'ब्लैक फ्राइडे' के दिन देश में कोरोना से 1,341 मौतें, 57 फीसदी आबादी घरों में रहने को मजबूर
कोरोना के साये में देश की 57 फीसदी आबादी घरों में रहने को मजबूर, ब्लैक फ्राइडे के तौर पर गुजरा बीता दिन
नई दिल्ली, 17 अप्रैल: भारत में कोरोना की दूसरी लहर बेकाबू हो रही है। बीता हुआ दिन शुक्रवार (16 अप्रैल) को देश में ब्लैक फ्राइडे के तौर पर याद किया जाएगा। इस दिन भारत में कोरोना वायरस के एक दिन में सबसे अधिक मामले 2,34,692 दर्ज किए गए थे। शुक्रवार को एक ही दिन में कोविड-19 के कारण 1,341 मौतें दर्ज की गई हैं, जो दैनिक मामलों में एक नया रिकॉर्ड था। साल 2021 के शुरुआती महीने से ये अब-तक के सबसे ज्यादा आंकड़े थे। आखिरी बार भारत ने एक दिन में सबसे ज्यादा मौतें 15 सितंबर 2020 को दर्ज की गई थी। इस दिन 1,284 लोगों की मौत हुई थी। कोरोना से हुई मौतों के कारण पूरे देश के श्मशान घाटों से भयावह नजारा देखने को मिला। कोरोना के साये में देश के अधिकांश हिस्सों में किसी न किसी रूप में पाबंदियां लगाई गई है। भारत की आधी से अधिक आबादी 57 प्रतिशत लोग अपने घरों में रहने को मजबूर हैं। देश के 15 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में नाइट कर्फ्यू या फिर वीकेंड लॉकडाउन लगा हुआ है।
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हिन्दुस्तान टाइम्स ने अपनी डेटा के मुताबिक कहा है कि आने वाले दो दिनों में देश भर में 700 मिलियन से अधिक लोग सीमित समय के लिए कर्फ्यू या लॉकडाउन में होंगे। वहीं देश में सिर्फ एसेंशियल सर्विसेज की दुकानें खुली रहेंगी। रिपोर्ट में एक्सपर्ट के आधार पर लिखा गया है कि भारत में कर्फ्यू और वीकेंड लॉकडाउन जैसी पाबंदियों की बहुत अधीक जरूरत है, क्योंकि देश में कोरोना वायरस जिस तेजी गत्ति की रफ्तार से बढ़ रहा है, वैसा पहले कभी नहीं देखा गया है। देश में फिलहाल अमेरिका और ब्राजील से भी ज्यादा कोरोना के दैनिक मामले सामने आ रहे हैं। ऐसे में इसको काबू करने का तरीका लॉकडाउन ही है।
इन 10 राज्यों में सबसे ज्यादा कोरोन की दूसरी लहर का असर
केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने शुक्रवार (16 अप्रैल) को यह जानकारी दी है कि कोरोना के हर दिन आने वाले मामले में 79.10 प्रतिशत मामले 10 राज्यों से हैं, जिनमें महाराष्ट्र, उत्तर प्रदेश, दिल्ली, छत्तीसगढ़, कर्नाटक, मध्य प्रदेश, गुजरात, केरल, तमिलनाडु और पश्चिम बंगाल शामिल हैं।
वहीं कोरोना का इलाज करा रहे कुल मरीजों में से 65.86 फीसदी मरीज भी 5 राज्यों से हैं। जिसमें महाराष्ट्र, छत्तीसगढ़, कर्नाटक, उत्तर प्रदेश और केरल शामिल हैं। इसमें से अकेले महाराष्ट्र में 39.60 फीसदी मामले हैं।
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