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कोरोना: मुज़फ़्फ़रपुर के बीजेपी सांसद ने किया पत्रकार पर केस, कुर्की के आदेश

कोरोना वायरस के कारण फैली महामारी से लड़ाई के लिए मुज़फ़्फ़रपुर के बीजेपी सांसद अजय निषाद ने अपनी सासंद निधि (MPLAD fund) से एक करोड़ रुपये जारी करने का ऐलान किया था. यह ख़बर उतनी बड़ी नहीं थी क्योंकि निषाद जैसे ही कई अन्य नेताओं ने ठीक ऐसी ही घोषणाएं कर रखी है लेकिन जब मुज़फ़्फ़रपुर के ही एक स्थानीय पत्रकार ने अपने यूट्यूब न्यूज़ पोर्टल से इस पर दावा किया कि

By नीरज प्रियदर्शी
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अजय निषाद
FB/Ajay Nishad
अजय निषाद

कोरोना वायरस के कारण फैली महामारी से लड़ाई के लिए मुज़फ़्फ़रपुर के बीजेपी सांसद अजय निषाद ने अपनी सासंद निधि (MPLAD fund) से एक करोड़ रुपये जारी करने का ऐलान किया था.

यह ख़बर उतनी बड़ी नहीं थी क्योंकि निषाद जैसे ही कई अन्य नेताओं ने ठीक ऐसी ही घोषणाएं कर रखी है लेकिन जब मुज़फ़्फ़रपुर के ही एक स्थानीय पत्रकार ने अपने यूट्यूब न्यूज़ पोर्टल से इस पर दावा किया कि "सांसद महोदय ने एक करोड़ रुपये का ऐलान तो कर दिया, मगर उनकी सांसद निधि खाते में हैं केवल 54 लाख रुपये."

इसके बाद यह मामला तूल पकड़ने लगा और अब ताज़ा अपडेट यह है कि स्थानीय सांसद अजय निषाद ने ग़लत तथ्य प्रसारित करने और इससे उनकी छवि ख़राब करने को लेकर पत्रकार के ख़िलाफ़ एफ़आइआर दर्ज कराई है.

स्थानीय पत्रकार ने दावा किया कि जब उन्होंने यह ख़बर चलाई थी तब mplads.gov.in की साइट पर वही आंकड़े दिए गए थे जो ख़बर में दिखाई गई थी.

सांसद की शिकायत को नगर डीएसपी ने अपने सुपरविजन रिपोर्ट में आरोप को सही पाया और पुलिस अब पत्रकार की गिरफ़्तारी के लिए छापेमारी कर रही है, लेकिन वे फरार बताए गए हैं लिहाजा उनकी संपत्ति की कुर्की जब्ती पर विचार कर रही है.

अजय निषाद
Neeraj Priyadarshy/BBC
अजय निषाद

क्या है पूरा मामला

बीजेपी सांसद अजय निषाद ने 27 मार्च 2020 को मुज़फ़्फ़रपुर के डीएम के नाम एक पत्र लिखा. जिसमें दर्ज है, "मैं अपने सांसद स्थानीय क्षेत्र विकास निधि से कोरोना वायरस (COVID-19) के रोकथाम एवं इलाज में प्रयुक्त होने वाले उपस्करों एवं सामग्रियों के लिए एक करोड़ रुपये की राशि विमुक्त करने की अनुशंसा करता हूं."

अजय निषाद
Twitter
अजय निषाद

इसके बाद 29 मार्च 2020 को स्थानीय पत्रकार लोकेश पुष्कर ने अपने यूट्यूब पोर्टल 'बिहार दस्तक' पर रिपोर्ट प्रकाशित की. उस रिपोर्ट को पत्रकार ने अपने व्यक्तिगत सोशल मीडिया एकाउंट से भी शेयर किया.

29 मार्च की दोपहर एक बजे के क़रीब प्रकाशित इस रिपोर्ट का शीर्षक था, "मुज़फ़्फ़रपुर के सांसद अजय निषाद के विकास निधि खाते में मात्र 54 लाख रुपये, फिर कैसे की गई एक करोड़ रुपये की अनुशंसा?"

mplads.gov.in की वेबसाइट पर जारी आंकड़ों के स्क्रीनशॉट को वीडियो के जरिए दिखाते हुए वह रिपोर्ट तैयार की गई थी.

