कोरोना से भी खतरनाक दुश्मन भूख- झारखंड में नहीं थम रहा मौतों का सिलसिला
रांची। वैश्विक स्तर पर कोरोना वायरस महामारी ने कहर बरपाया हुआ है। भारत में इस खतरनाक वायरस ने कोहराम मचाया हुआ है। 8000 से ज्यादा लोग इससे संक्रमित हैं और करीब 250 लोगों की इससे मौत हो चुकी है। पूरे देश में लॉकडाउन है। जो जहां है वहीं जिंदगी बसर करने पर मजबूर है। बात अगर झारखंड की करें तो यहां भूख, कोरोना से भी खतरनाक बनकर उभरा है। यहां के गरवा जिले के 8 परिवार भूख से मर रहे हैं। अब डर ये है कि जल्द अगर कुछ नहीं किया गया तो सभी भूख से मर सकते हैं।
परिवार की चंद्रावती देवी (32) का कहना है कि लॉकडाउन के चलते वो भीख मांगने नहीं जा सकती। उन्होंने कहा कि हमने बच्चों का पेट पालने के लिए हर संभव कोशिश की ली लेकिन कुछ नहीं हो सका। कोरकोमा गांव की रहने वाली चंद्रावती ईंट के भट्टे पर दिहाड़ी मजदूर के रूप में काम करती थी। कोरोन वायरस के चलते राष्ट्रव्यापी लॉकडाउन के चलते उन्हें और उनके परिवार के पास कोई काम नहीं है।
घर में खाना नहीं बचा है। राशन कार्ड वाले तीन सदस्यों वाले घर में न तो राज्य और न ही केंद्रीय सहायता पहुंची है। परिवार पड़ोसियों की दया पर गुजर कर रहा है। आपको बता दें कि लॉकडाउन के बाद से झारखंड में भूख से 3 लोगों की मौत हो चुकी है। हालांकि राज्य सरकार ने भूख से मौत की बात को इंकार किया है।
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58 वर्षीय महिला की भूख से मौत
झारखंड के गिरिडीह जिले में एक 58 वर्षीय महिला की भूख से मौत हो गई। महिला सावित्री देवी काफी दिनों से भूखी थी और उसके पास राशन कार्ड भी नहीं था। डुमरी की एमओ शीतल प्रसाद ने बताया कि अधिकारियों की लापरवाही के कारण सावित्री देवी का राशन कार्ड नहीं बन पाया था। साथ ही उन्होंने दोषियों के खिलाफ कार्रवाई का भी आश्वासन दिया।
इसके अलावा झारखंड के गढ़वा जिला मुख्यालय से करीब 55 किमी दूर और भण्डरिया प्रखण्ड मुख्यालय से करीब 30 कि0 मी0 उत्तर पूर्व घने जंगलों के बीच बसा है 700 की अबादी वाला एक आदिवासी बहुल कुरून नामक एक गांव। इसी गांव की 70 वर्षीय सोमारिया देवी की भूख से मौत पिछले 02 अप्रैल 2020 की शाम हो गई। सोमरिया देवी अपने 75 वर्षीय पति लच्छू लोहरा के साथ रहती थी। उसकी कोई संतान नहीं थी। मृत्यु के पूर्व यह दम्पति करीब 4 दिनों से अनाज के अभाव में कुछ खाया नहीं था। इसके पहले भी ये दोनों बुजुर्ग किसी प्रकार आधा पेट खाकर गुजारा करते थे।