भारत में कोरोना वायरस महामारी: शुरू से अबतक के प्रमुख घटनाक्रम, कब क्या हुआ ?
नई दिल्ली: ठीक एक साल पहले इसी समय देश में लॉकडाउन लगने की चर्चाएं शुरू हो चुकी थीं। लोग तरह-तरह की आशंकाएं जाहिर कर रहे थे। दफ्तरों में घरों से काम करने के निर्देश दिए जाने लगे थे। बाद में जनता कर्फ्यू से लेकर जिस तरह से पूरे देश में एकसाथ संपूर्ण लॉकडाउन लगाया गया, उसकी कभी किसी ने कल्पना भी नहीं की थी। आज यह बात फिर से इसलिए कहने की नौबत आई है कि देश के कई हिस्सों में फिर से कोरोना की दूसरी लहर के संकेत मिल रहे हैं। लॉकडाउन, नाइट कर्फ्यू, टेस्टिंग बढ़ाने के दिशा-निर्देश, सीलिंग और धारा-144 जैसे डरावने शब्दों की फिर से सुगबुगाहट सुनाई पड़ रही है। लापरवाही बरतने वालों के लिए फिर से सख्ती के निर्देश जारी करने पड़ रहे हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी फिर से ऐक्शन मोड में दिख रहे हैं। कोरोना के प्रकोप को लेकर फिर से राज्यों के मुख्यमंत्रियों के साथ बातचीत करने की आवश्यकता आ खड़ी हुई है। उन्होंने कहा है कि अगर हमने इसे अभी नहीं रोका तो फिर से देशभर में महामारी फैल सकती है।

पिछले एक साल में कोरोना संक्रमण के मामले
देश में कोरोना संक्रमण का पहला मामला 30 जनवरी, 2020 को केरल के त्रिशूर में सामने आया जब चीन के वुहान से आया एक स्टूडेंट इससे संक्रमित पाया गया। 2 मार्च, 2020 को केरल से बाहर पहला मामल सामने आया- एक दिल्ली में और दूसरा हैदराबाद में। 12 मार्च को कर्नाटक के कलबुर्गी में कोरोना से मरने वाले 76 साल के बुजुर्ग पहले शख्स थे। 24 मार्च को देशव्यापी संपूर्ण लॉकडाउन लगाया गया। फिर कोरोना के संक्रमण के मामले तेजी से सामने आने शुरू हो गए। आंकड़ों को देखें तो पहली लहर का चरम 16 सितंबर, 2020 को था, जब एक दिन में कोरोना के 97,894 पॉजिटिव केस सामने आए। लेकिन, कोरोना से मौत के मामले में सबसे भयावह दिन 15, सितंबर 2020 को देखने को मिला जब देश में इस महामारी से एक दिन में 1,290 लोगों की जान चली गई। अगर ऐक्टिव केस की बात करें तो 17 सितंबर को इसने अपने चरम को छुआ था, जब देश में एकसाथ 10.17 लाख ऐक्टिव केस थे। आज यानी 17 मार्च, 2021 को जब हम बात कर रहे हैं तो देश में कोरोना की दूसरी लहर महसूस हो रही है। पिछले 24 घंटे में 28,903 नए मामले सामने आए हैं और ऐक्टिव केस फिर से 2,34,406 तक पहुंच चुके हैं। आज की तारीख तक देश में संक्रमण के कुल मामले 1,14,38,734 तक पहुंच चुके हैं और कुल मौत की संख्या 1,59,044 हो चुकी है। बता दें कि 11 फरवरी, 2021 को खत्म हुए हफ्ते में रोजाना संक्रमण के मामले घटकर 10,988 रह गए थे।

कोरोना वायरस की चपेट में नेता भी आए और बॉलीवुड के सितारे भी
जब से देश में कोरोना संक्रमण शुरू हुआ कई बड़े नेता और फिल्मी सितारे इसकी चपेट में आ चुके हैं। कई सेलिब्रिटीज की तो इस वायरस की वजह से जान तक जा चुकी है। पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी से लेकर मौजूदी केंद्रीय मंत्री तक कोविड-19 जानलेवा वायरस के शिकार हुए हैं। लेकिन अनेकों ऐसी शख्सियतें हैं, जो इस वायरस की चपेट में आने के बाद पूरी तरह से स्वस्थ होकर अपने काम में भी जुटे हुए हैं। उदाहरण के लिए केंद्रीय मंत्री अमित शाह, नितिन गडकरी, स्मृति ईरानी सभी कोविड पॉजिटिव हो चुके हैं, लेकिन अब पूरी तरह से स्वस्थ हो चुके हैं। इसी तरह कई राज्यों के मुख्यमंत्रियों और मंत्रियों को भी इसने अपनी चपेट में लिया है। कई फिल्मी सितारे अभी तक इसकी चपेट में आ रहे हैं। अभिताभ बच्चन खुद, उनके बेटे अभिषेक और बहू ऐश्वर्या के अलावा उनकी पोती आराध्या शुरू में ही कोरोना संक्रमित हो चुके हैं। मंत्रियों, सांसदों और नेताओं की तरह ही कोरोना से बीमार होने वाले फिल्मी सितारों की भी बहुत लंबी फेहरिस्त बन चुकी है।

