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कोरोना की तीसरी लहर में बच्चों को ज्यादा खतरा, इसके कोई पुख्ता सबूत नहीं: रिपोर्ट

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नई दिल्ली, 13 जून। देश में कोरोना की दूसरी लहर के बाद आशंका जताई जा रही है कि कोरोना की तीसरी लहर भी जल्द दस्तक दे सकती है और तीसरी लहर में बच्चों के लिए सबसे ज्यादा खतरा है। तमाम रिपोर्ट में दावा किया गया है है कि तीसरी लहर बच्चों के लिए मुसीबत बन सकती है। लेकिन नैंसेट रिपोर्ट के अनुसार इस बात के कोई पुख्ता सबूत नहीं है कि कोरोना की तीसरी लहर में बच्चे ज्यादा प्रभावित होंगे। लैंसेट कोविड-19 इंडिया टास्क फोर्स ने जो रिपोर्ट तैयार की है उसमे कहा गया है कि कोरोना की तीसरी लहर बच्चों को ज्यादा प्रभावित करेगी इसके कोई पुख्ता सबूत नहीं हैं।

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रिपोर्ट में कहा गया है कि अधिकतर बच्चों में कोविड के लक्षण नहीं हैं और वो असिंप्टोमैटिक हैं, बच्चों में हल्का संकर्मण ही देखने को मिला है। बच्चों में बुखार और सांस लेने की दिक्कत ही सामने आई है, साथ ही उनमे डायरिया, उल्टी, पेट में दर्द की शिकायत होती है। तकरीबन 2600 बच्चे जो अस्पताल में भर्ती हैं उनके आंकड़े लिए गए हैं, इन बच्चों की उम्र 10 साल से कम है। ये बच्चे तमिलनाडु, केरल, महाराष्ट्र, दिल्ली एनसीआर रीजन के हैं। इन बच्चों की जानकारी को इकट्ठा करके इसी के आधार पर इस रिपोर्ट को तैयार किया गया है। रिपोर्ट के अनुसार इन अस्पतालों में बच्चों मृत्यु दर सिर्फ 2.4 फीसदी है, जिन बच्चों की मृत्यु हुई है उसमे से 40 फीसदी बच्चों को और भी बीमारी थी।

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अस्पताल में भर्ती किए गए 9 फीसदी संक्रमित बच्चों में गंभीर बीमारी थी। कोरोना की दोनों ही लहर में तकरीबन ऐसे ही आंकड़े देखने को मिले हैं। एम्स की डॉक्टर शेफाली गुलाटी, सुशील के काबरा और राकेश लोढ़ा ने इस शोध में अपना अहम योगदान दिया है। काबरा ने कहा कि कोरोना संक्रमित 5 फीसदी से कम बच्चों को भर्ती कराने की जरूरत पड़ी है और जितने भर्ती कराए गए हैं उसमे से सि्फ 2 फीसदी की मृत्यु हुई है। उदाहरण के तौर पर मान लीजिए अगर एक लाख बच्चे संक्रमित हुए तो उसमे से सिर्फ 500 बच्चों को भर्ती कराना पड़ा और उसमे से सिर्फ 10 बच्चों की मृत्यु हुई। मृत्यु की ओर भी वजहे हैं जिसमे मधुमेह, कैंसर, एनीमिया, कुपोषण शामिल है। सामान्य बच्चों में मृत्यु दर बहुत दुर्लभ है।

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English summary
Coronavirus third wave affect children it has no Substantial Evidence says report.
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