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कोरोना वैक्सीनेशन: डाॅ एनके अरोड़ा ने कहा, साइड इफेक्ट से घबराने की जरूरत नहीं

By सुभाष चन्द्र
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कोरोना वैक्सीनेशन: साइड इफेक्ट से घबराने की जरूरत नहीं

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कोरोना वैक्सीन को लेकर कई तरह की चर्चाएं हो रही है। इसके साइड इफेक्ट को लेकर लोगों के मन में कई शंकाएं हैं। इन्हीं शंकाओं को समझने के लिए हमने कोविड-19 वैक्सीन के एक्सपर्ट और भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर) के ऑपरेशनल ग्रुप हेड डाॅक्टर एन के अरोडा से विस्तृत बात की। पेश है उस बातचीत के प्रमुख अंश:

1. कोविड वैक्सीन इतना जल्दी में बना है, तो लोगों के मन में संदेह आने लगे कि क्या यह सुरक्षित है ?

जब भी कोई नई शुरुआत होती है, तो उसको लेकर कई प्रकार की बातें लोगों के मन में उठती है। कोविड वैक्सीन के केस में भी यही हो रहा है। पहले वैक्सीन बनने में वर्षों लगते हैं, लेकिन कोरोना वैक्सीन के लिए कोई शॉर्टकट नहीं लिया गया है। वैज्ञानिकों ने प्रयोगशाला में चौबीसों घंटे काम किया है, यहां तक कि विनियामक अनुमोदन भी युद्धस्तर पर काम करते रहे। हमने क्लिनिकल परीक्षण के किसी भी चरण में नमूना आकार को कम नहीं किया है, बल्कि यह कि हम आमतौर पर एक टीके का परीक्षण करने की तुलना में बड़ा था। जब किसी टीके का परीक्षण किया जाता है, तो पहले चार से छह सप्ताह में अधिकांश प्रतिकूल घटनाएं या अवांछित प्रभाव, यदि कोई हो, तो उस पर ध्यान रखते हैं। हम पहले दो- तीन महीनों के लिए, जिन लोगों को यह दिया गया है, पर कड़ी नजर रखते हैं। यह डेटा हमें यह तय करने में मदद करता है कि कोई टीका कितना सुरक्षित है। इससे पहले, वैक्सीन के विकास में कई चरणों की श्रृंखला शामिल थी, लेकिन कोरोना वायरस वैक्सीन के मामले में, वैज्ञानिकों और नियमित लोगों ने मिलकर काम किया, किसी भी प्रोटोकॉल पर समझौता किए बिना पूरी प्रक्रिया को तेज किया। इसलिए हम सकते हैं कि यह वैक्सीन पूरी तरह से सुरक्षित है। तभी भारत सरकार इसका लाइसेंस दे रही है।

कोरोना वैक्सीनेशन: साइड इफेक्ट से घबराने की जरूरत नहीं

2. हम लोगों को इसके साइड इफेक्ट के लिए तैयार रहना चाहिए ?

बड़े पैमाने पर टीकाकरण कार्यक्रम चलाने के हमारे पिछले अनुभव से बताते हैं कि हर वैक्सीन का कुछ न कुछ साइड इफेक्ट होता है। कई ऐसे वैक्सीन आज भी हैं, जो बीते कई दशक से उपयोग में हैं, लेकिन कुछ लोगों पर आज भी उसका साइड इफेक्ट होता है। इसलिए हमें घबराना नहीं चाहिए।

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3. यह साइड इफेक्ट किस रूप में देखने को मिलेगा ?

