कोरोना मरीजों की सेवा करते-करते खुद हो गया कोविड मरीज लेकिन नहीं हारी हिम्मत: डॉ जीपी गुप्ता
लखनऊ, 17 जून। मैं डाक्टर जीपी गुप्ता हड्डी रोग विशेषज्ञ बलरामपुर अस्पताल को संभालता हूं। राजधानी लखनऊ में जब कोरोना के केस बढ़े हमारा सरकारी बलरापुर अस्पताल कोविड अस्पताल में तब्दील किया गया। कोविड अस्पताल बनते ही जैसे ही मरीजों की संख्या अचानक से बढ़ गई और सभी वार्ड खचाखच भर गए उसी समय अस्पताल के डॉयरेक्टर, सीएमएस और एमएनए सभी कोरोना की चपेट में आ गए। जिसके बाद अचानक मुझे ये तीनों पदों की एक साथ जिम्मेदारी संभालनी पड़ी इसके साथ ही डॉक्टर होने के नाते मैं मरीजों का इलाज भी कर रहा था।
मरीजों की अस्पताल में संख्या बढ़ने पर 60 बेड के कोविड अस्पताल को 300 बेड में तब्दील करवाया। उस समय अस्पताल में भर्ती मरीजों के लिए ऑक्सीजन प्वाइंट, ऑक्सीजन की व्यवस्था करना, दवाइयों का इंतजाम करने समेत अन्य अस्पताल की प्रशासनिक समस्याएं सामने होती थी। जिनको निपटाया। कोरोना के चलते स्टाफ भी कम था इसलिए कम स्टाफ में अधिक मरीजों की देखभाल करवाना मुश्किल था लेकिन मैनेज किया। इसमें हमारे अस्पताल के स्टॉफ ने बहुत सहयोग किया।
महज दो घंटे की नींद ही कर पा रहा था
हमारे सरकारी अस्पताल में टेस्ट से लेकर मरीजों के इलाज और खाने की व्यवस्था करने में मैं इतना व्यस्त हो गया कि उन दिनों महज दो घंटे की ही नींद हो पाती थी। उस समय बस मेरे दिमाग में ये ही चलता था कि किसी भी मरीज को कोई समस्या न हो और मरीजों के साथ उनकी देखभाल करने वाले लोगों को दो टाइम का खाना मिल सके।
लाख कोशिशों के बावजूद अपना ध्यान नहीं रख पाया
कोरोना मरीजों के लिए इंतजाम करते हुए मैं लाख कोशिशों के बावजूद अपना ध्यान नहीं रख पाया और इस सबके बीच सात दिन के अंदर ही कोरोना की चपेट में आ गया। उस समय मेरी ये हालत हो गई थी कि मेरे लिए दस सेकेंड के लिए भी सांस रोकना मुश्किल हो गया था। दिल की धड़कन, सेचुरेशन लेवल दोनों बिगड़ा हुआ था। सांस लेने में इतनी तकलीफ थी कि लगा मौत हो जाएगी। इसके बाद अस्पताल में भर्ती हुआ और चंद दिन में थोड़ी हालत संभलने पर घर में आइसोलेशन में रहा।
कोरोना से तन टूट रहा था और परिवार पर आई आपदा से मन, फिर भी हिम्मत नहीं हारी
गारगल के सहारे मैं कर पाया कोरोना मरीजों की सहायता
इस दौरान मैंने गरम पानी से गरारा किया। मुझे लगता है कोरोना को भगाने में गारगल करना जादुई इलाज है। जिन्होंने लगातार 6 दिनों तक गरारा किया उनको जल्दी आराम मिला। मैं चूंकि खुद डॉक्टर हूं इसलिए मैं अपने अनुभव से कहता हूं शुरूआती दौर में इलाज और आराम और सही खान-पान से कोरोना को हर कोई हरा सकता है बस दिमागी रूप से मरीज को बहुत स्ट्राग रहने की जरूरत है। इसके साथ ही मैं हमेशा एक्सरसाइज करता हूं और बैलेंस डाइट लेता हूं इसलिए हमेशा फिट रहता हूं, ये भी कारण है कि कोरोना की जबदस्त चपेट में आने के बावजूद मैं वायरस को परास्त कर पाया।
डॉक्टर का फर्ज निभाते हुए इस नेक काम में साझीदार बना
मैं ये कहूंगा जिम्मेदारियों, चुनौतियों का सामना करते हुए खुद को कोविड संक्रमण में डाला लेकिन दिल को इस बात की तसल्ली है कि मेरे प्रयास से सैकड़ों कोविड मरीजों का इलाज हो पाया और उनको नया जीवन मिला। कोरोना से मैंने 15 दिन के अंदर ही जंग जीत ली और फिर अपने अस्पतात अपने मरीजों की सेवा में जुट चुका हूं।