कोरोना लॉकडाउन: घरेलू उड़ानों को शुरू करने के पीछे कंफ्यूजन क्यों?
साठ दिन के लॉकडाउन के बाद सोमवार यानी 25 मई को पहली बार घरेलू विमान सेवा शुरू हुई.
60 दिन के लॉकडाउन के बाद सोमवार यानी 25 मई को पहली बार घरेलू विमान सेवा शुरू हुई.
इससे कुछ लोगों को राहत मिली तो कुछ लोग हैरान, परेशान भी नज़र आए. इस सबके बीच पता चला कि पहले दिन 58,318 यात्रियों ने सफर किया.
Smooth operations of domestic civil aviation.
— Hardeep Singh Puri (@HardeepSPuri) May 26, 2020
Our airports have handled 325 departures & 283 arrivals with 41,673 passengers till 5pm on 26 May 2020, the 2nd day after recommencement of domestic flights. Final report for the day will be prepared after details come in at midnight
केंद्रीय नागरिक विमानन मंत्री हरदीप पुरी ने ट्वीट कर जानकारी दी कि दूसरे दिन यानी 26 मई को शाम पांच बजे तक 41,673 लोगों ने हवाई यात्रा किया.
घरेलू विमान सेवा शुरू होने के पहले दिन सोमवार को कई यात्रियों में निराशा भी थी, क्योंकि क़रीब 600 फ्लाइट को रद्द भी करना पड़ा.
लेकिन सवाल ये है कि जब केंद्रीय नागरिक विमानन मंत्री ने पांच दिन पहले ही घरेलू विमान सेवा शुरू होने की जानकारी दे दी थी तो फिर ऐन वक़्त पर इतनी उड़ाने रद्द करने की नौबत क्यों आई?
कई लोगों का तो कहना था कि उन्हें आखिरी वक़्त पर फ्लाइट रद्द होने की जानकारी मिली.
Domestic civil aviation operations will recommence in a calibrated manner from Monday 25th May 2020.
All airports & air carriers are being informed to be ready for operations from 25th May.
SOPs for passenger movement are also being separately issued by @MoCA_GoI.
— Hardeep Singh Puri (@HardeepSPuri) May 20, 2020
क्या राज्यों से सलाह ली गई
केंद्रीय नागरिक विमानन मंत्री हरदीप पुरी ने 20 मई को ट्वीट कर बताया कि 25 मई से घरेलू विमान सेवाएं शुरू होने जा रही हैं.
इसके बाद डीजीसीए और भारतीय एयरलाइन में बातचीत के बाद क़रीब एक हज़ार फ्लाइट शुरू करने की बात हुई और बुकिंग भी शुरू हो गई.
लेकिन 24 मई, रविवार सुबह यानी विमान सेवाएं शुरू होने से ठीक एक दिन पहले महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने हरदीप पुरी से बात की और उन्हें कहा कि अभी महाराष्ट्र को विमान सेवाएं शुरू करने के लिए और अभी वक्त चाहिए.
पश्चिम बंगाल ने भी कुछ ऐसा ही कहा था, कि तूफान की वजह से राज्य की स्थिति को देखते हुए वो सोमवार से हवाई सेवाओं का संचालन शुरू नहीं कर सकता.
लेकिन फिर शाम तक बातचीत से तय हुआ कि मुंबई में रोज़ाना 25 फ्लाइट आएंगी और 25 फ्लाइट जाएंगी.
पश्चिम बंगाल में भी 28 मई से हवाई सेवा का संचालन शुरू करने की बात तय हुई.
वरिष्ठ पत्रकार और एविएशन मामलों के जानकार अश्विनी फणनीस बीबीसी हिंदी से कहते हैं कि इन दोनों बातों से साफ़ है कि केंद्रीय नागरिक विमानन मंत्री ने विमान सेवा शुरू करने की घोषणा करने से पहले राज्यों से बात की ही नहीं थी.
यात्री परेशान
इस सब का खामियाज़ा यात्रियों को भुगतना पड़ा. एयरलाइन को अपने शेड्यूल में बदलाव करने पड़े.
दिल्ली और मंबई देश में सबसे व्यस्थ हवाई रूट है. ज़्यादातर उड़ानें इस दोनों शहरों के बीच उड़ती हैं, फिर दूसरे राज्यों को जाती हैं.
