कोरोना वायरसः अनलॉक-1 के दौरान कैसा रहा इन बड़े राज्यों का हाल?
अनलॉक-1 के दौरान कोरोना से निपटने और आर्थिक गतिविधियाँ बहाल करने में कितनी कामयाब रहीं बिहार, बंगाल, असम, राजस्थान, मध्य प्रदेश और झारखंड की सरकारें?
कोरोना वायरस के प्रभाव को कम करने की लिहाज से केंद्र सरकार ने मार्च में लॉकडाउन लगाया. इसे दो बार बढ़ाया गया और फिर 1 जून से केंद्र ने अनलॉक-1 की घोषणा की. इस दौरान राज्यों में आर्थिक गतिविधियां भी धीरे धीरे शुरू हुईं. अब आज यानी पहली जुलाई से अनलॉक-2 की प्रक्रिया भी शुरू हो गई है.
बीबीसी ने विभिन्न राज्यों में अपने सहयोगियों से यह जानना चाहा कि अनलॉक-1 के बीते एक महीने के दौरान राज्यों का क्या हाल रहा. वहां कोरोना वायरस के मामलों में कितना इज़ाफ़ा हुआ. राज्य सरकारें इससे निपटने के क्या उपाय कर रही हैं और अनलॉक-1 का आर्थिक गतिविधियों पर क्या असर पड़ा.
अनलॉक होते बिहार के सामने कोरोना के साथ बाढ़ भी चुनौती
बिहार से बीबीसी के सहयोगी नीरज प्रियदर्शी ने बताया कि जैसे-जैसे बिहार अनलॉक हो रहा है, कोरोना संक्रमण के मामले वैसे-वैसे बढ़ते जा रहे हैं.
बिहार के स्वास्थ्य विभाग की तरफ़ से दी गई जानकारी के अनुसार मंगलवार को शाम चार बजे तक तक सूबे में संक्रमण के मामले बढ़कर 9,744 हो गए हैं. 31 मई तक पॉजिटिव मामलों की संख्या 3807 थी. यानी पिछले एक महीने के दौरान 5,937 नए मामले आए हैं.
हालांकि, बिहार सरकार के स्वास्थ्य विभाग ने रिकवरी रेट को लेकर जो आंकड़े जारी किए हैं वो थोड़ी राहत देने वाले हैं. यहां रिकवरी रेट 77 फ़ीसदी है, यानी 7,544 मरीज़ ठीक भी हो चुके हैं.
कोरोना काल की शुरुआत से ही बिहार में आबादी के हिसाब से कम सैंपल टेस्ट को लेकर सवाल उठाए जा रहे थे. ये सवाल अब भी बने हुए हैं. क्योंकि जांच की प्रक्रिया शुरू होने के लगभग तीन महीने बाद भी अब तक रोज़ाना अधिकतम 10,000 सैंपल टेस्ट ही जांचे जा रहे हैं.
मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने सोमवार को समीक्षा बैठक के बाद सैंपल टेस्ट को रोजाना 15,000 ले जाने की बात कही.
कोरोना वायरस के बढ़ते मामलों के साथ-साथ बिहार पर बाढ़ का संकट भी मंडरा रहा है. भारी बारिश के कारण उत्तर भारत की सभी प्रमुख नदियां गंडक, कमला, बागमती, कोसी उफ़ान पर हैं. सैकड़ों गांवों में बाढ़ का पानी घुस गया है. डर इसलिए ज़्यादा बढ़ गया है क्योंकि मौसम विभाग ने बिहार में इस बार सामान्य से अधिक बारिश की संभावना जताई है.
बिहार के सामने चुनौती लॉकडाउन के दौरान राज्य में लौटे 30 लाख से अधिक प्रवासियों को रोज़गार देने की भी है. हालांकि बिहार सरकार का यह कहना है कि वह लौटकर आए सभी लोगों को रोज़गार देने में सक्षम है और किसी को बिना काम के नहीं रखेगी.
सरकार ने मज़दूरों को उनकी स्किल के आधार पर पहचानकर काम देने की योजना बनाई है, लेकिन लॉकडाउन के एक महीने गुज़र जाने के बाद भी इस योजना के तहत अभी तक केवल पांच लाख मज़दूरों का ही पंजीकरण हो सका है.
