ट्रेनों में भरकर कोरोना वायरस पहुंचा बिहार, पॉजिटिव केस की दर दोगुनी से ज्यादा हुई
नई दिल्ली- प्रवासी मजदूरों की घर वापसी का फैसला बिहार के लोगों को भारी पड़ रहा है। बिहार में अबतक जितने प्रवासी मजदूर देश के अलग-अलग हिस्सों से श्रमिक स्पेशल ट्रेनों से अपने राज्य लौटे हैं, उनमें से रविवार तक 142 पॉजिटिव केस सामने आ चुके हैं। इस खबर के जाहिर होने के बाद बिहार प्रशासन से लेकर आम जनता तक में हड़कंप मचा हुआ है। राहत की बात ये है अभी तक जो तकरीबन एक लाख प्रवासी मजदूर बिहार लौटे हैं, उन्हें अभी उनके घर नहीं जाने दिया गया है और उनके घरों के आसपास के क्वारंटीन फैसिलिटी में ही रोके रखा गया है। बिहार की चिंता ये है कि 17 मई को लॉकडाउन खत्म होने तक कुल 2.22 लाख प्रवासी मजूदरों को वापस आना है और अगर उनमें संक्रमण की ऐसी ही रफ्तार रही तो, शुरू से कोरोना के मामले में अच्छा कर रहा बिहार भी परेशान हो सकता है। क्योंकि, प्रवासी मजदूरों के आते ही बिहार में टेस्टिंग और पॉजिटिव केस का अनुपाद दोगुना से ज्यादा हो गया है।
Recommended Video
ट्रेनों में भरकर कोरोना वायरस पहुंचा बिहार
बिहार की नीतीश कुमार की सरकार के सामने कोरोना वायरस के खिलाफ जारी जंग में पहली बार बहुत बड़ी चुनौती सामने आ रही है। अबतक बिहार आमतौर पर दूसरे राज्यों की तुलना में कोरोना वायरस के प्रकोप से काफी हद तक सुरक्षित माना जा रहा था, लेकिन जो प्रवासी मजदूर श्रमिक स्पेशल ट्रेनों के जरिए पिछले कुछ दिनों में बिहार पहुंचे हैं, उनमें से पॉजिटिव केस मिलने का सिलसिला शुरू हो चुका है। बिहार में रविवार तक ऐसे 142 पॉजिटिव केस सामने आ चुके हैं, जो विभिन्न राज्यों से अपने प्रदेश वापस लौटे हैं। रविवार तक एक लाख से ज्यादा प्रवासी मजदूर 83 श्रमिक स्पेशल ट्रेनों के जरिए बिहार आए हैं। राज्य सरकार में इस बात को लेकर हड़कंप मच गया है कि आने वाले दिनों में प्रदेश में पॉजिटिव केसों की संख्या में बहुत ज्यादा इजाफा देखने को मिल सकता है।
अब बिहार के 38 में से 37 जिलों तक पहुंच गया कोरोना
सोमवार सुबह केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय की ओर से जारी आंकड़ों के मुताबिक बीते एक दिन में ही बिहार में कोरोना पॉजिटिव मरीजों की संख्या में 105 की बढ़ोतरी हुई है, जो बिहार के अबतक की स्थिति के मुताबिक बहुत ही ज्यादा केस है। चिंता की बात ये है कि इस आंकड़े में इजाफा का सबसे बड़ा कारण प्रवासी मजदूरों की वजह से सामने आए नए केस हैं। इनको मिलाकर बिहार में कोरोना संक्रमित मरीजों की कुल संख्या 696 तक पहुंच चुकी है। जबकि, इनमें से 365 मरीज पहले ही ठीक हो चुके हैं। हाल ही में बिहार सरकार ने दावा किया था कि राज्य के 85 फीसदी ब्लॉक कोरोना फ्री हैं, लेकिन प्रवासी मजदूरों के पहुंचने के बाद बिहार में कोरोना का इंफेक्शन 38 में 37 जिलों को अपनी चपेट में ले चुका है।
दोगुना से ज्यादा हुआ कोरोना संक्रमितों के मिलने का दर
बिहार सरकार के एक अधिकारी के मुताबिक, '4 मई से पहले तक महाराष्ट्र से आए 30, गुजरात से 22 और दिल्ली से आए 8 प्रवासी मजदूर करोना पॉजिटिव पाए गए थे। स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों ने ये भी पुष्टि की थी कि प्रवासी मजदूरों के आने तक इंफेक्शन रेट लिए गए सैंपलों के अनुपात में सिर्फ 1.8 % के करीब था। ' उन्होंने चौंकाने वाली जानकारी ये दी है कि, 'पहले 1,000 टेस्ट होने पर बिहार में कोरोना वायरस के पॉजिटिव केस 2% से भी कम आते थे। लेकिन, जैसे ही प्रवासी मजदूरों का हुजूम आया है, यह आंकड़ा बढ़कर 4.5% हो गया है, यानि अब 1,000 टेस्ट में से 45 लोग कोरोना पॉजिटिव मिलने लगे हैं।'
राज्य के 10.40 करोड़ स्थानीय लोगों की हो चुकी है स्क्रीनिंग
बिहार सरकार के आंकड़े बता रहे हैं कि बिहार में प्रवासी मजदूरों के रूप में ट्रेनों के जरिए बड़ी मात्रा में कोरोना वायरस वहां पहुंच रहा है। अधिकारियों का कहना है कि जो आशंका थी, वही हो रहा है क्योंकि ये मजदूर उन इलाकों से आ रहे हैं, जहां संक्रमण का दर बहुत ही ज्यादा है और जो रेड जोन के इलाके हैं। बिहार के सूचना और जन संपर्क सचिव अनुपम कुमार ने बताया कि राज्य में इस समय 3,474 ब्लॉक क्वारंटीन सेंटर काम कर रहे हैं, जिनमें 98,814 लोगों को रखा गया है। हालांकि, राज्य सरकार का कहना है कि घबराने की जरूरत इसलिए नहीं है क्योंकि 10.40 करोड़ स्थानीय लोगों की स्क्रीनिंग पहले ही की जा चुकी है और उनमें से महज 0.0037% में ही फ्लू के लक्षण मिले है, हालांकि उनमें अभी तक कोविड-19 की पुष्टि नहीं हुई है।