लेकिन उसी दिन शाम को सात बजकर तेरह मिनट पर पत्रकार के सोशल मीडिया टाइमलाइन से ख़बर का खंडन भी छाप दिया गया. पत्रकार ने लिखा "छानबीन में ज्ञात हुआ कि सांसद फंड से दिया गया एक करोड़ ही जनता को मिलेगा."

पत्रकार लोकेश क्या कहते हैं?

बीबीसी से बातचीत में पत्रकार लोकेश पुष्कर कहते हैं, "जब हमने रिपोर्ट तैयार की थी तब वेबसाइट पर सांसद के विकास निधि खाते में अनस्पेंट (जो खर्च नहीं हुआ) बैलेंस 54 लाख रुपये ही दिखा रहा था. बाद में वेबसाइट पर अपडेट हुआ तो उसके बाद बाकायदा खंडन भी प्रकाशित किया गया."

पत्रकार आगे बताते हैं, "हमने सवाल उठाया था और साथ में यह भी लिखा था कि सांसद महोदय को इसका स्पष्टीकरण देना चाहिए."

लोकेश पुष्कर के मुताबिक रिपोर्ट प्रकाशित करने से पहले भी उन्होंने और उनके संस्थान ने सांसद से संपर्क करने और जवाब लेने की बीसीयों बार कोशिश की थी. कॉल, मैसेज सब किया गया लेकिन सांसद की ओर से कोई जवाब नहीं दिया गया."

पत्रकार लोकेश पुष्कर
FB/Lokesh-Pushkar
पत्रकार लोकेश पुष्कर

क्या कहता है सांसद का रिकॉर्ड

भारत सरकार के सांख्यिकी एवं योजना क्रियान्वयन मंत्रालय की ओर से चलाए जा रहे mplads फंड की वेबसाइट पर जो ताज़ा आंकड़े हैं, उनके अनुसार सांसद अजय निषाद का अनस्पेंट बैलेंस 3.04 करोड़ रुपये है.

आंकड़े बताते हैं कि सांसद अजय निषाद के एमपीलैड फंड के प्रत्येक वर्ष की पांच करोड़ पूरी राशि दो इंस्टॉलमेंट में जारी की जा चुकी है.

26 मार्च 2020 को दूसरे इंस्टॉलमेंट में ढाई करोड़ रुपये की राशि जारी हुई है, जिससे उनका अनस्पेंट बैलेंस 3.04 करोड़ रुपये हो गया है. इस हिसाब से दूसरा इंस्टॉलमेंट जारी होने के पहले तक उनका अनस्पेंट बैलेंस 54 लाख रुपये ही था.

ग़लती कहां हुई?

देखा जाए तो अजय निषाद के एमपीलैड फंड रिलीज़ के रिकॉर्ड के हिसाब से 29 मार्च को प्रकाशित इसको लेकर वह रिपोर्ट ग़लत थी.

आखिर ग़लती कहां हुई? हमने बात की एमपीलैड फंड को लेकर रिसर्च और पॉलिसी से जुड़े अभिषेक रंजन से जो इसके पहले अरुणाचल प्रदेश के पूर्व सांसद निनौंग एरिंग और राज्यसभा के सांसद दिलीप कुमार टिर्की के साथ काम कर चुके हैं.

अभिषेक कहते हैं, "मेरी समझ से यह पूरा मामला वेबसाइट पर अपडेट होने में देर की वजह से बना है. जैसा कि रिपोर्ट एमपीलैड की वेबसाइट के स्क्रीनशॉट और उसके आंकड़ों के आधार पर तैयार किया गया था और वह 29 मार्च को प्रकाशित हुआ था. जबकि 26 मार्च को ही निषाद के विकास निधि खाते में दूसरी इंस्टॉलमेंट की राशि जारी होने की बात अब दर्ज़ है. इसलिए बहुत संभव है कि दूसरा इंस्टॉलमेंट जारी होने के दो-तीनों बाद वह वेबसाइट पर अपडेट हुआ हो लेकिन रिपोर्ट उसके पहले प्रकाशित हो गई."

अभिषेक आगे कहते हैं, "लेकिन इस मामले को इतना तूल नहीं देना चाहिए क्योंकि यह टेक्निकल गड़बड़ियों के कारण हुआ है. हमारे अनुभव में ऐसा अकसर होता है. दरअसल हम भी जब काम कर रहे थे तो वेबसाइट के इस डैशबोर्ड से कई शिकायतें थीं."

