क्विक अलर्ट के लिए
अभी सब्सक्राइव करें  
क्विक अलर्ट के लिए
नोटिफिकेशन ऑन करें  
For Daily Alerts
Oneindia App Download

कोरोना वायरस: वो महिला जिन्होंने घरेलू मास्क घर-घर पहुंचाया

11 अप्रैल को भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जब देश भर के नेताओं से वीडियो कॉन्फ्रेंसंग के ज़रिए बात कर रहे थे उस वक्त वे घरेलू सफ़ेद मास्क इस्तेमाल कर रहे थे. इससे पांच दिन पहले, उनकी सरकार ने घनी आबादी वाले शहरों में रहने वाले लोगों से अपील की थी कि घर से बाहर निकलते वक्त कोरोना संक्रमण से सुरक्षा के लिए घरेलू मास्क का इस्तेमाल करें. मास्क के इस्तेमाल को लेकर 

By पल्लव बागला
Google Oneindia News
कोरोना वायरस, होम मेड मास्क
Getty Images
कोरोना वायरस, होम मेड मास्क

11 अप्रैल को भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जब देश भर के नेताओं से वीडियो कॉन्फ्रेंसंग के ज़रिए बात कर रहे थे उस वक्त वे घरेलू सफ़ेद मास्क इस्तेमाल कर रहे थे.

इससे पांच दिन पहले, उनकी सरकार ने घनी आबादी वाले शहरों में रहने वाले लोगों से अपील की थी कि घर से बाहर निकलते वक्त कोरोना संक्रमण से सुरक्षा के लिए घरेलू मास्क का इस्तेमाल करें.

मास्क के इस्तेमाल को लेकर भारत ने इससे पहले अलग नज़रिया अपनाया था, पहले सरकार की ओर से कहा गया था कि केवल संक्रमित लोगों को ही मास्क पहनना है.

इस नीतिगत बदलाव और घरेलू मास्क के इस्तेमाल पर ज़ोर देने के पीछे एक महिला बायोकेमिस्ट की अहम भूमिका रही है. यह महिला वैज्ञानिक हैं 58 साल की शैलजा वी गुप्ता.

शैलजा भारत सरकार में प्रमुख वैज्ञानिक सलाहकार के ऑफिस में वैज्ञानिक हैं. उनका काम सरकार के लिए नीतियों को बनाना और तकनीक के बेहतर इस्तेमाल संबंधी सुझाव देना है.

मास्क के उपयोग पर बहस

शैलजा ने बताया, "भीड़ भाड़ वाली जगह पर संक्रमण पर अंकुश के लिए घरेलू मास्क का उपयोग सही उपाय है. उदाहरण के लिए जो लोग झुग्गी झोपड़ियों में रहते हैं उन्हें तो सस्ता और आसान उपाय चाहिए. ऐसे में घरेलू मास्क लोगों को संक्रमण से बचा सकता है."

वैसे दुनिया भर में बचाव के उपाय के लिहाज से घरेलू मास्क और दूसरे मास्क के उपयोग को लेकर बहस जारी है. विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) ने कहा है कि मास्क पहनने से कोरोनो से बचाव के पक्ष में बहुत ज़्यादा सबूत नहीं मिले हैं.

इसके बाद भी चीन, हॉन्गकॉन्ग सहित कई एशियाई देशों ने अपने यहां मास्क के प्रयोग को अनिवार्य किया है. इस बहस में कहा जा रहा है कि बहुत सारे संक्रमित लोगों में संक्रमण के लक्षण नहीं दिखे हैं, ऐसे में अनजाने रूप में फैलने वाले संक्रमण पर अंकुश लगाने के लिए मास्क ज़रूरी है.

शैलजा वी गुप्ता
PALLAVA BAGLA
शैलजा वी गुप्ता

कोरोना से बुरी तरह प्रभावित अमरीका और ब्रिटेन जैसे देशों में भी मास्क का इस्तेमाल अनिवार्य कर दिया गया है.

अमरीकी सेंटर फॉर डिजीज कंट्रोल एंड प्रिवेंशन (सीडीसी) ने लोगों से उन सार्वजनिक जगहों पर घरेलू मास्क पहनने की सिफ़ारिश की, जहां सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करना मुश्किल हो. यह सलाह कम्युनिटी ट्रांसमिशन की आशंका वाले जगहों को ध्यान में रखकर दी गई है.

भारत जैसे मुल्क में पर्सनल प्रोटेक्टिव इक्वीपमेंट्स (पीपीई) की कमी है और सर्जिकल मास्क ख़रीदना हर किसी के लिए संभव नहीं है, ऐसे में शैलजा गुप्ता के मुताबिक़ घरेलू मास्क से लोगों को बचाने में मदद मिलेगी.