कोरोना वायरस ने देश की आर्थिक कमर भी तोड़ी
कोरोना को कंट्रोल करने में दुनियाभर में लॉकडाउन को सबसे कारगर विकल्प के तौर पर देखा गया। 130 करोड़ से ज्यादा आबादी वाले भारत के लिए इस विकल्प को अपनाना आसान नहीं रहा। 68 दिनों की सख्त लॉकडाउन ने देश की अर्थव्यवस्था की कमर तोड़ कर रख दी। भारत में ऐसे समय यह कदम उठाया गया था, जब केस बहुत ही कम थे। लेकिन, आगे चलकर संक्रमण और मृत्यु दर पर इसका बहुत ही अच्छा असर भी दिखाई पड़ा। लेकिन, लॉकडाउन के चलते लाखों लोगों का रोजगार छिन गया, रोजी-रोटी का जरिया खत्म हो गया। अचानक लगाए गए लॉकडाउन की वजह से लाखों प्रवासी मजदूरों की आंखों के सामने कभी नहीं भुला पाने वाला मंजर सामने आया। सबकुछ ठप होने से आगे के महीनों में देश ने बहुत ही भयंकर मंदी का सामना किया। आईएचएस मार्केट की एक नोट के मुताबिक, पिछले साल मार्च से अगस्त तक का समय सबसे भारी गुजरा, लेकिन सितंबर से आर्थिक गतिविधियां फिर से तेजी से पटरी पल लौटनी शुरू हुईं। अप्रैल -जून की तिमाही में जीडीपी में रेकॉर्ड 23.9 फीसदी की गिरावट दर्ज हुई। लेकिन, सितंबर की तिमाही में इसमें सुधार आया और यह 7.5 फीसदी के निगेटिव ग्रोथ पर पहुंचा। लेकिन, 2020 की अंतिम तिमाही में औद्योगिक उत्पादन और खपत में बहुत ही तेजी से विकास दर्ज किया गया।

कोरोना वायरस लॉकडाउन के बाद अनलॉक मिशन
कोरोना के कहर ने पिछले साल मार्च में मोदी सरकार को संपूर्ण लॉकडाउन जैसा सख्त कदम उठाने को मजबूर किया था तो बाद में उससे धीरे-धीरे बाहर निकलना भी जरूरी हो गया। क्योंकि, देश की अर्थव्यवस्था बुरी तरह पिट चुकी थी। ऐसा सिर्फ भारत के साथ नहीं था, दुनियाभर के तमाम बड़े देशों के मुकाबले फिर भी हमारी स्थिति काफी हद तक ठीक थी। फिर प्रधानमंत्री मोदी ने जो लॉकडाउन के समय 'जान है तो जहान है' का मंत्र दिया था, उन्होंने ही 'जान भी जहान भी' के मंत्र के साथ देश को अनलॉक करना भी शुरू किया। पिछले साल 1 जून से अनलॉक की प्रक्रिया शुरू हुई, जिसे 8 जून को और व्यापक तरीके से लागू किया गया। उसके बाद हर महीने सरकार नए अनलॉक करती गई और धीरे-धीरे पाबंदियों में ढील दी गई। यह पूरी प्रक्रिया संक्रमण से सीधे तौर पर जुड़ी रही और निगरानी के तहत पाबंदियों में ढील दी जाती रही है। आज की तारीख में भी देश पूरी तरह से अनलॉक नहीं हुआ है। ट्रेनों का संचालन सामान्य नहीं हुआ है और वह स्पेशल के नाम से चलाई जा रही हैं। अंतरराष्ट्रीय उड़ानों का दायरा भी सीमित है और सिर्फ एयर बबल वाले देशों में चुनिंदा उड़ानों का संचालन हो रहा है। देश में जो उड़ानों और ट्रेनों का संचालन हो भी रहा है, वह भी निर्धारित गाइडलाइंस के पालन के साथ। इसी तरह शिक्षण संस्थान भी पूरी तरह से काम नहीं कर रहे हैं। अब जब संक्रमण के मामले फिर से बढ़ रहे हैं और कई जगहों पर स्कूली बच्चे बड़ी तादाद में संक्रमित हुए हैं तो वहां दोबारा से पुरानी पाबंदियां लागू करनी पड़ रही हैं। कई सारी कंपनियों में अभी भी वर्क फ्रॉम होम के तहत ही काम चल रहा है।

कोरोना वैक्सीन और भारत
भारत में कोरोना वैक्सीन लगाए जाने की शुरुआत इसी साल 16 जनवरी से शुरू हुई थी। बुधवार सुबह तक के आंकड़ों के मुताबिक देश में 3,29,05,045 लोगों को कोरोना वैक्सीन लग चुकी है। देश में शुरू से लेकर अभी तक सिर्फ सीरम इंस्ट्यूट में तैयार ऑक्सफोर्ड की कोविशील्ड और भारत बायोटेक की स्वदेशी कोवैक्सीन का ही टीका लग रहा है। मंगलवार को तो एक दिन में रेकॉर्ड 30 लाख से ज्यादा लोगों को कोरोना का टीका लगाया गया। अभी तक देश में जितनी वैक्सीन की डोज का इस्तेमाल हुआ है, उससे लगभग दोगुना भारत ने निर्यात भी किया है। शुरू में लोगों में देसी वैक्सीन को लेकर थोड़ी सी हिचकिचाहट देखी गई थी, लेकिन जब से बुजुर्गों को इसका टीका लगाया जाने लगा, उनकी उत्साह ने युवाओं का भी मनोबल बढ़ा दिया है। एक अनुमान के अनुसार अगले दो-तीन महीने में देश में वैक्सीनेशन ड्राइव ऑन डिमांड की स्थिति में आ सकता यानी जिसे जब भी सुविधा हो वह ये वैक्सीन लगवा सकता है। इसके लिए इंतजार करने की जरूरत नहीं पड़ेगी।