क्विक अलर्ट के लिए
अभी सब्सक्राइव करें  
क्विक अलर्ट के लिए
नोटिफिकेशन ऑन करें  
For Daily Alerts
Oneindia App Download

कोरोना संकट: अपने 'देस' लौटकर आया 'बिदेसिया' आगे क्या करेगा? - बिहार से ग्राउंड रिपोर्ट

लॉकडाउन की वजह से बेरोज़गार हो गए प्रवासी मज़दूर अपने-अपने गांवों को लौट रहे हैं लेकिन गांव में वो करेंगे क्या?

By नीरज प्रियदर्शी
Google Oneindia News
प्रवासी मज़दूर
Reuters
प्रवासी मज़दूर

भोजपुरी के शेक्सपियर कहे जाने वाले भिखारी ठाकुर के नाटक 'बिदेसिया' में एक प्रवासी मज़दूर जिसे 'बिदेसी' नाम दिया गया है, उसकी पत्नी 'प्यारी सुंदरी' अपने गांव (देस) में पति के लिए परेशान रहती है.

पति की खोज-ख़बर पाने के लिए व्याकुल प्यारी सुंदरी गांव के नाई 'बटोही' से जो ख़ुद परदेस (दूसरे शहर) से लौटे थे, उनसे 'बिदेसी' (प्रवासी मज़दूर पति) की पहचान कुछ इस तरह बताती है,

'करिया न गोर बाड़ें, लम्बा ना ही हवन नाटे,

मझिला जवान, श्याम सुंदर रे बटोहिया.

घुठी पर ले धोती कोर, नकिया सुगा के ठोर,

सिरवा प टोपी, छाती चाकर रे बटोहिया.

पिया के सकल के तू, मन में नकल लिखअ,

हुलिया के पुलिया बनाई ल बटोहिया'

भिखारी ठाकुर के इस नाटक की प्रथम प्रस्तुति को 100 साल से भी अधिक वक़्त बीत चुका है.

उस वक़्त के समाज में मज़दूरों की स्थिति और पलायन की प्रवृत्ति को आधार बनाकर रचे गए नाटक की ये लाइनें 100 बरस बाद भी चरितार्थ होती लगती हैं, जब हम कोरोना वायरस के लॉकडाउन के कारण वापस लौटे प्रवासी मज़दूरों के चेहरे क्वारंटीन सेंटरों में देखते हैं.

अपना घर-बार छोड़ पैसे की चाहत में दूसरे शहरों में कमाने गए प्रवासी मज़दूर जो लौटकर वापस आ गए हैं उनका हाल जानने के लिए हम निकले.

हम "बिदेसिया" नाटक के रचनाकार भिखारी ठाकुर की जन्मस्थली कुतुकपुर और गंगा के दियारे में बसे आस-पास के दूसरे गांवों में पहुंचे. कहा जाता है कि भिखारी ठाकुर ने बिदेसिया की रचना अपने गांव और समाज के हालात को दर्शाते हुए की थी.

छपरा ज़िले के इन गांवों कुतुकपुर, चकिया, सूरतपुर, महाजी, बलवन टोला के क्वारंटीन सेंटर पर रह रहे प्रवासी मज़दूरों के चेहरे, कद-काठी, वेश-भूषा यह कहने के लिए काफ़ी हैं कि वो ही आज के समय के "बिदेसिया" हैं. जो अपने गांव-घर (देस) तो लौट आए हैं, लेकिन अभी तक परिवार के बीच नहीं जा पाए हैं, नियमों के मुताबिक 21 दिनों का क्वारंटीन पीरियड पूरा कर रहे हैं.

अगर काम मिला तो यहीं रहेंगे, नहीं तो जाना ही पड़ेगा!

इस वक़्त का सबसे बड़ा सवाल यह है कि लौटकर आए ये मज़दूर क्या वापस दूसरे शहर काम करने जाएंगे? यह सवाल इसलिए भी अहम है क्योंकि प्रवासियों के लौटकर आ जाने से कल-कारखानों, उद्योग-धंधों पर बुरा असर पड़ने की आशंका जताई जा रही है.

बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने शनिवार को ख़ुद ही वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के ज़रिए कुछ चुने गए क्वारंटीन सेंटरों पर रह रहे प्रवासियों से बात की.

बातचीत में मुख्यमंत्री ने जब भी किसी प्रवासी मज़दूर या कामगार से आगे के काम को लेकर सवाल किया, प्रवासियों की तरफ़ से हर बार एक जैसा ही जवाब आया, "अब यहीं रहकर काम करेंगे."

हालांकि, मुख्यमंत्री ने जिन क्वारंटीन सेंटर के प्रवासियों से बात की, वे चुने हुए क्वारंटीन सेंटर थे.

लेकिन, हमारी बात जिस भी प्रवासी से हुई, वह आगे के सवाल पर कुछ इस तरह जवाब देता है, "फ़िलहाल तो बाहर जाने का सवाल ही नहीं है, लेकिन यहां काम नहीं मिलेगा तो फिर से जाना ही पड़ेगा."

कोरोना संकट: अपने देस लौटकर आया बिदेसिया आगे क्या करेगा?

