कोरोना वायरस मूर्ति पूजकों को अल्लाह का जवाब है-ISIS
नई दिल्ली- पिछले हफ्ते ही कोरोना वायरस के प्रकोप से अपने सदस्यों को बचकर रहने की नसीहत देने वाले अंतरराष्ट्रीय आतंकी संगठन इस्लामिक स्टेट ऑफ इराक एंड सीरिया ने अपने दुश्मनों के खिलाफ जहर उगलना शुरू कर दिया है। अब आईएसआईएस ने कहा है कि ये उन लोगों पर अल्लाह का कहर है, जो उसमें आस्था नहीं रखते है। यही नहीं उसने खुदा से ये भी दुआ कि है कि इस्लाम को न मानने वालों को वह और यातनाएं दे और अपने बंदों पर रहम करे और उनकी रक्षा करे। आईएसआईएस ने एक न्यूज लेटर जारी कर कोरोना वायरस को लेकर इस तरह की टिप्पणियाीं की हैं।
मूर्ति पूजकों पर अल्लाह का कहर-आईएसआईएस
अंतरराष्ट्रीय आतंकी संगठन आईएसआईएस ने अब कोरोना वायरस महामारी को लेकर भी अपना असली रंग दिखाना शुरू कर दिया है। उसने अल्लाह से दुआ मांगी है कि वो 'नास्तिकों पर वायरस की यातनाएं' बढ़ाए। उसने ये भी दावा किया है कि इस वैश्विक महामारी ने हमलावर राष्ट्रों को भी पीछे हटने को मजबूर कर दिया है। डेली मेल के मुताबिक इस्लामिक स्टेट ने अपने अल-नाबा अखबार के लिए एक न्यूज लेटर जारी करके दहशत बढ़ाने और नफरत फैलाने वाली इस तरह की भावनाएं जाहिर की हैं। गौरतलब है कि पिछले आर्टिकल में इस आतंकी संगठन ने इस वायरस को लेकर अपने आतंकियों को चेतावनी भरे संदेश दिए थे और इसके कहर से बचने की हिदायतें जारी की थीं।
मूर्ति पूजकों की पीड़ा बढ़ाने की दुआ
आईएस ने अपने लेख में कहा है कि खुदा 'अपने बनाए कुछ राष्ट्रों को दर्दनाक यातनाएं दे रहा है...।' इस लेख में आतंकियों की ओर से दावा किया गया है कि यह वायरस मूर्तिपूजक राष्ट्रों को अल्लाह का जवाब है। यही नहीं इस लेख में नास्तिक राष्ट्रों पर अल्लाह से कहर बढ़ाने की भी गुजारिश की गई है और खुदा के बंदों को किसी भी तरह के नुकसान से रक्षा करने की दुआ भी मांगी गई है। लेख में स्पष्ट तौर पर लिखा गया है, 'हम खुदा से उनकी (मूर्ति पूजकों की) पीड़ा बढ़ाने और आस्तिकों को इससे हिफाजत के लिए कहते हैं।' इसमें यहां तक लिखा गया है कि 'जो भी उससे (खुदा) बगावत करता है, असल में उसे कड़ी सजा दे और जो भी उसे (अल्लाह को) मानता है उसके प्रति रहम दिखाए और उसकी रक्षा करे।'
एक हफ्ते में आतंकी संगठन ने दिखाया असली रंग
अंतरराष्ट्रीय आतंकी संगठन को विश्वास है कि इस बीमारी ने हमलावर (उसके खिलाफ लड़ने वालों) राष्ट्रों को पीछे हटने को मजबूर किया है और उन्हें अपनी सेनाओं को वायरस के प्रकोप को रोकने के काम में लगाना पड़ा है। दिलचस्प बात ये है कि आईएसआईएस ने अपने पूरे लेख में कहीं भी कोविड-19 का नाम नहीं लिया है, लेकिन उसकी बातों से जरी भी दुविधा नहीं है कि वह किस चीज की चर्चा कर रहा है। बता दें कि इस्लामिक स्टेट का ताजा बयान पिछले हफ्ते कोरोना वायरस के खतरे के प्रति अपने दहशतगर्दों को आगाह करने वाले बयान के बाद आया है।
पहले बचाव के दिशा-निर्देश दिए थे
इससे पहले के बयान में आईएस ने अपने दहशतगर्दों के लिए इस वायरस से बचाव के लिए कुछ धार्मिक दिशा-निर्देश जारी किए थे। उसमें कहा गया था- 'बीमार लोगों से दूर रहें, खाने से पहले अपना हाथ धोएं और प्रभावित इलाकों में यात्रा करने से बचें।' ये निर्देश उसी तरह के थे, जैसा कि दुनिया भर की सरकारें दे रही हैं। आईएस ने अपने बंदों से ये भी कहा कि उसके सदस्य अल्लाह में अपना विश्वास बनाए रखें और उनसे माफ करने की अपील करें।
इराक और सीरिया भी हैं चपेट में
वैसे तो मिडिल-ईस्ट के अपने गढ़ से इस आतंकी संगठन के पांव उखड़ चुके हैं, लेकिन माना जाता है कि इराक और सीरिया के कुछ हिस्सों में इसने अभी भी अपना दबदबा कायम कर रखा है। सीरिया सरकार ने अपने यहां कोरोना वायरस संक्रमित पहले पॉजिटिव केस की पुष्टि की है। वहां 20 वर्षीय एक महिला को क्वारंटाइन किया गया है। उसने अपनी सीमाएं सील कर दी हैं, नागरिकों को घरों में लॉकडाउन कर दिया, स्कूल, रेस्टोरेंट, कैफे, पार्क बंद हैं। यह वायरस उसके पड़ोसी मुल्कों लेबनान और इराक में भी फैल रहा है। इराक में 233 मामलों की पुष्टि हुई है और 20 की मौत भी हो चुकी है।
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