर्मचारियों की संख्या में लगातार धीरे धीरे वृद्धि होती रही है. टीटीडी अधिकारियों के मुताबिक 15 जुलाई को यह संख्या 176 तक पहुंच गई और इनमें से 15 अर्चक (पुजारी) थे.
अब तक यहां वरिष्ठ पुजारी से लेकर कई अन्य अर्चक (पुजारी) कोरोना पॉजिटिव हुए हैं जबकि कुछ और पुजारियों की रिपोर्ट का इंतजार है. टीटीडी के जनसंपर्क विभाग ने सूचित किया कि जिन 15 पुजारियों का कोरोना टेस्ट पॉजिटिव आया था उनमें से 14 को 25 जुलाई को अस्पताल से छुट्टी दे दी गई है जबकि एक का चेन्नई के अपोलो अस्पताल में इलाज चल रहा है. एक पूर्व मुख्य पुजारी और एक अन्य कर्मचारी जो दीया जलाने के काम में लगे थे उनकी मौत हो गई है.
बीबीसी ने ईओ अनिल सिंघल से उनके आधिकारिक मेल पर तिरुमला में कोरोना की वर्तमान स्थिति की जानकारी के लिए संपर्क किया लेकिन तीन दिनों तक उनकी तरफ से इसका कोई जवाब नहीं आया है. सहयाद्री की पहाड़ियों पर बसे इस तीर्थ स्थल में कोरोना की वर्तमान स्थिति कैसी है इस पर विरोधाभासी तर्क मौजूद हैं. कुछ के मुताबिक यहां कोरोना के प्रभाव की मौजूदगी बरकरार है वहीं कुछ इसे सिरे से खारिज करते हैं जबकि उनके पास तथ्य नहीं हैं.
नाम नहीं छापने की शर्त पर तिरुपति के एक वरिष्ठ पत्रकार कहते हैं, "हर दिन क़रीब 12 हज़ार श्रद्धालु दर्शन के लिए तिरुमला जाते हैं, हम विश्वास के साथ ये कैसे कह सकते हैं कि उनमें से किसी में भी कोरोना वायरस मौजूद नहीं है."
कोरोना की वजह से तिरुमला मंदिर के पूर्व मुख्य पुजारी की मौत हो चुकी है. हाल ही में 24 जुलाई को टीटीडी के एक कर्मचारी की मौत हो गई.
एक वरिष्ठ पत्रकार कहते हैं कि मंदिर के पुजारी भी अपनी सलामती को लेकर फ़िक्रमंद हैं. पुजारियों में इसके संक्रमण को लेकर कई संभावनाओं के मद्देनज़र वो कहते हैं, "तिरुमला का गर्भगृह बहुत ही छोटा है. निश्चित ही वहां पुजारियों और श्रद्धालुओं के बीच पहले से ही एक तय दूरी बनी रहती है. लेकिन मास्क पहने श्रद्धालु जब गर्भगृह में पहुंचते हैं तो वो अपने मास्क उतार कर गोविंदा… गोविंदा… गोविंदा… के जयकारे लगाने लगते हैं. ऐसे में उनके मुंह से वाष्पकण हवा में मिल जाएंगे. मौजूदा तथ्यों के मुताबिक ये वायरस हवा में कुछ घंटे तक जीवित रहते हैं जहां ये ड्रॉपलेट्स गिरे हैं वहां से गुज़रने के दौरान कर्मचारियों या पुजारी तक पहुंचने का ख़तरा बरकरार रहेगा.
तो क्या तिरुपति में दर्शन रोक दिए जाने चाहिए?
मंदिर में मुख्य पुजारी रह चुके रमन्ना दीक्षुतुलु ने तिरुपति के इस वरिष्ठ पत्रकार की बातों से सहमति जताते हुए बीबीसी से कहा, "हम इस संभावना को ख़ारिज नहीं कर सकते और हमें इस पर बात करनी चाहिए."
वो कहते हैं, वीआईपी दर्शन के दौरान श्रद्धालु पुजारी के बेहद क़रीब तक आ जाते हैं. ऐसे में उनके संक्रमित होने की संभावना कई गुना बढ़ जाती है. अमुक श्रद्धालु देश के किस राज्य से आ रहा है? वो रेड ज़ोन से है या ग्रीन ज़ोन? क्या उन्हें कोविड है? ये पुजारियों को यह नहीं पता होता. लोग टिकट ख़रीदते हैं जिससे उन्हें वीआईपी दर्शन की अनुमति मिल जाती है. लिहाजा ऐसी परिस्थिति कोरोना संक्रमण के पसरने का मौका भी है."