इसलिए यहां यात्रियों पर सबसे ज़्यादा असर पड़ा. हवाई यात्रा शुरू होने के पहले दिन सोमवार को दिल्ली से सबसे ज़्यादा 80 फ्लाइट रद्द होने की ख़बरे आईं.
एक यात्री ने बताया कि उन्हें दिल्ली एयरपोर्ट से सुबह 5.30 उड़ना था. जिसके लिए वो तड़के ही पहंच गए थे.
लेकिन स्क्रीनिंग के वक्त उन्हें बताया गया कि उनकी फ्लाइट रद्द हो गई है. वो फरीदाबाद से आए थे और दूसरी फ्लाइट उन्हें अगली सुबह की मिल रही थी.
इसलिए उन्हें अगली सुबह तक एयरपोर्ट पर ही इंतज़ार करना पड़ा.
वहीं मुंबई एयरपोर्ट से फ्लाइट लेने के लिए आए देवेंद्र नाथ त्रिपाठी नाम के एक यात्री ने ट्वीट किया, "एआई 809 को बिना किसी नोटिस के कैंसल कर दिया गया. कृपया अगला शिड्यूल कन्फर्म करें."
साथ ही देवेंद्र ने मुंबई हवाई अड्डे पर ख़राब व्यवस्था का भी आरोप लगाया.
AI 809 cancelled without notice from Mumbai.. kindly confirm the next schedule.. there is total anarchy at Mum Airport.. no announcement no water no toilet. What is the GOI doing ??
— Devendra Nath Tripathi 🇮🇳 (@devtripathi04) May 25, 2020
क्वारंटीन के नियम अलग-अलग क्यों
इस बीच बहुत सारे ऐसे यात्री थे, जिन्हें पता नहीं था कि वो जहां जा रहे हैं वहां पर क्वारंटीन की क्या सुविधा है, क्योंकि इसे लेकर अगल-अलग राज्यों के नियम-कायदे अलग-अलग हैं.
जैसे दिल्ली सरकार कहती है कि जिन लोगों में लक्षण होंगे, उन्हें अलग करके नज़दीकी हेल्थ फैसेलिटी में ले जाया जाएगा. जहां देखा जाएगा कि उनकी स्थिति कितनी गंभीर है.
गाइडलाइन ये भी कहती है कि जिनमें हल्के लक्षण होंगे, उन्हें होम आइसोलेशन या कोविड केयर सेंटर (पब्लिक और प्राइवेट दोनों फैसेलिटी) में जाने का विकल्प दिया जाएगा.
वहीं कर्नाटक सरकार कहती है कि ज़्यादा मामलों वाले छह राज्यों - महाराष्ट्र, गुजरात, दिल्ली, तमिलनाडु, राजस्थान और मध्य प्रदेश से लौटे लोगों को सात दिन के लिए इंस्टीट्यूशनल क्वारंटीन में रहना होगा.
पूल टेस्टिंग में नेगेटिव आने पर उन्हें सात और दिनों के लिए होम क्वारंटीन में रहना होगा. कर्नाटक राज्य के एसओपी के मुताबिक़, वहीं कम मामलों वाले राज्यों से लौटे लोगों को 14 दिन होम क्वारंटीन में रहना होगा.
कोविड केयर सेंटर
केरल सरकार द्वारा जारी स्टैंडर्ड ऑपरेटिंग प्रोसीजर यानी एसओपी के मुताबिक़, लक्षण वाले लोगों को कोविड केयर सेंटर या अस्पताल में भेजा जाएगा.
सभी यात्रियों को कोविड-19 जगरथा वेब पोर्टल पर अपनी जानकारी रजिस्टर करनी होगी.
इससे पहले केरल के मुख्यमंत्री ने कहा था कि जो लोग ज़रूरी काम (बिज़नेस मीट) के लिए फ्लाइट से राज्य में आएंगे, उन्हें एक दो दिन में ही वापस लौटना होगा और राज्य उन लोगों को 14 दिन के क्वारंटीन के लिए नहीं कहेगा.
तमिलनाडु सरकार के एसओपी के मुताबिक़, आने वाले यात्रियों को TNePass पोर्टल पर रजिस्टर करना होगा. लक्षण नहीं भी हैं, तब भी यात्रियों को 14 दिन के होम क्वारंटीन में रहना होगा.
जम्मू-कश्मीर प्रशासन के मुताबिक़, हवाई यात्रा करके आने वालों को 14 दिन क्वारंटीन सेंटर में रहना होगा और उनका कोरोना टेस्ट किया जाएगा. श्रीनगर एयरपोर्ट पर सैंपल कलेक्शन के लिए 30 कियोस्क बनाए गए हैं.
