क्या दूसरी लहर में हर्ड इम्युनिटी के करीब पहुंच गया है भारत? जानें क्या कह रहे एक्सपर्ट
नई दिल्ली, मई 6: देश में कोरोना महामारी की दूसरी लहर ने 'सुनामी' का रूप ले लिया है, जहां पर रोजाना 3.5 लाख से ज्यादा मरीज सामने आ रहे हैं। इसके अलावा मौत का आंकड़ा भी 3000 के पार ही रहता है। वहीं मरीजों की संख्या तेजी से बढ़ने से स्वास्थ्य व्यवस्था पूरी तरह से चरमरा गई है, जिस वजह से अस्पतालों में बेड नहीं मिल पा रहे। अगर किसी मरीज ने जद्दोजहद करके बेड पा भी लिया तो उस तक ऑक्सीजन और जरूरी दवाएं नहीं पहुंच पा रही हैं। वहीं दूसरी ओर तेजी से बढ़ रहे मामलों के बीच लोगों के मन में एक सवाल उठ रहा है कि क्या भारत दूसरी लहर की वजह से हर्ड इम्युनिटी के करीब पहुंच गया है।
क्या है हर्ड इम्युनिटी?
अगर किसी देश या राज्य की ज्यादातर जनसंख्या कोरोना महामारी से ग्रसित हो जाए, तो वहां पर लोगों में एंटीबॉडी बन जाती है। ऐसे में संक्रमण का खतरा कम हो जाता है, जिसे महामारी का कमजोर रूप माना जाता है। जिस वजह से आप इसे हर्ड इम्युनिटी कह सकते हैं। वहीं टीकाकरण ज्यादा होने पर हर्ड इम्युनिटी हो जाती है। हालांकि पहली लहर में कई विशेषज्ञों ने माना था कि हर्ड इम्युनिटी कोरोना से लड़ने का बेहतरीन जरिया नहीं है।
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एक्सपर्ट ने कही ये बात
मामले में दिल्ली एम्स के डायरेक्टर रणदीव गुलेरिया ने कहा कि पहले कोरोना ने राजधानी में बहुत ज्यादा कहर बरपाया था। जिस पर सरकार ने वहां पर सीरो सर्वे करवाया तो पाया कि 50 से 60 प्रतिशत आबादी के अंदर एंटीबॉडी थी, ऐसे में लग रहा था कि दिल्ली हर्ड इम्युनिटी के करीब पहुंच गई है, लेकिन अब हालात पहले जैसे नहीं रहे। वहीं एक दूसरी रिपोर्ट के मुताबिक कोरोना की दूसरी लहर तेजी से फैली, जिस वजह से R रेट भी 1.44 रहा है।
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हर्ड इम्युनिटी से नहीं बच सकते
ICMR के मुताबिक देश में अभी 2.10 करोड़ से ज्यादा कोरोना के मामले हैं। हालात ऐसे ही रहे तो बड़ी आबादी इसकी चपेट में आ सकती है, ऐसे में हर्ड इम्युनिटी की बात करना बेमानी है। विशेषज्ञों का मनाना है कि हम हर्ड इम्युनिटी के सहारे नहीं बच सकते। सभी राज्यों को ज्यादा से ज्यादा आबादी को जल्द टीका लगाना होगा, ताकी महामारी से प्रभावी ढंग से लड़ा जा सके। वहीं वायरस के कई म्यूटेशन भी सामने आ चुके हैं, ऐसे में हर्ड इम्युनिटी उसके सामने फेल हो जाएगी।