ऑक्सीजन की कमी: दिल्ली HC ने केंद्र को लगाई फटकार, पूछा- लोग ही नहीं बचेंगे तो इंडस्ट्रीज का क्या करेंगे?
नई दिल्ली, अप्रैल 20। कोरोना वायरस महामारी से जारी लड़ाई के बीच दिल्ली के अस्पताल में मेडिकल ऑक्सीजन की कमी को लेकर आज (20 अप्रैल) उच्च न्यायालय ने केंद्र सरकार को फटकार लगाई। दिल्ली के कई शहरों में ऑक्सीजन की किल्लत है, इस बीच उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने कहा कि अस्पातलों में सिर्फ 8 से 12 घंटे की ऑक्सीजन शेष है। मंगलवार को इस समस्या पर कड़ा रुख अपनाते हुए हाई कोर्ट ने केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय से कहा कि औद्योगिक इकाइयां इंतजार कर सकती हैं लेकिन मरीज नहीं।
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दरअसल, केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने हाई कोर्ट से कहा कि ऑक्सीजन के औद्योगिक इस्तेमाल पर रोक लगाई गई है, जल्द ही और ऑक्सीजन मुहैया कराए जाएगा। घरेलू इस्तेमाल के लिए ऑक्सीजन सिलेंडर की बिक्री के चलते अस्पतालों में ऑक्सीजन नहीं मिल पा रहा है। कोर्ट ने केंद्र सरकार के जवाब पर सख्त टिप्पणी करते हुए कहा कि इंडस्ट्रीज को ऑक्सीजन क्यों दी जा रही है, अगर आप लोग नहीं नहीं बचेंगे तो उनके सामना या प्रोडक्ट का इस्तेमाल कौन करेगा। हर रोज लाखों की संख्या में लोग संक्रमित हो रहे हैं।
कोर्ट ने आगे कहा कि माल लीजिए अगर दो करोड़ से अधिक लोग कोरोना वायरस की चपेट में आ जाते हैं तो सोचिए ऐसे में कितने लोगों की मौत होगी। इस समय क्या इंडस्ट्रीज को ऑक्सीजन दिया जाना उचित है, सांस की जरूरत किसे है उद्योगों को या मरीज को? क्या आप मरीजों से कहेंगे कि रुकिए ऑक्सीजन के लिए थोड़ा इंतजार कीजिए? कोर्ट की इस टिप्पणी के बाद केंद्र की तरफ से कहा गया कि किसी मरीज का पल्स ऑक्स 95 प्रतिशत है और एहतियात के तौर पर उसे ऑक्सीजन दिया जा रहा है तो यह ऑक्सीजन की बर्बादी है। स्वास्थ्य सचिव राज्यों के अधिकारियों संग इस मामले पर बैठक करेंगे और ऑक्सीजन के सही इस्तेमाल पर कोर्ट को अवगत कराएंगे।
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