कोविड-19: गुजरात सरकार पर भड़का HC,एशिया के सबसे बड़े अस्पताल की हालत 'कालकोठरी' से भी बदतर
नई दिल्ली- गुजरात के अहमदाबाद स्थित एशिया के सबसे बड़े अस्पताल में कोरोना वायरस से मरीजों की हो रही मौतों पर गुजरात हाई कोर्ट ने राज्य की विजय रुपाणी सरकार को जोरदार फटकार लगाई है और साथ ही साथ कई निर्देश भी दिए हैं। हाई कोर्ट ने कहा है कि अहमदाबाद सिविल अस्पताल की हालत तो कालकोठरी से भी बदतर हो चुकी है। अदालत ने राज्य के स्वास्थ्य मंत्री से भी सवाल किया है कि क्या उन्हें अस्पताल की हालत का कुछ अंदाजा भी है। कोर्ट ने कहा है कि अहमदाबाद सिविल अस्पताल की हालत बहुत ही दयनीय हो चुकी है। गौरतलब है कि एशिया के सबसे बड़े अस्पातल के तौर पर विख्यात इस अस्पताल में मौतों का आंकड़ा लगातार बढ़ता ही जा रहा है।
कोरोना को लेकर गुजरात सरकार को हाई कोर्ट की फटकार
देर से मिली जानकारी के मुताबिक गुजरात खासकर अहमदाबाद में कोरोना वायरस मरीजों और सिविल अस्पताल की हालत पर गुजरात हाई कोर्ट बेहद खफा है। अदालत ने एशिया के सबसे बड़े अस्पताल की स्थिति को दयनीय बताते हुए यहां तक कहा है कि उसकी हालत तो कालकोठरी जैसी या उससे भी बदतर हो चुकी है। कोर्ट ने कोविड-19 को लेकर दायर एक पीआईएल पर स्वत: संज्ञान लेते हुए शुक्रवार को इस तरह की टिप्पणी की, जो बाद में सार्वजनिक हुई है। बता दें कि शुक्रवार तक ही सिर्फ अहमदाबाद सिविल अस्पताल में कोरोना वायरस के 377 मरीजों की मौत हो चुकी थी। हाई कोर्ट की दो जजों वाली बेंच ने कहा, 'हालात बहुत ही पीड़ादायक और दर्दनाक हो चुकी है, आज की तारीख में सिविल अस्पताल की स्थिति तो बहुत ही दयनीय है......हमें बहुद ही खेद के साथ कहना पड़ रहा है कि आज की तारीख में सिविल अस्पताल, अहमदाबाद की हालत बहुत ही ज्यादा बुरी लग रही है।'
अहमदाबाद सिविल अस्पताल की हालत कालकोठरी से बदतर
हाई कोर्ट ने ये भी कहा कि , 'जैसा कि हमनें पहले कहा है कि सिविल अस्पताल मरीजों के इलाज के लिए है। हालांकि, आज की तारीख में ऐसा लगता है कि यह बिल्कुल कालकोठरी बन चुका है। शायद कालकोठरी से भी बदतर हो चुका है। दुर्भाग्य से गरीब और लाचार मरीजों के पास कोई विकल्प नहीं है।' बता दें कि गुजरात में आज सुबह तक कोरोना के 13,664 मामले सामने आ चुके हैं और कुल 829 लोगों की मौत हो चुकी है, जो महाराष्ट्र के बाद सबसे ज्यादा है। गुजरात के 9 जिलों में तो सोमवार को फिर से नए केस सामने आए हैं, जबकि अहमदाबाद में पिछले एक दिन में ही 277 नए केस मिले हैं। अकेले अहमदाबाद जिले में कोरोना संक्रमितों की संख्या 10,001 हो चुकी है। इसके अलावा मौत के मामले में भी गुजरात में अकेले अहमदाबाद में 669 लोगों की जान गई है।
वेंटिलेटरों की कमी पर भी सवाल
गुजरात सरकार के लिए सबसे फजीहत की बात ये है कि अदालत ने राज्य के स्वास्थ्य मंत्री और स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों से ये पूछ लिया है कि क्या उन्हें पता भी है कि अस्पताल में हो रहा है। कोर्ट ने कहा है, 'क्या प्रदेश के स्वास्थ्य मंत्री को इसकी कोई जानकारी है कि मरीजों, डॉक्टरों, नर्सिंग स्टाफ और दूसरे कर्मचारियों को आज किन समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है। स्वास्थ्य मंत्री ने कितनी बार मेडिकल ऑफिसरों और दूसरे स्टाफ से निजी तौर पर मिले हैं, जिससे उन्हें परेशानियों और समस्याओं का पता लग सके।' अदालत ने राज्य सरकार से सवाल किया कि 'क्या राज्य सरकार को इस पुख्ता सच्चाई की जानकारी है कि सिविल अस्पताल में वेंटिलेटरों की कमी के चलते मरीजों की मौत हो रही है? वेंटिलेटरों की समस्या से निपटने की राज्य सरकार के पास क्या तैयारी है?'
सरकार और निजी अस्पतालों के लिए भी निर्देश
इन
टिप्पणियों
के
साथ
ही
गुजरात
हाई
कोर्ट
ने
हालात
बेहतर
करने
के
लिए
राज्य
सरकार
को
कुछ
निर्देश
भी
दिए
हैं।
अदालत
ने
कहा
है
कि
सरकार
नॉन-परफॉर्मिंग
डॉक्टरों
का
तत्काल
ट्रांसफर
करे
और
और
दूसरे
अस्पतालों
से
वरिष्ठ
और
अनुभवी
डॉक्टरों
को
लाए,
जो
सिविल
अस्पताल
में
बेहतर
सेवा
देने
के
लिए
तैयार
हैं।
अदालत
ने
रेसिडेंट
डॉक्टरों
को
सुविधाएं
देने
और
वरिष्ठ
डॉक्टरों
की
जिम्मेदारी
तय
करने
को
भी
कहा
है,
जो
मरीजों
की
जान
बचाने
में
नाकाम
रहे
हैं।
अदालत
ने
यह
भी
कहा
है
कि
डॉक्टरों
से
कहे
कि
अपना
क्लीनिक
चलाएं
या
फिर
सरकारी
कोविड
अस्पतालों
में
आकर
योगदान
दें।
अदालत
ने
बंद
पड़ी
निजी
क्लीनिक,
नर्सिंग
होम
और
निजी
अस्पतालों
को
भी
खोलने
को
कहा
है,
जहां
पर
कोरोना
के
अलावा
बाकी
मरीजों
का
इलाज
हो
सके।
कोर्ट
ने
प्राइवेट
अस्पतालों
को
भी
एडवांस
में
फीस
नहीं
लेने
और
सिर्फ
आधार
कार्ड
और
पैन
कार्ड
की
डिटेल
लेने
को
कहा
है।
इसके
मुताबिक
मरीजों
से
फीस
तभी
लिया
जाए,
जब
वह
पैन
कार्ड
की
डिटेल
के
मुताबिक
उसके
लिए
सक्षम
हो।
(मुख्यमंत्री
विजय
रुपाणी
की
तस्वीर-फाइल)