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पतंजलि की कोरोना की कोरोलिन दवा के लिए आयुष मंत्री ने बोली ये बात

पतंजलि की कोरोना की कोरोलिन दवा के लिए आयुष मंत्री ने बोली ये बात

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नई दिल्‍ली। आयुष मंत्रालय ने मंगलवार को पतंजलि द्वारा कोरोना वायरस की दवा बनाने के दावों के चंद घंटों बाद ही इसके विज्ञापन पर रोक लगा थी और जानकारी मांगी। आयुष मंत्रालय ने ऐसा क्यों किया इस अब आयुष मंत्री श्रीपद नाईक ने खुलासा किया। उन्होंने कहा कि बाबा रामदेव को दवा का ऐलान मंत्रालय से अनुमति लिए बिना नहीं करना चाहिए था। हमने जवाब मांगा है और पूरे मामले पर टास्क फोर्स भेजी गई है।

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नाइक ने कहा कि यह एक अच्छी बात है कि योग गुरु बाबा रामदेव ने देश को एक नई दवा दी है, लेकिन नियमों के अनुसार, पहले आयुष मंत्रालय में उन्‍हें अनुमति लेनी चाहिए थी। उन्होंने यहां तक ​​कहा कि उन्होंने एक रिपोर्ट भेजी है। टास्‍क फोर्स की रिपोर्ट के बाद हम अनुमति देने पर विचार करेंगे। उन्‍होंने बतया कि जो जानकारी मांगी गई थी उस पर जवाब पतंजलि की ओर से दिया गया है। नाईक ने कहा, 'पतंजलि द्वारा दिये गये जवाब और मामले को टास्क फोर्स रिव्यू करेगा कि उन्होंने कौन सा फॉर्मूला अपनाया है। इसके बाद ही परमिशन दी जाएगी!
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प्रोटोकॉल के अनुसार दवा बाजार में लाने के लिए मंत्रालय से अनुमति लेनी थी जो नहीं ली गई। उन्होंने कहा, 'अनुमति नहीं लेना हमारी आपत्ति है। अगर कोई बाजार में दवा लेकर आता है... बनाता है तो यह खुशी की बात है। इस पर कोई ऐतराज नहीं है। "मंत्री ने जोर देकर कहा कि "कोई भी दवाई बना सकता है। सभी को आयुष मंत्रालय को पुष्टि के लिए अनुसंधान का विवरण भेजना पड़ता है। जो कोई भी दवा बनाना चाहता है, उसे आयुष मंत्रालय के टास्क फोर्स से गुजरना पड़ता है। यह नियम है और कोई भी इसके बिना अपने उत्पादों का विज्ञापन नहीं कर सकता है। मंत्रालय भी अपनी दवा पर काम कर रहा है जो जुलाई महीने तक आ सकती है।
"मंत्री ने जोर देकर कहा कि "कोई भी दवाई बना सकता है। जो कोई भी दवा बनाना चाहता है, उसे आयुष मंत्रालय के टास्क फोर्स से गुजरना पड़ता है। सभी को आयुष मंत्रालय को पुष्टि के लिए अनुसंधान का विवरण भेजना पड़ता है। यह नियम है और कोई भी इसके बिना अपने उत्पादों का विज्ञापन नहीं कर सकता है। मालूम हो कि मंगलवार को पतंजलि के व्यापक रूप से लॉन्च किए जाने के घंटों बाद, मंत्रालय ने तथाकथित कोरोनावायरस इलाज किट और इसके परीक्षण के लिए किए गए परीक्षणों का विवरण मांगा। दवाइया, "कोरोनिल और स्वैरी" एक कोरोना किट में आती है जिसकी कीमत 545 रुपये है, जिसे एक सप्ताह के भीतर पूरे भारत में बेचा जाना था।

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आयुष मंत्रालय ने पतंजलि को दवाओं की संरचना, इसके अनुसंधान के परिणाम, उन अस्पतालों के बारे में जानकारी प्रदान करने के लिए कहा, जहां अनुसंधान आयोजित किए गए थे, क्या कंपनी को संस्थागत आचार समिति से मंजूरी मिली थी और क्या यह नैदानिक ​​परीक्षणों के लिए पंजीकृत था । बता दें जहां दुनिया भर के वैज्ञानिक कोरेाना से ठीक होने के दवा और इससे बचाव के लिए टीका इजाद करने में जुटे हुए वहीं बाबा रामदेव का दावा किया हैं कि उनके द्वारा तैयार की गई पतंजलि की दवाओं ने दिल्ली, अहमदाबाद और अन्य शहरों में 280 रोगियों पर नैदानिक ​​परीक्षणों में "100 प्रतिशत अनुकूल परिणाम" दिखाए हैं। पतंजलि ने निजी स्वामित्व वाली नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज या एनआईएमएस विश्वविद्यालय, जयपुर के साथ सहयोग किया।"NIMS, जयपुर की मदद से हमने 95 रोगियों पर नैदानिक ​​नियंत्रण अध्ययन किया। सबसे बड़ी बात यह है कि तीन दिनों के भीतर 69 प्रतिशत रोगी ठीक हो गए और सकारात्मक (मामलों) से नकारात्मक हो गए और सात दिनों के भीतर 100 प्रति। रामदेव ने पत्रकारों से कहा, "उनका प्रतिशत नकारात्मक हो गया।"

आखिर आयुष मंत्रालय ने पतंजलि की कोरोना दवा पर क्यों लगाई रोक? जानिए बड़ी वजहआखिर आयुष मंत्रालय ने पतंजलि की कोरोना दवा पर क्यों लगाई रोक? जानिए बड़ी वजह

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English summary
Coronavirus: Ayush Minister Shripad Naik gave this comment for Patanjali's coroline drug of Corona
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