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कोरोना वायरस: क्या कैब या मेट्रो में चलना संक्रमण के लिहाज़ से ख़तरनाक है?

क्या कैब, ट्रेन, या फ़्लाइट में चलने से कोरोना वायरस से संक्रमित होने का ख़तरा बढ़ जाता है? कोरोना वायरस की चपेट में आकर 4600 से ज़्यादा लोगों की मौत होने के बाद दुनिया भर में लोग इस वायरस से जुड़े ऐसे ही सवाल पूछ रहे हैं. बीबीसी लगातार दुनिया के जाने माने विशेषज्ञों से बात करके इन सवालों के जवाब दे रही है. इसी कड़ी में कई लोगों ने ये सवाल पूछा है

By BBC News हिन्दी
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कोरोना वायरस
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क्या कैब, ट्रेन, या फ़्लाइट में चलने से कोरोना वायरस से संक्रमित होने का ख़तरा बढ़ जाता है?

कोरोना वायरस की चपेट में आकर 4600 से ज़्यादा लोगों की मौत होने के बाद दुनिया भर में लोग इस वायरस से जुड़े ऐसे ही सवाल पूछ रहे हैं.

बीबीसी लगातार दुनिया के जाने माने विशेषज्ञों से बात करके इन सवालों के जवाब दे रही है.

इसी कड़ी में कई लोगों ने ये सवाल पूछा है कि क्या सार्वजनिक परिवहन सेवाओं जैसे ट्रेन, मेट्रो, शेयरिंग टैक्सी या हवाई जहाज़ में यात्रा करने की वजह से इस वायरस से संक्रमित होने का ख़तरा बढ़ जाता है?


क्या कैब में यात्रा करना सुरक्षित है?

कोरोना वायरस पर अब तक की गई शोध में ये बात सामने नहीं आई है कि ये वायरस कैसे फैलता है.

लेकिन इस जैसे दूसरे वायरस पर किए गए शोधों में सामने आया है कि ये वायरस संक्रमित व्यक्तियों के खांसने या छींकने से हवा में आए उनकी लार के छींटों के संपर्क में आने से फैल सकता है.

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और जब ये छींटें किसी जगह जैसे कि ट्रेन के हैंडल, सीटें, कैब के दरवाज़ा खोलने वाले हैंडल आदि पर गिरते हैं तो इन जगहों को छूने वाला व्यक्ति भी संक्रमित हो सकता है.

क्योंकि इंसान अंजाने में एक घंटे में कई बार अपने हाथों से अपने मुँह को छूता है. इसमें नाक और दांत कुरेदना आदि शामिल है.

ऐसे में जब आप संक्रमित जगहों या चीज़ों को छूने के बाद अंजाने में अपने हाथों को चेहरे तक लेकर जाते हैं तो इस तरह वायरस आपके शरीर में पहुंच सकता है.

बीबीसी संवाददाता फ़र्नान्डो दुआरते ने अपनी रिपोर्ट में बताया है कि विशेषज्ञ अभी भी वायरस के इस नये स्ट्रेन पर शोध कर रहे हैं.

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लेकिन ऐसा माना जा रहा है कि कोरोना वायरस किसी जगह पर गिरने के बाद 9 दिनों तक ज़िंदा रहते हैं.

ऐसे में मास्क पहनने या बार-बार हाथ धोने की सलाह दी जा रही है ताकि वायरस को आपके हाथों से होकर चेहरे और उसके बाद शारीरिक अंगों तक पहुंचने से रोका जा सके.


एक सवाल ये भी है कि ट्रेन या फ़्लाइट में चलना कितना और किस तरह से ख़तरनाक साबित हो सकता है?

बीबीसी संवाददाता राचेल स्केरर ने अपनी रिपोर्ट में इस बिंदू को विस्तार से समझाया है.


ट्रेन बस में सफ़र करना कितना सुरक्षित?

स्केरर अपनी रिपोर्ट में बताती हैं, "हमारे पास मौजूद जानकारी के मुताबिक़ कोरोना वायरस बुख़ार फैलाने वाले संक्रामक तत्वों की तरह हवा में नहीं ठहरते हैं. ऐसे में अगर आप किसी संक्रमित व्यक्ति के काफ़ी क़रीब हैं तो आप इस वायरस से संक्रमित हो सकते हैं."

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ब्रिटेन के राष्ट्रीय स्वास्थ्य तंत्र की गाइड लाइन के मुताबिक़, संक्रमित व्यक्ति के काफ़ी क़रीब रहने का आशय 15 मिनट तक संक्रमित व्यक्ति से दो मीटर की दूरी में रहने से है.

ऐसे में बस या ट्रेन में सफ़र करने से वायरस की चपेट में आने का ख़तरा कितना है, ये इस बात पर निर्भर करता है कि आपकी बस या ट्रेन कितनी भरी हई है.

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उदाहरण के लिए लंदन की अंडरग्राउंड ट्रेन में सफ़र करने वालों को सांस लेने से जुड़ी समस्याओं के ग्रसित होने की आशंकाएं ज़्यादा होती हैं.

इंस्टीट्यूट ऑफ़ ग्लोबल हेल्थ से जुड़ीं डॉ. लारा गोस्के बताती हैं कि उनके शोध में ये सामने आया है कि जो लोग रोज़ मेट्रो की सवारी करते हैं, उनके फ़्लू जैसे लक्षणों से ग्रसित होने की संभावना ज़्यादा होती हैं.

वे कहती हैं, "इसमें अहम बात ये है कि वो इलाक़े जहां तक कम ट्रेनें पहुंचती हैं और जहां यात्रियों को ट्रेन में सवारी करते हुए बार-बार लाइन बदलनी पड़ती है, वहां इंफ्लूएंजा जैसी बीमारियों के फैलने के मामले ज़्यादा आते हैं. वहीं, वो इलाक़े जहां एक सीधी ट्रेन लोगों को उनके गंतव्य तक पहुंचाती है, वहां ऐसा ख़तरा अपेक्षाकृत कम होता है."

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डॉ. गोस्के इससे बचने की सलाह देते हुए कहती हैं, "संदिग्ध रूप से संक्रमित लोगों और चीज़ों से दूरी बनाना अहम है. (अगर यात्रा के दौरान बरती जाने वाली सावधानियों की बात की जाए) तो ऐसे घंटों में ट्रेन नहीं पकड़नी चाहिए जब ट्रेन में भीड़ सबसे ज़्यादा होती है. और लोगों को ऐसे ट्रांसपोर्ट को चुनना चाहिए जो कि उन्हें अपने घर तक सीधे पहुंचाता हो."

BBC Hindi
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English summary
Corona Virus: Is it dangerous to walk in a cab or metro?
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