वैक्सिन बनाने में लग जाते हैं 10 से 15 साल, हम एक साल में देना चाहते हैं रिजल्ट: साइंटिफिक एडवाइजर
नई दिल्ली। कोरोना वायरस का संक्रमण दुनिया भर में बढ़ता जा रहा है। रोज औसतन 6 से 7 हजार पॉजिटिव केस सामने आ रहे हैं। हालांकि राहत की सिर्फ एक बात है कि रिकवरी रेट अच्छा है और अधिकतर लोग ठीक भी हो रहे हैं। स्वास्थ्य मंत्रालय की तरफ से रोज की तरह मेडिकल बुलेटिन जारी किया गया है। वहीं वैक्सिन को लेकर कई जानकारियां दी गई हैं। प्रेस कॉन्फ्रेंस को संबोधित करते हुए देश के प्रधान वैज्ञानिक सलाहाकर डॉ. के विजय राघवन ने कहा कि हमारे संस्थान बहुत ही मजबूत हैं। सारा तंत्र इस लड़ाई में लगा हुआ है। ICMR फोरफ्रंट पर है।
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उन्होंने कहा कि पहले वैक्सीन बनाने में 10 से 15 साल लग जाते हैं लेकिन अब हम तेजी से यह काम करने की कोशिश कर रहे हैं। भारत में वैक्सीन की मैन्युफैक्चरिंग बहुत अच्छी है। डॉ राघवन ने कहा कि भारत में 30 ग्रुप वैक्सीन बनाने की कोशिश कर रहे हैं। यह बहुत रिस्की प्रॉसेस है। दुनिया में बहुत सारे लोग वैक्सीन की बात कर रहे हैं लेकिन यह पता नहीं है कि किसकी वैक्सीन प्रभावी होगी। अगर वैक्सीन वेस्ट हो जाती है तो नुकसान भी होता है।
वैक्सिन को लेकर राघवन ने कहा कि वैक्सीन बनाने की कोशिश तीन तरह से हो रही हैं। एक तो हम खुद कोशिश कर रहे हैं। दूसरा बाहर की कंपनियों के साथ मिलकर काम कर रहे हैं और तीसरा हम लीड कर रहे हैं और बाहर के लोग हमारे साथ काम कर रहे हैं। विजय राघवन ने कहा कि RT-PCR टेस्ट कोरोना वायरस की मौजूदगी पहचानने के लिए होता है, फिर चाहे व्यक्ति में कोविड 19 के लक्षण हों या नहीं। अगर व्यक्ति गैर लक्षणी है और उसमें वायरस है तो भी इस टेस्ट में वायरस की पहचान हो जाती है। स्वास्थ्य मंत्रालय ने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर बताया कि देशभर में कोरोना संक्रमण का आंकड़ा 1,58,333 पहुंच गया है, जबकि 67,691 लोग स्वस्थ भी हो चुके हैं। केन्द्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय द्वारा गुरुवार सुबह जारी रिपोर्ट के मुताबिक देश भर में 86,110 लोग अभी भी पॉजिटीव हैं। वहीं दूसरी तरफ देश भर में इस वायरस की चपेट में आने से 4531 लोंगो की मौत हो गई है।