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असमः अनलॉक-1 में तेज़ी से बढ़े कोविड-19 के मामले
असम से बीबीसी से सहयोगी दिलीप कुमार शर्मा ने बताया कि केंद्र सरकारी की तरफ से घोषित अनलॉक-1 यानी एक जून से लेकर 30 जून तक के दरम्यान असम में हालात ठीक नहीं रहे. दरअसल अनलॉक-1 को लेकर जो दिशानिर्देश जारी किए गए थे उनमें कुछ गतिविधियों ऐसी थीं जिसके कारण कोविड-19 के मामलों में तेज़ी से बढ़ोतरी हुई.
हालातों के बारे में इस बात से समझा जा सकता है कि अनलॉक-1 के अंतिम दिनों के दौरान राजधानी शहर गुवाहाटी को 14 दिनों के लिए संपूर्ण लॉकडाउन कर देना पड़ा. फिलहाल गुवाहाटी पूरी तरह बंद है.
असल में 1 जून को राज्य में कोरोना पॉजिटिव के कुल मामले 1463 थे जिनमें से 284 मरीज़ों को ठीक होने के बाद अस्पताल से छुट्टी दे दी गई थी. राज्य में उस समय तक कुल चार लोगों की मौतें हुई थीं.
लेकिन 30 जून की दोपहर तक स्वास्थ्य मंत्री हिमंत बिस्वा सरमा के एक ट्वीट के अनुसार इस समय असम में कोरोना पॉजिटिव के कुल 7,835 मामले हैं, 5333 लोग ठीक भी हुए है. जबकि 30 जून तक कोविड-19 से मरने वालों की संख्या 12 हो गई है.
असम के स्वास्थ्य मंत्री ने अनलॉक-2 शुरू होने के ठीक पहले कहा कि कामरूप (मेट्रो) ज़िले में गुवाहाटी और उसके आसपास के इलाकों में सोमवार से शुरू हुए लॉकडाउन जो शहर में कोविड-19 के ख़िलाफ़ "करो या मरो" की लड़ाई है.
जब अनलॉक-1 शुरू हुआ था उस समय हिमंत विस्वा सरमा ने कहा था कि हम हर समय कोविड-केंद्रित नहीं हो सकते. अनलॉक करने से हमें प्रभावी कोविड प्रबंधन का मौका मिलेगा और इससे अर्थव्यवस्था में भी सुधार कर सकेंगे.
असम सरकार ने अनलॉक-1 के नए दिशानिर्देश के तहत कोविद -19 महामारी के रोकथाम के लिए चरणबद्ध तरीके से सरकारी कार्यालयों समेत व्यापारिक प्रतिष्ठानों को खोलने की अनुमति दी थी. इस दौरान नियमों का उल्लंघन करने वालों के ख़िलाफ़ सरकार ने कड़ी कार्रवाई भी की लेकिन बाहरी राज्यों से रेल, सड़क और हवाई जहाज से जैसे लोगों का प्रदेश में आना शुरू हुआ कोविड-19 के मामलों में तेज़ी से इज़ाफा होना शुरू हो गया.
हालांकि असम सरकार ने क्वारंटीन के नियमों को तोड़ने वालों के ख़िलाफ़ 'हत्या का प्रयास' में लगने वाली धाराएं लगाने की भी चेतावनी जारी कर रखी है. लेकिन इसी दौरान कुछ ऐसे मामले सामने आए जिनकी कोई ट्रैवल हिस्ट्री नहीं थी.
ऐसे में खासकर जब गुवाहाटी में सामाजिक स्तर पर मामले फ़ैलने लगे तो प्रशासन को संपूर्ण लॉकडाउन जैसा कदम उठाने पड़े. गुवाहाटी में यह लॉकडाउन 12 जुलाई शाम 6 बजे तक जारी रहेगा.
साथ ही राज्य सरकार ने सभी ज़िलों के अंतर्गत आने वाले नगरपालिका और टाउन कमेटी वाले शहरी क्षेत्रों को सप्ताहांत शनिवार और रविवार के दौरान पूरी तरह लॉकडाउन करने का आदेश दिया है. जबकि समूचे राज्य में शाम 7 बजे से सुबह 7 बजे तक कर्फ़्यू लगाया गया है.
झारखंड में चारगुना बढ़ गए पॉजिटिव मरीज़
झारखंड से बीबीसी के सहयोगी रवि प्रकाश ने बताया कि अनलॉक-1 के दौरान राज्य में कोरोना संक्रमितों की संख्या चौगुनी बढ़ गई.
