Coronavirus वुहान के लैब में नहीं बना, चीन के दावों पर दुनिया को क्यों नहीं हो रहा विश्वास ?
नई दिल्ली- कई ऐसी स्टडी सामने आई है, जिसके आधार पर दावा किया जा रहा है कि कोरोना वायरस चीन के वैज्ञानिकों के दिमाग की उपज नहीं है। बल्कि, यह प्राकृतिक रूप से पैदा हुए एक बहुत ही तेजी से संक्रमित होने वाला जानलेवा वायरस है। लेकिन, दुनिया भर के लोगों और राजनीतिज्ञों को इन दावों पर अब तक यकीन नहीं हो सका है। बल्कि, मौजूदा स्थिति ने तो चीन पर शक और गहरा ही दिया है। वो मानते हैं कि इस वायरस को किसी खतरनाक मकसद से चीन के वुहान शहर के लैब में पैदा किया गया, जो आज पूरे यूरोप, अमेरिका समेत अब चीन और उत्तर कोरिया जैसे देशों को छोड़कर बाकी लगभग पूरी दुनिया में कहर बरपा रहा है।
चीन पर क्यों नहीं हो रहा विश्वास ?
यूरोपीय मीडिया में ये चर्चा आम है कि यूनाइटेड किंगडम के मंत्री अब भी ये मानने के लिए कतई तैयार नहीं हैं कि कोरोना वायरस वुहान के लैब से नहीं निकला है। डेली मेल जैसे एक अखबार ने दावा किया है कि ब्रिटेन के बोरिस जॉनसन सरकार के एक अहम सदस्य ने कहा है कि सरकार के अहम लोग कोरोना वायरस के प्राकृतिक रूप से पैदा होने के दावों पर सवाल तो नहीं उठा रहे हैं, लेकिन वो इसे लैब में पैदा किए जाने की संभावनाओं को खारिज भी नहीं कर रहे हैं। ये जानकारी ब्रिटेन के हाईप्रोफाइल कोबरा के सदस्य के माध्यम से मिली है, जो कि जॉनसन कैबिनेट के इंमरजेंसी कमेटी की ब्रिफिंग रूम (कोबरा) से जुड़े हैं। कोबरा के एक सदस्य के मुताबिक, 'वायरस की प्रकृति को देखते हुए एक विश्वसनीय वैकल्पिक नजरिया भी मौजूद है। शायद वुहान के प्रयोगशाला वाली बात महज संयोग नहीं है। इसे नकारा नहीं जा सकता।'
कुछ वैज्ञानिकों ने लैब वाला दावा खारिज किया था
दरअसल, कोरोना वायरस के प्रयोगशाला से फैलने के दावे तभी से शुरू हुए थे, जब से यह संक्रमण फैलना शुरू हुआ। कुछ लोगों का मानना था कि यह वायरस वुहान के इंस्टीट्यूट ऑफ वायरोलॉजी से दुर्घटनाग्रस्त लीक हो गया, जो कि बदनाम हूनान सीफूड मार्केट से महज 10 मील की दूरी पर स्थित है। हालांकि, बाद में कुछ वैज्ञानिकों ने कोविड-19 के वुहान की प्रयोगशाला से निकलने के दावों को महज अफवाह करार दे दिया था। लैनसेट पर जारी बयान में दावा किया गया था कि कोविड-19 के बारे में साजिश के तहत गलत जानकारी और अफवाह फैलाई जा रही है कि यह प्राकृतिक रूप से पैदा हुआ वायरस नहीं है।
अमेरिकी और चीन में हो चुकी है तू-तू-मैं-मैं
बता दें कि यूनाइटे किंगडम से पहले अमेरिका की ओर से भी कोविड-19 को लेकर चीन को निशाने पर लिया जा चुका है। खुद अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप इसे चाइनीज वायरस कहकर पुकार चुके हैं। इसको लेकर दोनों देशों के नेताओं में तू-तू-मैं-मैं की नौबत भी आ चुकी है। चीन ने तो खुद अमेरिकी सेना पर ही चीन के वुहान में वायरस फैलाने का आरोप लगा दिया था और इसके लिए अमेरिका से ही उलटे सफाई मांग ली थी। विवाद बढ़ने पर अमेरिका के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार रॉर्बट ओ ब्रियेन को बयान देना पड़ा कि चीन ने शुरुआत में जानकारी छिपाई, जिसने हालात को और ज्यादा बिगाड़ दिया। उनके मुताबिक,'यह वायरस अमेरिका में नहीं पैदा हुआ, यह वुहान में पैदा हुआ।'
स्टडी में क्या दावे किए गए हैं ?
हालांकि, कई तरह की जांच के बाद कुछ वैज्ञानिक दावा कर चुके हैं कि यह वायरस पूरी तरह से नैचुरली विकसित हुआ और यह प्रयोगशाला में तैयार वायरस नहीं है। फरवरी में एक स्टडी में ये बात सामने आई थी कि कोरोना वायरस में जो जेनेटिक तत्व मौजूद हैं, वो चमगादड़ों में प्राकृतिक रूप से मिलते हैं। न्यू इंग्लैंड जर्नल ऑफ मेडिसिन में प्रकाशित स्टडी में दावा किया गया था कि, बेशक कोविड-19 प्रयोगशाला के जार से नहीं निकला। उन्होंने आएनए के सीक्वेंस के आधार पर दावा किया था कि ये वायरस चमगादड़ से किसी दूसरे जीव के जरिए वुहान के सी-फुड मार्केट में पहुंच गया। एक और स्टडी में दावा किया गया कि कोरोना वायरस के ऊपरी सतह पर जो स्पाइक्स मौजूद हैं, जिसके चलते यह इतनी तेजी से फैलता है, वैसा इंसान विकसित नहीं कर सकता। इसके अलावा एक और स्टडी में ये बताया गया कि नोवल कोरोना वायरस की संरचना चमगादड़ और पैंगोलिन में पाए जाने वाली चीजों से मिलती-जुलती है, जिससे साफ जाहिर होता है कि यह वहीं से पैदा हुआ है। लेकिन, इस मामले में चीन का रवैया शुरू से संदेह पैदा करता रहा है, इसलिए भले ही यह प्रयोगशाला में विकसित नहीं हुआ हो, लेकिन चीन का रवैया संदिग्ध जरूर रहा है, जो कई तरह के सवाल खड़े करता है।
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