क्वारंटीन प्रोटोकॉल
जो लोग दूसरे राज्यों से छत्तीसगढ़ वापस आना चाहते हैं, उन्हें स्टेट पोर्टल पर खुदको रजिस्टर करना होगा और ज़िलाधिकारी संबंधित ग्राम पंचायत या शहरी वार्ड के नोडल अफसर को इसकी जानकारी देंगे, ताकि वो सुनिश्चित करें कि वापस आने के बाद यात्री क्वारंटीन प्रोटोकॉल का पालन करें.
लक्षणों वाले लोगों को सरकारी, होम या पेड फैसेलिटी में रखा जा सकता है. लोगों को लिखित में देना होगा कि वो आइसोलेशन नियमों का सख़्ती से पालन करेंगे.
ओडिशा सरकार ने राज्यों से लौटे लोगों को 14 दिन अनिवार्य रूप से क्वारंटीन में रहने के लिए कहा है.
ग्रामीण इलाकों में सात दिन इंस्टीट्यूशनल और सात दिन होम क्वारंटीन में रहना होगा, जबकि शहरी इलाकों में पूरे 14 दिन होम क्वारंटीन में रहना अनिवार्य है.
अगल-अलग राज्यों में क्वारंटीन के अलग-अलग नियम होने की वजह से भी यात्रियों के लिए कंफ्यूजन की स्थिति है.
लोगों को अपने-अपने गृह राज्यों में फोन करके पूछना पड़ रहा है कि वहां जाने के बाद किन नियमों का पालन करना होगा.
क्वारंटीन का वक़्त और तरीक़ा
सोमवार को पटना जा रहे एक यात्री ने बीबीसी हिंदी से बातचीत में कहा, अभी उन्हें इस बारे में साफ-साफ नहीं पता है कि पटना पहुंचने के बाद किन नियमों का पालन करना होगा.
उन्होंने कहा, "हमें नहीं पता कि वहां पहुंचकर कितने दिन क्वारंटीन होना होगा या नहीं होना होगा, क्वारंटीन होना होगा तो कहां होना होगा - होम क्वारंटीन होना होगा या पेड क्वारंटीन है. अभी तक ये साफ नहीं हुआ है."
यात्रियों के इन कंफ्यूजन को लेकर एयर इंडिया के बोर्ड ऑफ इंडिपेंडेंट डायरेक्टर में शामिल डॉक्टर रवींद्र कुमार त्यागी बीबीसी हिंदी से कहते हैं, "जब एक व्यक्ति फैसला लेने वाला हो, तब चीज़ें ठीक भी चलती हैं और अच्छे से चलती हैं. लेकिन एक निर्देश केंद्र सरकार से गया, फिर राज्यों ने उसमें अपने-अपने प्रोसीजर लगा दिए. क्वारंटीन का वक़्त और तरीक़ा सबने अलग-अलग तय किया."
वो कहते हैं, "ये सिचुएशन सबकी ज़िंदगी में पहली बार आई है. उसी हिसाब से सब लोग अपने रिस्पांस मैकेनिज्म में लगे हुए हैं. अब उससे परेशानी यात्रियों को हो रही है."
कंफ्यूजन की स्थिति
लेकिन अश्विनी फणनीस कहते हैं कि क्वारंटीन नियमों को तय करने का हक़ राज्यों के पास है, केंद्र सिर्फ सलाह दे सकता है.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने राज्यों के मुख्यमंत्रियों के साथ अपनी आखिरी बातचीत में कहा भी था कि अब कोरोनो को लेकर राज्य ख़ुद नियम बनाएं.
क्योंकि ग्राउंड की स्थिति भी देखनी होती है, उसके हिसाब से राज्य अपने नियम तय कर रहे हैं.
ट्रैवल एक्सपर्ट अब्दुल्लाह नरगिज़ मानते हैं कि लोग हवाई यात्रा के लिए घरों से तभी निकलेंगे, जब उनमें भरोसा पैदा होगा और वो भरोसा तभी पैदा होगा जब हर जगह एक से नियम होंगे, नहीं तो शंका पैदा होगी.
हालांकि रवींद्र त्यागी मानते हैं कि यात्रियों के बीच सिर्फ कुछ दिन कंफ्यूजन की स्थिति रहेगी, फिर धीरे-धीरे सब स्थिर हो जाएगा.