31 मई की रात तक राज्य में सिर्फ 610 पॉजिटिव लोगों की पहचान की गई थी और 349 एक्टिव केस थे. जबकि इससे होने वाली मौतों की संख्या भी सिर्फ पांच थी. अब अनलॉक-2 की शुरुआत हो चुकी है. बीते एक महीने के दरम्यान कोरोना से होने वाली मौत का आंकड़ा 15 पर जा पहुंचा है. यानी अनलॉक-1 के दौरान मौत के मामले में तीन गुना इजाफ़ा हुआ है.
वहीं कोरोना संक्रमितों की संख्या भी मंगलवार की सुबह तक 2430 थी. स्पष्ट है कि अनलॉक-1 के दौरान यहां संक्रमण चार गुना तेज़ी से बढ़ा लेकिन इसके मरीज़ ठीक भी होते गए. यही वजह है कि 31 मई को एक्टिव रहे 349 केसेज की तुलना में अब 566 एक्टिव केस हैं.
अनलॉक-1 के दौरान यहां कुल 1820 पॉजिटिव लोगों की पहचान की गई और 10 लोगों की मौत भी हुई. संक्रमण के लिहाज से अनलॉक-1 झारखंड के लिए ठीक नहीं रहा.
इस दौरान बाहर से लोगों का आना ज़्यादा तेज़ी से हुआ और सड़कों पर गाड़ियों की आवाजाही से भी कोरोना कैरियर इधर-उधर घूमते रहे. इस कारण संक्रमित मरीजों की संख्या तेज़ी से बढ़ी.
हालांकि, इस दौरान दुकानों के खुलने और व्यावसायिक गतिविधियों के संचालन से लोगों को कुछ राहत भी मिली. हालांकि, अनलॉक के बावजूद झारखंड सरकार ने धार्मिक स्थलों को नहीं खोलने का फ़ैसला किया था. इस कारण मंदिर, मस्जिद, चर्च, गुरुद्वारा आदि अभी तक बंद हैं.
ई-कॉमर्स, जूते-चप्पलों और कपड़ों की दुकानें आदि पर अब भी कई तरह के प्रतिबंध हैं. इनके संचालन की अनुमति भी बहुत बाद में दी गई. ऐसी जगहों पर भीड़ अभी भी नदारद है. ऐसे में किसी व्यापारिक गतिविधि के कारण संक्रमण का एक भी मामला सामने नहीं आया है.
फुटपाथ की दुकानें और खोमचे वालों की दुकानें खुल जाने के कारण उन्हें थोड़ी राहत मिली है. बार, रेस्टोरेंट, होटल, सैलून, पार्लर, स्टेडियम, मॉल, सिनेमा हॉल जैसी जगहें अभी भी बंद हैं. इस कारण आर्थिक गतिविधियां पूरी तरह से पटरी पर नहीं लौट सकी हैं.
स्कूलों-कॉलेजों के बंद रहने के कारण शैक्षणिक गतिविधियां भी सिर्फ आनलाइन माध्यम से संचालित की जा रही हैं.
राजस्थानः अनलॉक-2 में खुलेंगे छोटे धार्मिक स्थल
राजस्थान से बीबीसी के सहयोगी मोहर सिंह मीणा ने जानकारी दी बढ़ते कोरोना पॉजिटिव मामलों के बीच आज यानी 1 जुलाई से अनलॉक-2 के लिए राज्य सरकार ने भी गाइडलाइंस जारी कर लोगों को राहत देने का प्रयास किया है. राज्य सरकार समय-समय पर गतिविधियां शुरू कर लोगों को राहत दे रही है.
राजस्थान में अनलॉक-1 के दौरान राजस्थान बोर्ड ऑफ़ सेकंड्री एजुकेशन ने दसवीं और बारहवीं की बाकी बची परीक्षाएं भी आयोजित करा ली हैं. हालांकि, राज्य में शिक्षण संस्थान खोलने पर अनलॉक-2 में भी कोई फ़ैसला नहीं लिया गया है.
जबकि आर्थिक गतिविधियां तो अनलॉक-1 से ही शुरू कर दी गई थीं. इससे होटल, रेस्टोरेंट, बार, दुकानें, शॉपिंग मॉल समेत कई आर्थिक गतिविधियां शुरू होने से लोगों को राहत मिली है.
फैक्ट्रियों में काम शुरू किया गया और लोगों को मनरेगा के तहत भी रोज़गार उपलब्ध कराए जा रहे हैं.
राजस्थान में बसों का संचालन शुरू किया जा चुका है और लगातार बसों की संख्या में बढ़ोतरी की जा रही है, जिससे लोगों को आवागमन में परेशानी का सामना नहीं करना पड़े. हालांकि, सिटी बसों को फिलहाल शुरू नहीं किया गया है.