बिहार
Neeraj Priyadarshy/BBC
बिहार

सांसद ने क्यों किया मुक़दमा

जैसा कि एमपीलैड के लिए काम कर चुके अभिषेक रंजन बताते हैं, यह सारा मामला केवल वेबसाइट पर अपडेट नहीं होने का है जो कि सिस्टम की तकनीकी खामी के कारण हो सकता है. और बाद में ख़बर चलाने वाले पत्रकार ने खंडन भी चलाया और माफ़ी भी मांगी.

लेकिन, फिर भी सांसद ने पत्रकार के ख़िलाफ़ मुक़दमा क्यों कर दिया?

बीबीसी ने सांसद अजय निषाद से भी बात की. वे कहते हैं, "आरोपी पत्रकार मेरे ख़िलाफ़ पिछले पांच सालों से लगातार ग़लत और फर्जी सूचनाएं और जानकारियों का प्रचार सोशल मीडिया और दूसरे माध्यमों से कर रहा था. लेकिन फिर भी मैंने उसके ख़िलाफ़ कुछ नहीं किया. मगर ऐसे वक्त में जब सारी दुनिया एक महामारी से लड़ रही थी, वह इस तरह की ख़बरें फ़ैलाकर बतौर जन प्रतनिधि मेरी छवि ख़राब करने और मुझे बदनाम की कोशिश कर रहा था. मुझे लगा कि अब उनके ख़िलाफ़ शिकायत करनी चाहिए, इसलिए मैंने मुक़दमा दर्ज़ कराया है. अब आगे जो करना होगा वो पुलिस करेगी."

बिहार के सभी सांसदों के एमपीलैड फंड के रिलीज स्टेटमेंट देखने पर पता चलता है कि बीते वित्तीय वर्ष (2019-2020) में चालीस में से केवल तीन सांसदों के नाम पर दूसरा इंस्टॉलमेंट जारी किया गया. इनमें समस्तीपुर से सांसद प्रिंस राज, बांका के सांसद गिरधारी यादव और मुज़फ़्फ़रपुर के सांसद अजय निषाद का नाम है.

लेकिन इस लिस्ट में हैरान देने वाली बात ये है कि केवल दो सांसदों के नाम पर ही मार्च 2020 दूसरा इस्टॉलमेंट रिलीज होने का रिकॉर्ड है. प्रिंस राज को 23 मार्च को जबकि अजय निषाद को 26 मार्च को.

अजय निषाद इस पर कहते हैं, "ये सवाल तो आप बाकी लोगों से पूछिए कि उन्होंने अपने विकास निधि का सारा पैसा क्यों नहीं खर्च किया या फिर रिलीज़ ही कराया! मेरा अभी तक का खर्च 1.97 करोड़ रुपये था. जबकि प्रधानमंत्री जी के आग्रह पर मैंने एक करोड़ रुपये कोरोना के ख़िलाफ़ लड़ाई के लिए दिए थे. इसलिए 31 मार्च के पहले वित्तीय साल समाप्त होने से पहले ही मैंने अपना दूसरा इंस्टॉलमेंट रिलीज करा लिया."

सख्त कार्रवाई करेगी पुलिस

मुज़फ़्फ़रपुर के नगर थाने में दर्ज़ इस मामले की पड़ताल का सुपरिवजन करने वाले टाउन डीएसपी ने बीबीसी को बताया, "पत्रकार के ख़िलाफ़ आरोप सही पाए गए हैं. इसके पहले भी कई मौकों पर पत्रकार ने सांसद को लेकर आपत्तिजनक टिप्पणियां की हैं. और जहां तक बात केवल इस आरोप की बात है तो रिकॉर्ड्स के आधार पर पत्रकार की वो वीडियो रिपोर्ट तथ्यात्मक रूप से त्रुटिपूर्ण और भ्रामक थी. इसलिए मैंने अपनी रिपोर्ट में आरोपों को सत्य पाते हुए नगर थाने की पुलिस को कार्रवाई करने की अनुशंसा की है."

कार्रवाई को लेकर मुज़फ़्फ़रपुर के टाउन थाना के ओम प्रकाश कहते हैं, "आरोपी पत्रकार को पकड़ने के लिए लगातार छापेमारी की जा रही है. लेकिन वे फरार हैं. ऐसे हालत में हमारे पास एक ही विकल्प बच जाता है कि हम उनकी कुर्की जब्त करें. पुलिस इस पर विचार कर रही है."

सवाल आखिर में रह ही जाता है कि क्या वेबसाइट पर समय से अपडेट नहीं हो पाने के मामूली से कारण वाला यह मसला इतना गंभीर है!

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English summary
Coronavirus: Muzaffarpur BJP MP files case against journalist, orders for attachment
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