कोरोनाः कई राज्यों में ऑक्सीजन की कमी को पूरा कर रहा है ये राज्य
कोरोना की नई लहर में जहाँ सारे देश से ऑक्सीजन की कमी लगातार सुर्खियों में बनी हुई है, वहीं एक राज्य लगातार दूसरे राज्यों को ऑक्सीजन भेज रहा है.
कोरोना संक्रमण के कारण देश भर में ऑक्सीजन सिलेंडर के लिए हाहाकार मचा हुआ है, वहीं छत्तीसगढ के कई राज्यों में ऑक्सीजन की आपूर्ति का महत्वपूर्ण केंद्र बनकर सामने आया है. छत्तीसगढ़ हर दिन न केवल राज्य के अस्पतालों में बल्कि देश के दूसरे राज्यों को भी ऑक्सीजन पहुंचा रहा है.
राज्य के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने बीबीसी से कहा-"छत्तीसगढ़ ऑक्सीजन उत्पादक राज्य है. यहाँ से मध्यप्रदेश, महाराष्ट्र, ओडिशा तथा अन्य कई राज्यों को ऑक्सीजन की निर्बाध आपूर्ति जारी है. छत्तीसगढ़ में वर्तमान में लगभग 386.92 मीट्रिक टन प्रतिदिन ऑक्सीजन का उत्पादन हो रहा है. इसमें से छत्तीसगढ़ में केवल 160 मीट्रिक टन का ही उपभोग हो रहा है. शेष ऑक्सीजन निर्बाध रूप से अन्य राज्यों को भेजी जा रही है."
छत्तीसगढ़ में ऑक्सीजन बनाने वाले 29 संयंत्र हैं, इनमें 27 प्रेशर स्विंग असोर्प्शन उत्पादन संयंत्र हैं. इनसे 176.92 मीट्रिक टन ऑक्सीजन का उत्पादन होता है. इनका उपयोग उद्योगों और अस्पतालों में होता है.
लेकिन सर्वाधिक लिक्विड मेडिकल ऑक्सीजन का उत्पादन राजधानी रायपुर से 30 किलोमीटर दूर स्थापित, भिलाई इस्पात संयंत्र और उसकी साझेदारी वाले एक उपक्रम में होता है.
स्टील प्लांट से आपूर्ति
भिलाई इस्पात संयंत्र में 1959 में उत्पादन शुरु हुआ और आज देश में 260 मीटर की रेल की सबसे लम्बी पटरियों के एकमात्र आपूर्तिकर्ता, इस कारखाने की वार्षिक उत्पादन क्षमता 31 लाख 53 हजार टन है. इसके अलावा इस संयंत्र में ऑक्सीजन का भी उत्पादन होता है.
पिछले साल कोरोना के बाद जब अस्पतालों को ऑक्सीजन की ज़रुरत हुई तो सार्वजनिक क्षेत्र के इस उपक्रम में उत्पादन को और बढ़ाया गया.
भिलाई इस्पात संयंत्र के आंकड़े बताते हैं कि पिछले साल अगस्त से इस वर्ष मार्च तक 13,002 मीट्रिक टन लिक्विड मेडिकल ऑक्सीजन की आपूर्ति की जा चुकी है, जिसका उपयोग देश के विभिन्न अस्पतालों में किया जा रहा है.
इस दौरान सर्वाधिक 5921 मीट्रिक टन लिक्विड मेडिकल ऑक्सीजन की आपूर्ति तेलंगाना को की गई. इसके अलावा मध्यप्रदेश को 2640, छत्तीसगढ़ को 1955, महाराष्ट्र को 999, आंध्रप्रदेश को 665, उत्तरप्रदेश को 389, उड़ीसा को 190, गुजरात को 154 तथा कर्नाटक को 89 मीट्रिक टन लिक्विड मेडिकल ऑक्सीजन की आपूर्ति की गई.
ज़रूरत के साथ बढ़ रही आपूर्ति
1 अप्रैल को भिलाई इस्पात संयंत्र में 279.35 मीट्रिक टन का उत्पादन हुआ था, जबकि आपूर्ति केवल 75.60 मीट्रिक टन थी. लेकिन सप्ताह भर बाद 7 अप्रैल को आपूर्ति का आंकड़ा 142.35 तक पहुंच गया.
देश भर में जैसे-जैसे ऑक्सीजन की मांग बढ़ती गई, आपूर्ति के आंकड़े भी बढ़ते चले गये. 10 अप्रैल को भिलाई से 293.12 मीट्रिक टन ऑक्सीजन की आपूर्ति की गई.