शैलजा गुप्ता भारत के शीर्ष इंजीनियरिंग कॉलेज इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नॉलॉजी की पूर्व छात्रा हैं. वह देश के सबसे अभावग्रस्त इलाक़ों में भी काम कर चुकी है.

शैलजा मुंबई के सबसे बड़े झुग्गी झोपड़ी वाले धारावी में आउटरीच ऑफ़िसर के तौर पर पर काम कर चुकी हैं. इस इलाक़े में उन्होंने ग़रीब तबके के बच्चों को सस्ते माइक्रोस्कोप से जीवाणुओं के बारे में जागरूक किया है.

जब भारत में कोरोना वायरस का संक्रमण फैलने लगा, तो शैलजा गुप्ता ने घर पर मास्क बनाने के तरीक़े का एक मैन्युएल तैयार किया और भारत की 22 आधिकारिक भाषाओं में उसका अनुवाद कराया.

इसके अलावा कोरोना संक्रमण के ख़िलाफ़ हर रणनीति में वह घरेलू मास्क को ज़रूरी हिस्से के तौर पर अपनाने की सलाह देती रहीं.

अपने तर्क को दमदार बनाने के लिए शैलजा अंतरराष्ट्रीय जर्नल्स में मास्क के इस्तेमाल से जुड़े शोध पत्रों का हवाला भी देती हैं.

चेक गणराज्य और दक्षिण कोरिया जैसे देशों में घरेलू मास्क का इस्तेमाल लगातार किया जा रहा है. चेक गणराज्य में तो मास्क के बिना बाहर निकलना ग़ैर क़ानूनी है.

सस्ता उपाय है घरेलू मास्क

शैलजा गुप्ता के मुताबिक़ घरेलू मास्क किसी भी रंग के नए या पुराने सूती कपड़े से बनाया जा सकता है.

उनके मुताबिक़ नौ गुना सात इंच की साइज में काटे गए कपड़े में चार डोरियां लगाने भर से फेस मास्क तैयार हो जाता है. इस घरेलू मास्क के ज़रिए मुंह और नाक को ढंका जा सकता है.

घरेलू मास्क को नियमित तौर पर साबुन और पानी से धोते रहना चाहिए. इसे फिर से इस्तेमाल करने लायक़ बनाना बहुत सस्ता है.

दूसरी ओर प्लास्टिक फैब्रिक से बने डिस्पोजेबल सर्जिकल मास्क की क़ीमत दस रुपए है. डॉक्टरों और नर्सों के इस्तेमाल वाले एन95 मास्क की क़ीमत किसी दिहाड़ी मज़दूर के एक दिन की आमदनी से भी ज़्यादा 500 रुपए के क़रीब है.

भारत सरकार ने यह भी कहा है कि देश के 27 राज्यों के क़रीब 78 हज़ार स्वयंसेवी समूहों द्वारा दो करोड़ घरेलू मास्क तैयार कर लिए गए हैं.

कोरोना वायरस, होम मेड मास्क
Getty Images
कोरोना वायरस, होम मेड मास्क

शैलजा गुप्ता के मुताबिक़ देश को जल्दी ही ऐसे एक अरब मास्क की ज़रूरत होगी. देश के अख़बार समूह ने लोगों से अपना मास्क ख़ुद बनाने की अपील करते हुए मास्क इंडिया अभियान ही शुरू कर दिया है.

आधिकारियों के मुताबिक़ इस अभियान का पूरा श्रेय शैलजा गुप्ता को जाता है.

भारत सरकार के प्रमुख वैज्ञानिक सलाहकार के विजय राघवन ने बताया, "फेस मास्क की ज़रूरत को लेकर शैलजा की सोच स्पष्ट थी. उन्होंने अपनी टीम से एक प्रभावी मैन्युएल तैयार कराया. इस अभियान को आगे ले जाने को लेकर उनमें दृढ़ता भी थी, उनकी कोशिशों के चलते परिणाम साकारात्मक रहे."

BBC Hindi
Comments
देश-दुनिया की ताज़ा ख़बरों से अपडेट रहने के लिए Oneindia Hindi के फेसबुक पेज को लाइक करें
English summary
Coronavirus: the woman who Delivered the mask door to door
तुरंत पाएं न्यूज अपडेट
Enable
x
Notification Settings X
Time Settings
Done
Clear Notification X
Do you want to clear all the notifications from your inbox?
Settings X
X