लॉकडाउन के बाद लोगों की थम चुकी ज़िन्दगी को फिर से पटरी पर लाने के प्रयास किए जा रहे हैं. वहीं, लोगों को कोरोना से बचाव के लिए राज्य स्तर पर जागरूकता अभियान भी चलाया जा रहा है.
ग्रामीण इलाकों में छोटे धार्मिक स्थलों को खोला जाएगा, जहां प्रतिदिन 50 ही दर्शनार्थी आते हों. जबकि शहरों में धार्मिक स्थल नहीं खोलेने पर अभी कोई फ़ैसला नहीं लिया गया है.
राजस्थान में अनलॉक-1 में कोरोना के मामलों में बड़ा अंतर देखने को नहीं मिला है. सरकार लगातार दावा कर रही है कि राज्य का रिकवरी रेट 78 फ़ीसदी तक रहा है. अनलॉक-2 के साथ ही अब 1 जुलाई 2020 से राज्य में आने वाले लोगों को 14 दिन के होम कवारंटीन कि बाध्यता भी नहीं होगी.
सरकारी आंकड़ों के मुताबिक राजस्थान में 1 जून 2020 तक 9,100 कोरोना पॉज़िटव मामले मिले चुके थे, जबकि एक्टिव 2,688 मामले थे और 199 मौत हो चुकी थी.
वहीं 30 जून 2020 तक राजस्थान में कोरोना पॉज़िटिव मामलों की कुल संख्या 18,014 पहुंच गई है. जबकि राज्य में 3,381 एक्टिव मामले हैं और अब तक 413 मौत हो चुकी हैं.
राजस्थान में पिछले कुछ दिनों में मिल रहे कोरोना के मामलों के आंकड़ों पर नज़र डालें तो रोज़ाना औसतन 150 से 200 के बीच मामले सामने आ रहे हैं.
हालांकि, प्रदेश में बढ़ते कोरोना मामलों के बीच राजस्थान सरकार 75 फ़ीसदी से अधिक रिकवरी रेट का दावा कर रही है.
मध्य प्रदेशः लोग सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करते नज़र नहीं आ रहे
मध्य प्रदेश से बीबीसी सहयोगी शुरैह नियाज़ी ने बताया कि 1 जून को कोरोना से संक्रमित मरीज़ों की संख्या 8,089 थी, वहीं मौत का आंकड़ा 350 था. अनलॉक-1 के ख़त्म होते होते यानी 30 जून तक पॉजिटिव मामले 13,370 को पार कर चुके हैं वहीं मौतों की संख्या भी 564 हो गई है.
अगर हम देखें तो इस अकेले महीने में कोरोना संक्रमित मरीज़ों की तादाद 5281 बढ़ी है. वही 214 मौतें भी हुई है.
इंदौर और भोपाल जैसे शहरों में कोरोना संक्रमितों का आंकड़ा लगातार बढ़ रहा है लेकिन सरकार की अब प्राथमिकता कोरोना से हट कर व्यवसायिक गतिविधियों को बढ़ाने की नज़र आ रही है.
प्रदेश में लगभग सभी मार्केट को खोल दिया गया है. लेकिन भोपाल में जहां पहले सातों दिन खोलने की इजाज़त दे दी गई थी उसे हफ़्ते में पांच दिन करना पड़ा क्योंकि मरीज़ों के आंकड़े में कमी नहीं हो रही थी. अब शहर के बाज़ार शनिवार और रविवार को बंद रखे जाते हैं.
वही जहां तक औद्योगिक गतिविधियों की बात है तो वो लगभग सभी इंडस्ट्रियल एरिया में शुरू हो चुकी है. लेकिन कामगारों की कमी का सामना सभी को करना पड़ रहा है. कामगारों ने लॉकडाउन के बाद अपने घरों का रुख कर लिया था और कम ही लोग है जो इस वक़्त लौट कर आने चाहते हैं.
मंडीदीप इंडस्ट्री एसोसिएशन के महासचिव सीबी मालपानी ने बताया कि ज़्यादातर उद्योगों को काम करने वाले लोगों की कमी का सामना करना पड़ रहा है.
राजधानी भोपाल में 15 जून से धार्मिक स्थलों को भी खोला गया है. धार्मिक स्थालों पर हालांकि अभी भी ज़्यादा भीड़ नज़र नहीं आ रही है. लेकिन बाज़ारों में भीड़ पहले की तरह नज़र आने लगी है और लोग सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करते नज़र नहीं आ रहे हैं.