रमन्ना दीक्षुतुलु कहते हैं, "लॉकडाउन के दौरान तिरुमला में एक भी मामला नहीं था. लॉकडाउन में ढील देने और दर्शन फिर से शुरू किए जाने के बाद ही मामलों में उछाल आया. यदि दर्शन बंद भी कर देते हैं तो मंदिर के लिए कोई नुकसान नहीं होगा. सभी पूजा अनुष्ठानों को निजी तौर पर आयोजित किया जा सकता है. सार्वजनिक दर्शन के दौरान पुजारी सीधे तौर पर श्रद्धालुओं के संपर्क में नहीं आते हैं. लेकिन कोरोना के बढ़ते मामलों को देखें तो लगता है कि दर्शन को रोक दिया जाए तो यह अच्छा होगा."
तिरुमला के पुजारी तिरुपति में रहते हैं. कोविड के बढ़ते मामलों को देखते हुए टीटीडी को लगता है कि रोज़ ऊपर आना जाना ख़तरनाक हो सकता है. ऐसे में पुजारियों को 15 दिन तिरुमला में ही रहना चाहिए और इसके लिए अर्चक भवन में पुजारियों के ठहरने की ट्रांजिट व्यवस्था की गई.
पीआरओ विंग से मिली सूचना के मुताबिक इसके बाद कुछ पुजारी कोरोना वायरसे से संक्रमित हो गए तो उन्हें वकुल भवन में भेज दिया गया जहां अगल अगल कमरों में उनके रहने की व्यवस्था थी. अर्चक भवन में कॉमन डॉरमेट्री और डाइनिंग थी.
60 हज़ार से कम हो कर श्रद्धालुओं की संख्या रह गई छह हज़ार
तिरुमला तिरुपति देवस्थानम (टीटीडी) के अधिकारी बताते हैं कि यहां ब्रह्मोत्वस के दौरान तो कई बार यहां रोज़ान दर्शन करने वालों की संख्या एक लाख को पार कर जाती थी. आम दिनों में भी 60 हज़ार से कम लोग श्रीनिवास नहीं पहुंचते. लेकिन कोरोना वायरस के चलते टीटीडी ने यह व्यवस्था की कि यहां कम से कम संख्या में लोग दर्शन करने पहुंचे. लॉकडाउन खुलने के बाद टीटीडी ने नौ हज़ार ऑनलाइन और 3000 ऑफ़ लाइन दर्शन टिकट ही जारी किए. लेकिन तिरुपति शहर में वायरस के पसरने के साथ ही 20 जुलाई से ऑफ़ लाइन टिकट दिए जाने बंद कर दिए गए.
तिरुमला में ठहरने की व्यवस्था?
तिरुमला में ठहरने के लिए 6500 कमरों में 70 हज़ार से एक लाख तक लोग ठहरा करते थे. लेकिन अब टीटीडी के मुताबिक केवल पांच से छह हज़ार लोग ही दर्शन के लिए पहुंच रहे हैं.
अधिकारी बताते हैं कि आमतौर पर तिरुमला में 24 घंटे के लिए ही कमरा बुक करने की व्यवस्था है जिसे 72 घंटे तक बढ़ा सकते हैं लेकिन अभी एक दिन से अधिक के लिए कमरा नहीं दिया जा रहा है. साथ ही कमरों का आवंटन ऑड-इवेन की तर्ज़ पर किया जा रहा है. इस व्यवस्था में जो कमरा आज बुक किया गया है उसके बाद वाला कमरा खाली रखा जाता है. दूसरे कमरे को एक दिन बाद बुक किया जा रहा है. दूसरे दिन पहला कमरा खाली रहेगा. साथ ही आवंटित कमरा हर दो घंटे में सैनेटाइज़ किया जा रहा है.
कल्याण कट्टा
हज़ारों की संख्या में श्रद्धालु तिरुमला के कल्याण कट्टा (वो जगह जहां श्रद्धालुओं का मुंडन किया जाता है) में मुंडन करवाने का प्रण लेकर पहुंचते हैं. यहां टीटीडी के हजाम उनका मुंडन करते हैं.
लॉकडाउन के दौरान सरकार ने देश भर में सैलून को बंद कर दिया था. अब जबकि यह दोबारा शुरू कर दिया गया है तो टीटीडी ने कल्याण कट्टा के अपने हजामों की सुरक्षा के लिए उन्हें पीपीई किट पहनने की व्यवस्था कर दी है.
दर्शन
अधिकारियों के मुताबिक श्रद्धालु अगर पहले से आवंटित समय में दर्शन के लिए पहुंचते हैं तो वो केवल आधे घंटे में बालाजी का दर्शन कर सकते हैं. दर्शन के दौरान लगी पंक्ति में सोशल डिस्टेंसिंग बरकरार रहे इसके लिए पूरी सावधानी बरती जा रही है.