भिखारी ठाकुर के गांव से कुछ ही दूरी के फ़ासले पर गंगा के दियारे में बसे छपरा ज़िले के गांव महाजी के रहनेवाले आलोक महतो 19 अप्रैल को ही दिल्ली से पैदल चलकर अपने गांव आए थे. वहां स्पोर्ट्स प्रोडक्ट बनाने वाली एक कंपनी में सिलाई का काम करते थे.

वापस लौटने के बाद आलोक ने नियमों के मुताबिक़ 14 दिनों का क्वारंटीन पीरियड भी पूरा कर लिया है, सबूत के तौर पर वो अपनी पर्ची दिखाते हैं जो उन्हें क्वारंटीन सेंटर से निकलने पर मिली है.

आलोक कहते हैं, "क्वारंटीन से निकले लगभग एक महीना हो गया. लेकिन अब तक कोई काम नहीं मिला है. घर का जो कुछ था उससे ही गुज़ारा चल रहा है. पर वह भी कितने दिन टिकेगा!"

बिहार सरकार की तरफ़ से जारी आंकड़ों के मुताबिक 16 मई तक चार लाख से अधिक प्रवासियों को मनरेगा के तहत काम मुहैया कराया जा चुका है. तीन लाख से अधिक मनरेगा के नए जॉब कार्ड बनाए गए हैं.

लेकिन आलोक कहते हैं, "हमारा अभी तक जॉब कार्ड नहीं बना है. मेरे आस-पास के कई लोग हैं जिनका जॉब कार्ड नहीं बना है. जबकि हम लोगों ने मुखिया और बीडीओ के स्तर पर कई बार काम की मांग की है."

'मनरेगा में मज़दूरों के पास काम नहीं'

आलोक की ही तरह भोजपुर ज़िले के रामशहर गांव के रहने वाले अभय रंजन पासवान को वापस लौटे एक महीने से भी अधिक का वक्त हो गया है.

क्वारंटीन का पीरियड पूरा करने के बाद वो अब अपने घर में परिवारवालों के साथ रहने लगे हैं. पिता के साथ सब्ज़ी उगाने में उनकी मदद कर रहे हैं.

कोरोना संकट: अपने देस लौटकर आया बिदेसिया आगे क्या करेगा?

अभय रंजन कहते हैं, "कोई काम नहीं है तो यही करते हैं. लेकिन इस बार लॉकडाउन में सब्ज़ियों का रेट बहुत गिर गया है, इसलिए इसमें भी काफ़ी नुक़सान उठाना पड़ रहा है. बुआई का ख़र्च भी निकलना मुश्किल है."

मनरेगा के काम के बारे अभय रंजन बताते हैं, "मेरे पास तो मनरेगा का जॉब कार्ड नहीं है, लेकिन मेरे घरवालों के पास है. पर उन्हें भी काम कहां मिलता है. देख रहे हैं कि कोई काम मनरेगा के तहत होने वाला भी है, तो उसे जेसीबी मशीन से करा लिया जा रहा है. जिसका कार्ड है, उसको बस मामूली सा कमिशन दे दिया जाता है और यह कहा जाताहै कि बिना काम के इतना तो मिला!"

अभय की तरह ही भोजपुर के बड़हरा प्रखंड के चातर गांव के रहने वाले मजदूर उदय पासवान कहते हैं, "हमारे यहां भी ऐसा ही हो रहा है. जल-जीवन-हरियाली के लिए काम तो मनरेगा के तहत हो रहा है, लेकिन काम मज़दूरों से लेने के बजाय ठेकेदार मशीनों से करवा रहा है. हमारे पास केवल कार्ड है, लेकिन जिस खाते में पैसा आता है उसके सारे अधिकार पंचायत के अधिकारियों और ठेकेदार के पास हैं."

दूसरे शहरों से लौटकर आए प्रवासियों से मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के ज़रिए हुई बातचीत से यह तो समझ में आ गया है कि कष्ट और तकलीफ़ सहकर आए इन प्रवासियों को फिर से बाहर जाने का मन नहीं है, सरकार यह कह भी रही है कि वह उनके रोज़गार का समुचित प्रबंध करेगी.

पर क्या वे रुक पाएंगे?

कोरोना संकट: अपने देस लौटकर आया बिदेसिया आगे क्या करेगा?

काग़ज़ पर काम के रिकॉर्ड को ज़मीन पर काम की हक़ीक़त से जोड़कर देखने पर जवाब "नहीं" मिलता है.

जैसा कि हमसे बातचीत में एक मज़दूर आलोक महतो कहते भी हैं, "घर-परिवार छोड़ बाहर कौन रहना चाहता है? लेकिन यहां काम भी तो मिलना चाहिए. परिवार और पेट पालने के लिए बाहर तो जाना ही पड़ेगा."

BBC Hindi
Comments
देश-दुनिया की ताज़ा ख़बरों से अपडेट रहने के लिए Oneindia Hindi के फेसबुक पेज को लाइक करें
English summary
Corona Crisis: What will migrant do after returning to his village? - Ground Report from Bihar
तुरंत पाएं न्यूज अपडेट
Enable
x
Notification Settings X
Time Settings
Done
Clear Notification X
Do you want to clear all the notifications from your inbox?
Settings X
X