साइड इफेक्ट नाम से डराने की जरूरत नहीं है। कई वैक्सीन में यह बेहद जरूरी होता है। वैक्सीन सही काम कर रहा है या नहीं, इसका लक्षण भी हमें साइड इफेक्ट से ही मिलते है। जैसे, बीसीजी का टीका बच्चों को दिया जाता है, तो उन्हें हल्का बुखार होता है। कुछ टीके में दर्द कुछ घंटों तक रहता है। असल में, ऐसे लक्षणों से हमें पता चलता है कि आपका शरीर वैक्सीन को स्वीकार कर रहा है। हमें लोगों को शिक्षित करने और उन्हें टीकों के बारे में सही जानकारी देने की आवश्यकता है। उदाहरण के लिए, कुछ लोगों को हल्के लक्षण जैसे दर्द या सूजन, हल्का बुखार आदि हो सकते हैं। यह एक सामान्य प्रतिरक्षा प्रतिक्रिया है। जहां तक बात कोरोना वैक्सीन की है, तो इसके लक्षण भारत में कैसे होंगे, इसके लिए हमें इंतजार करना होगा। सामान्य और हल्के लक्षण से घबराने की जरूरत नहीं है। इसके लिए सरकार ने वैक्सीन लगने के बाद आधे घंटे तक स्वास्थ्यकर्मी की निगरानी में रहने को कहा है। हां, यदि किसी को कुछ अधिक होता है, तो उसके लिए डाॅक्टर्स होंगे, तो किसी भी परिस्थिति से निपटने में सक्षम होंगे।

कोरोना वैक्सीनेशन: साइड इफेक्ट से घबराने की जरूरत नहीं

4. इस वैक्सीन को जितनी जल्दी में बाजार में उतारा जा रहा है, क्या यह जरूरी है ?

लोगों की जरूरत और बीमारी की मारक क्षमता को देखते हुए पूरी व्यवस्था ने इसके लिए काम किया। केवल भारत ही नहीं, विश्व के कई विकसित देशों ने इसके लिए दिन-रात काम किया है। वैज्ञानिकों ने चौबीस घंटे काम किया। एक साथ कई मोर्चों पर लगातार काम चलता रहा। प्री-क्लिनिकल से लेकर क्लिनिकल स्टडीज तक की क्लीयरेंस जो लगभग छह महीने से एक साल तक की होती हैं, उन्हें हफ्तों में नहीं बल्कि दिनों में दिया जाता है। दुनिया भर में दवा नियामक अधिकारियों ने पीडितों को जल्द से जल्द राहत देने के लिए सबने एक साथ बेहतर और जल्दी काम किया। सबका एक ही उद्देश्य रहा कि कोरोना से राहत मिले। हमें अपने वैज्ञानिकों, डाॅक्टर्स और इससे जुडे तमाम लोगों को थैंक्स कहना चाहिए कि अब वैक्सीन हमारे पास है।

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5. इस टीके का प्रभाव कब तक चलेगा ?

हमें यह बताने के लिए समय चाहिए कि टीका कितना प्रभावी है। अधिकांश टीकों ने 70 - 90 प्रतिशत की प्रभावकारिता दिखाई है, जिस तरह से हम उम्मीद कर रहे थे, उससे कहीं अधिक है। इसके अलावा, जब किसी वैक्सीन को एक आपातकालीन उपयोग करने का लाइसेंस दिया जाता है, तो इसका वास्तविक प्रभाव समझने में मदद मिलेगा। किसी को भी घबराने की जरूरत नहीं है। भारत में मौजूदा वैक्सीन सुरक्षा निगरानी तंत्र है, जिसे एईएफआई (टीकाकरण के बाद प्रतिकूल घटना) निगरानी कहा जाता है। इसमें सार्वभौमिक टीकाकरण कार्यक्रम (यूआईपी) के तहत एक राष्ट्रीय सचिवालय शामिल है, जिसमें डॉक्टर, डेटा विशेषज्ञ और सार्वजनिक स्वास्थ्य विशेषज्ञ शामिल हैं। यह निगरानी नेटवर्क हर जिले तक फैला हुआ है, जहां डॉक्टरों और स्वास्थ्य कर्मचारियों का एक पैनल टीकाकरण, जांच राज्य और राष्ट्रीय स्तर पर रिपोर्ट के बाद एईएफआई की निगरानी करता है।

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English summary
Corona Vaccination: No need to be panic from side effects, Dr. NK Arora
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