मंदिर के अंदर और बाहर गोलाकार रेखा खींची गई है ताकि दो श्रद्धालुओं के बीच कम से कम दो मीटर का फासला बना रहे. ऐसी ही व्यवस्था लड्डू काउंटर पर भी की गई है. पहले यहां नियमति तौर पर 67 लड्डू काउंटर खुले रहते थे लेकिन अब केवल 27 काउंटर ही खुले हैं.
अन्न प्रसादम
तिरुमला में दर्शन के अलावा प्रसिद्ध तारिगोंडा वेंगामाम्बा अन्न प्रसादम (खाने की व्यवस्था) भी है. यहां चार बड़े कमरों में एक साथ बैठ कर खाने की व्यवस्था है. जहां एक बार में क़रीब एक हज़ार लोगों एक साथ खाते थे.
पहले एक टेबल पर चार लोग साथ बैठते थे लेकिन अब उस पर केवल दो लोग ही बैठ सकते हैं.
तिरुमला का तिरुपति पर असर
तिरुपति शहर में कोरोना वायरस के मामले बीते दिनों में ख़तरनाक संख्या तक पहुंची. जून में पॉजिटिव मामले बहुत कम थे लेकिन जुलाई में इसमें कहीं तेज़ी से बढ़ोतरी हुई. चित्तूर के ज़िलाधिकारी भरत गुप्ता ने बीबीसी को बताया कि प्रत्येक 100 सैंपल में से 15 मामले पॉजिटिव आ रहे हैं.
जहां 10 जून तक तिरुपति में पॉजिटिव मामलों की संख्या 40 थी. वहीं जब बालाजी का दर्शन दोबारा शुरू हुआ, यानी 11 जून से 30 जून के दरम्यान 276 मामले दर्ज किए गए.
12 जुलाई को कोरोना पॉजिटिव मामलों की संख्या 853, 13 जुलाई को 928 और 25 जुलाई को यह 2,237 तक पहुंच गई. इन आंकड़ों में अस्पताल से डिस्चार्ज हुए लोग और वो जिनकी मौत हो चुकी है उन्हें भी शामिल किया गया है. 25 जुलाई तक यहां एक्टिव मामलों की संख्या 785 थी.
"हो सकता है केवल तिरुमला ही कारण न हो"
ज़िलाधिकार डॉ. एन भरत गुप्ता ने बीबीसी को बताया कि तिरुमला में दर्शन के लिए जाने से पहले और लौट कर आने के रास्ते में तिरुपति में एक सीमाबंदी लगाई गई है. वो कहते हैं कि यह कहना बिल्कुल सही नहीं होगा कि तिरुमला दर्शन की वजह से तिरुपति में कोरोना पॉजिटिव लोगों की संख्या बढ़ रही है.
वे कहते हैं, "हम पक्के तौर पर ऐसा बिल्कुल नहीं कह सकते कि कोरोना संक्रमित लोग तिरुमला में नहीं जा रहे होंगे. साथ ही यह भी संभव नहीं है कि रोज़ आ रहे छह सात हज़ार श्रद्धालुओं के एक साथ कोरोना टेस्ट करवाए जाएं."
भरत गुप्ता कहते हैं, "तिरुमला दर्शन का असर तिरुपति पर हो सकता है लेकिन यह भी नहीं कहा जा सकता है कि यह पूरी तरह उसी की वजह से है. लेकिन ऐसा नहीं है कि केवल तिरुपति शहर में ही कोरोना के मामले बढ़ रहे हैं. इसकी संख्या देश के कई ज़िलों में बढ़ रही है. देश भर में रोज़ाना क़रीब ढाई लाख टेस्ट किए जा रहे हैं. अगर लगभग सात हज़ार लोगों के टेस्ट करने होंगे तो ये यहां के कुल टेस्ट का 3 फ़ीसदी हिस्सा होगा. और यह व्यवहारिक नहीं लगता है."
उनके मुताबिक अभी क़रीब पांच हज़ार टेस्ट रोज़ किए जा रहे हैं. जैसे जैसे टेस्ट की संख्या में वृद्धि हो रही है वैसे वैसे ही पॉजिटिव मामले भी बढ़ रहे हैं.
वे कहते हैं, "हम तिरुमला जा रहे श्रद्धालुओं का रैन्डम टेस्ट कर रहे हैं. अब तक हमने 400 श्रद्धालुओं का टेस्ट किया है. इनमें से एक भी पॉजिटिव नहीं निकला है. आंकड़ों के मुताबिक तिरुमला सुरक्षित है. टीटीडी ने जो उपाए किए हैं वो सराहनीय हैं."