नगर निगम ने दुकानों को भी अलग अलग दिनों में खोलने का फ़ैसला लिया था लेकिन उसका असर ज़्यादा नज़र नहीं आ रहा है.
होटल और खाने पीने की दुकानों को भी खोल दिया गया है पर अभी भी बैठने की व्यवस्था नही की गई है बल्कि पार्सल की ही इजाज़त दी गई है.
आज यानी बुधवार से अनलॉक-2 शुरू हो गया है लेकिन इससे बहुत ज़्यादा बदलाव की उम्मीद नहीं की जा रही है. प्रदेश में स्कूल और कॉलेज पहले की ही तरह बंद रहेंगे. सरकार ने दूसरी गतिविधियों के लिए अभी कोई फ़ैसला नहीं लिया है.
पश्चिम बंगाल में कैसा रहा अनलॉक-1?
कोलकाता से बीबीसी के सहयोगी प्रभाकर मणि तिवारी ने बताया कि पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने केंद्र सरकार के मुकाबले एक सप्ताह पहले यानी पहली जून से ही तमाम रियायतों का एलान कर दिया था. इनमें चाय और जूट उद्योग में काम शुरू करने, तमाम बाज़ारों, सार्वजनिक परिवहनों और धार्मिक स्थलों को खोलना शामिल था.
सरकार ने टीवी धारावाहिकों और फ़िल्मों को शूटिंग की सर्शत अनुमति दे दी थी. अब एक महीने पूरे होने के बाद सरकार के इस फ़ैसले से आर्थिक परिदृश्य तो खास नहीं बदला है. लेकिन कोरोना का संक्रमण ज़रूर तेज़ी से बढ़ा है. ज़्यादातर स्वास्थ्य विशेषज्ञों ने पहले ही इसका अंदेशा जताया था.
वैसे, इस दौरान आए चक्रवाती तूफ़ान अंफन ने भी संक्रमण तेज़ करने में अहम भूमिका निभाई. तूफ़ान के लिए बनाए गए राहत शिविरों में कम जगह में भारी तादाद में लोगों के शरण लेने की वजह से सोशल डिस्टेंसिंग का पालन संभव नहीं हो सका.
ममता बनर्जी तो इसी दौरान पहली जुलाई से कोलकाता मेट्रो की सेवाएं दोबारा शुरू करने पर जोर दे रही थीं. लेकिन मेट्रो रेल प्रबंधन ने इससे इनकार कर दिया.
मुख्यमंत्री ने उस समय दलील दी थी, "रेलवे भेड़-बकरी की तरह ट्रेनों में ठूस कर प्रवासियों को बंगाल भेज रही है. ऐसे में मंदिर-मस्जिद को खोलने में क्या बुराई है? स्वास्थ्य विशेषज्ञों ने तब कहा था कि अचानक एक साथ इतनी रियायतें देने के बाद राज्य में संक्रमण तेज़ी से बढ़ने का अंदेशा है. एक विशेषज्ञ डा. पार्थसारथी घोष का कहना था, "सरकार के दिशानिर्देशों के बावजूद बाज़ारों से लेकर बसों तक कहीं भी सोशल डिस्टेंसिंग के नियम का पालन नहीं हो रहा है.
आखिर वही हुआ जिसका डर था. राज्य में संक्रमण तेज़ी से फ़ैला. जून के पहले सप्ताह में ही 2,686 नए मामले सामने आए जो तब तक सामने आने वाले मामलों का एक-तिहाई था. पश्चिम बंगाल में कोरोना का पहला मरीज 17 मार्च को सामने आया था. पहली जून को राज्य में इसके मरीज़ों की संख्या 5,772 थी और मृतकों की तादाद 253. एक महीने बाद 30 जून तक यह संख्या क्रमशः 18 हज़ार और साढ़े छह सौ के पार पहुंच गई है. अब बिना लक्षण वाले मरीज़ों की बढ़ती संख्या सरकार की चिंता बढ़ा रही है.
आखिर अनलॉक के दौरान आर्थिक मोर्चे पर राज्य को कितना फायदा हुआ? इसका जवाब है बेहद मामूली. चाय बागान, जूट उद्योग औऱ दूसरे कुछ उद्योगों के अलावा बाज़ार और शापिंग मॉल्स ज़रूर खुल गए. लेकिन ग्राहकों का टोटा बना रहा. लोग घूमने के बहाने घरों से तो ज़रूर निकले, लेकिन ख़रीदारी नहीं की.