21 अप्रैल को अकेले भिलाई से 364.82 मीट्रिक टन ऑक्सीजन की आपूर्ति की गई.
हालांकि राज्य के अस्पतालों में भी ऑक्सीजन को लेकर विपक्षी दल के पास कई सवाल हैं.
स्वास्थ्य विभाग के आंकड़े बताते हैं कि राज्य में 1 मार्च को कोरोना के सक्रिय मरीज़ों की संख्या 2880 थी, इसमें भी अधिकांश मरीज़ होम आइसोलेशन में थे.
पखवाड़े भर बाद मरीज़ों की संख्या ज़रूर बढ़ी लेकिन राज्य में केवल 197 मरीज़ ऐसे थे, जिन्हें ऑक्सीजन की ज़रूरत थी. इनमें भी दूसरे रोगों से लड़ रहे मरीज़ भी शामिल थे. इन सभी 197 मरीज़ों के लिए केवल 3.68 मीट्रिक टन ऑक्सीजन की ज़रूरत पड़ रही थी.
लेकिन महीने भर बाद 15 अप्रैल को राज्य में 5,898 मरीज़ों को ऑक्सीजन की ज़रूरत पड़ी और अस्पतालों में ऑक्सीजन की खपत का आंकड़ा 110.30 मीट्रिक टन पहुंच गया.
विपक्ष का आरोप- राज्य में ऑक्सीजन की कमी
आज जब राज्य में कोरोना के मरीज़ों की संख्या लगातार बढ़ती जा रही है तब राज्य के अस्पतालों को 160 मीट्रिक टन ऑक्सीजन की ज़रूरत पड़ रही है.
राज्य के अलग-अलग अस्पतालों में ऑक्सीजन की सुविधा वाले बिस्तर की मांग बढ़ गई है और बड़ी संख्या में लोगों को भटकना पड़ रहा है.
राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री रमन सिंह कहते हैं-" भिलाई स्टील प्लांट, हिंदुस्तान का सबसे बड़ा स्टील प्लांट जिसके पास है, उसके बाद भी छत्तीसगढ़ के मरीज़ बिना ऑक्सीजन के मर रहे हैं. ये व्यवस्था की चूक है. इसका कारण है कि मुख्यमंत्री एक दिशा में चल रहे हैं और स्वास्थ्य मंत्री एक दिशा में चल रहे हैं. दोनों मीटिंग में एक साथ बैठ नहीं सकते. आश्चर्य की बात है कि सर्वदलीय मीटिंग बुलाई जाती है और उस सर्वदलीय बैठक में स्वास्थ्य मंत्री अनुपस्थित रहते हैं तो फिर कहां की स्वास्थ्य की कार्ययोजना और किस प्रकार स्वास्थ्य की कार्ययोजना का क्रियान्वयन होगा ?"
लेकिन राज्य के स्वास्थ्य मंत्री टीएस सिंहदेव इन आरोपों से असहमत हैं.
उनका दावा है कि रमन सिंह के 15 सालों के कार्यकाल में ऑक्सीजन की सुविधा वाले बिस्तरों की संख्या केवल 1242 थी. दिसंबर 2018 के बाद इनमें तेज़ी से इज़ाफ़ा हुआ और अब 7042 ऑक्सीजन सुविधा वाले बिस्तर अस्पतालों में उपलब्ध हैं.
स्वास्थ्य मंत्री के अनुसार राज्य में दो ही अस्पताल ऐसे थे, जहां ऑक्सीजन प्लांट लगे हुए थे. कोरोना को देखते हुए अगस्त 2020 में 20 अस्पतालों में ऑक्सीजन प्लांट लगाने का फ़ैसला किया गया. इनमें 15 तैयार हो गये हैं और अनुमान है कि अगले सप्ताह भर में 4 और ऑक्सीजन प्लांट तैयार हो जाएंगे. इसी तरह भारत सरकार ने राज्य के अस्पतालों में 4 ऑक्सीजन प्लांट लगाने की योजना पर काम शुरु किया था, इसमें से भी एक ऑक्सीजन प्लांट शुरु हो गया है.
टीएस सिंहदेव कहते हैं-"राज्य में कोरोना के मरीज़ों को किसी भी तरह की असुविधा न हो, इसकी हम लगातार कोशिश कर रहे हैं. कहीं भी ऑक्सीजन की कमी नहीं है. हां, कुछ स्थानों पर सिलेंडर की कमी आई है तो हम उसे भी उपलब्ध करा रहे हैं. हमने केंद्र सरकार से भी 20 हज़ार ऑक्सीजन सिलेंडरों की मांग की है."
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