कोरोना संक्रमण के खतरे को देखते हुए सुप्रीम कोर्ट का बड़ा आदेश, 7 साल से कम की सजा वाले कैदी होंगे रिहा
नई दिल्ली। देश में कोरोना वायरस के संक्रमण के लगाातार बढ़ रहे खतरे को देखते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कम गंभीर मामलों में जेल में बंद कैदियों को रिहा करने का आदेश दिया है। कोर्ट ने राज्य सरकारों को आदेश दिया है कि जेलों में सजा काट रहे कैदी जिनकी सजा 7 साल से कम है उन्हें पैरोल या अंतरिम जमानत पर छोड़ा जाए। इसमें सजा पाए और विचाराधीन दोनों शामिल हैं। जिन्हें सजा मिली है, वो सात साल से ज्यादा ना हो और जो विचाराधीन हैं, उनके मामले में सात साल से ज्यादा की सजा का प्रावधान ना हो।
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कोर्ट ने कैदियों को 6 हफ्ते के लिए पैरोल देने का कहा है। कोर्ट ने जेलों से भीड़ कम करने के लिए ये आदेश दिया है। कोर्ट ने आदेश देते हुए कहा कि राज्य सरकारें इसे लेकर हाई पॉवर कमेटी का गठन करें। इस समिति में लॉ सेकेट्ररी, राज्य लीगल सर्विस ऑथोरिटी के चैयरमैन, जेल के डीजी को शामिल किया जाए। ये कमेटी तय करेगी कि 7 साल की सजा वाले मामलो में किन सजायाफ्ता कैदियों और अंडर ट्रायल किन कैदियों को पैरोल या अन्तरिम जमानत पर छोड़ा जा सकता है।
मामले की पिछली सुनवाई 17 मार्च को हुई थी। तब चीफ जस्टिस एसए बोबडे ने जेलों क्षमता से ज्यादा कैदियों के होते हुए जेल के अधिकारियों से पूछा था कि वे कोरोना को फैलने से कैसे रोकेंगे। बोबडे ने तब कहा था कि सरकार ने वायरस को फैलने से रोकने के लिए सामाजिक तौर पर दूरी रखने की सलाह दी है, लेकिन जेलों में क्षमता से अधिक कैदी हैं, जिससे दूरी रखना मुश्किल है। कोर्ट ने इस मामले में खुद ही संज्ञान लेकर ये फैसला दिया है।
वहीं भारतीय रेलवे ने सोमवार को एक अहम आदेश जारी किया है। रेलवे ने स्टेशन मास्टर्स के लिए जारी किए बयान में कहा है कि स्टेशन पर फंसे हुए यात्रियों को सामान्य सेवा फिर से शुरू होने तक स्टेशन में रिटायरिंग रूम इस्तेमाल करने दिया जाए।
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