कर्नाटक में 'कोरोना स्कैम'? मास्क और अन्य उपकरणों की खरीद में फंड के गलत इस्तेमाल का आरोप
नई दिल्ली। कोरोना वायरस के संक्रमण को रोक कर रखने में कर्नाटक पूरी तरह सफल रहा है। लेकिन कर्नाटक सरकार पर अब आरोप लगा है कि राज्य में कोविड केयर से जुड़ी खरीद में घोटाला हुआ है। कांग्रेस के एचके पाटिल की अगुवाई में विधानमंडल की लोक लेखा समिति अस्पतालों के निरीक्षण करने, वेंटिलेटर और टेस्टिंग किट सहित सभी कोविड केयर उपकरणों की गुणवत्ता की पुष्टि करके मामले की जांच शुरू करना चाहती है।
हालांकि एचके पाटिल ने कहा है कुछ समस्याओं के चलते जांच पूरी नहीं हो पाई है और योजना बनाई गई है कि मामले में विधानसभा स्पीकर से बात की जाए। वहीं एक व्हिसल-ब्लोअर द्वारा उपकरणों के खरीद फरोख्त की जानकारी समिति को दी गई है। न्यूज 18 की एक खबर के मुताबिक एन 95 मास्क को हेल्थ डिपार्टमेंट ने 147 रुपए में खरीदा है लेकिन उसी मास्क को चिकित्सा शिक्षा विभाग ने 295 रुपए में खरीदा है।
इसी तरह, मल्टी-पैरामीटर मॉनिटर जो एक विभाग के लिए 1.67 लाख रुपये में खरीदे गए स्वास्थ्य विभाग के लिए 5.37 लाख रुपये की लागत आई। गुणवत्ता के मानकों पर खरा ना उतरने के चलते सोसाइटी ने अप्रैल में दिल्ली के एक विक्रेता को कुछ वेंटिलेटर वापस भेज दिए थे। इस संबंध में 28 अप्रैल को विक्रेता को एक पत्र लिखा गया उसमें कहा गया है कि टेस्टिंग में पाया गया है कि वेंटिलेटर से छेड़छाड़ की गई है। जैसे कि कुछ टूटे हुए हैं, किसी में पुरानें स्टैंड है तो कुछ मशीने पहले से चली हुई हैं।
PAC अब राज्य में महामारी की चपेट में आने के बाद पिछले कुछ महीनों में की गई ऐसी सभी खरीद की जांच करना चाहती है। 20 सदस्यीय समिति में सभी दलों के विधायक हैं। पाटिल कांग्रेस के विधायक हैं, जबकि अन्य सदस्यों में से कुछ पूर्व अध्यक्ष रमेश कुमार, एचडी रेवन्ना और जनता दल (सेकुलर) के टीए शरवाना हैं। भाजपा के मुरुगेश निरानी और उमेश कट्टी भी सदस्य हैं।